देवांशु झा : तमसो मा ज्योतिर्गमय
रणवीर कपूर और आलिया के हाथों में राम जन्मभूमि से आए निमंत्रण पत्र को देखकर सोशल मीडिया पर बड़ा उबाल है। भर्त्सनाओं की नदी बह चली है। थू थू छी छी। कथित संत भी भड़क उठे हैं। उपहास और उलाहनाओं, आहों की क्या कहें। किन्तु मैं यह विचार करता हूॅं कि भगवान राम का करुणारबिन्द पहले किसे मिले। उसकी सर्वाधिक आवश्यकता किसे है? उन्हें,जो दिन-रात रामनाम की माला जपते हैं, प्रवचन करते हैं, उपदेश देते हैं और महान संत कहलाए जाते हैं या उन्हें, जो रामतत्व से दूर हैं। जिनका हृदय उस दिव्यता से अछूता ही है।
जहां माया, ऐश्वर्य, भोग-विलास की नटिनी दिन रात नाचती फिरती है। मैं समझता हूॅं कि उनके ठिठुरे हुए हृदयों को उस करुणा की अधिक आवश्यकता है। अगर वे वहां आकर रामतत्व को छू भी सके तो उनका जीवन बदल जाएगा। उन्हें वहां आने दीजिए।
वे हिन्दू होकर भी अहिन्दू हैं। परन्तु इसमें उनका दोष नहीं है। उन्होंने जिस परिवेश में जन्म लिया, जहां पले-बढ़े, वहां हिन्दू होने का कोई अर्थ नहीं होता। आप और मैं भी बालीवुड में होते तो उनसे अलग न होते। मैं समझता हूॅं कि भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का यह क्षण बहुतों के लिए परिवर्तनकारी सिद्ध होगा। बहुत सारे विधर्मी धर्म की ओर लौटेंगे। नवद्वारापुरी की पतित पावन भूमि ही उनकी चेतना को नयी दृष्टि देगी। आप उनको बुलाए जाने पर क्रोधित क्यों होते हैं? संत होकर यह क्रोध तो सर्वथा अनुचित है। उन हृदयों को अंधकार से प्रकाश की ओर जाने दीजिए।
क्या रणबीर बाली, विराध और कबन्ध से बड़ा राक्षस है? आप इस सत्य का ध्यान क्यों नहीं धरते कि महा विधर्मियों विद्रोहियों और पातकों का उद्धार राम ने ही किया। मैं इस विरोध को देखकर हतप्रभ हूॅं।
मानों हमने प्रभु के दर्शनों की पात्रता तय कर दी है। और उस पात्रता को तय करने वाले हम कौन होते हैं? क्या श्रीराम ने हमें वह पात्रता दी है। क्या उन्होंने हम से कहा कि उसे बुलाओ इसे न बुलाओ!
https://youtu.be/uZa3mMjHqMc?si=dMH-jq-e-z-uED5w
अहिंसक से दुर्दांत अंगुलिमाल बना अंगुरकट्टा भी तभी रुका जब उसकी भेंट बुद्ध से हुई। बुद्ध की करुणा ने उसके तप्त हृदय को नहलाया। वह शीतल हुआ। अगर बालीवुड के ये विधर्मी भगवान राम का दर्शन कर उस दिव्यता को अनुभव कर सके तो इससे अच्छा क्या हो सकता है।हिन्दूओं को फतवेबाजी से बचना चाहिए। यहां बहुत फतवेबाज हो गए हैं।
धर्मध्वजाधारक! न्यायाधीश! महापंडित! उनमें से कई न्यायाधीशों को मैंने क्लिप देखने के लिए भिखमंगा की तरह कलपते देखा है: अरे भैया, मुझे भी भेज दो! मैं मानता हूॅं कि रणबीर कपूर ऐसे महान हिन्दुओं से बेहतर हिन्दू होंगे। वह धर्म के प्रतिरूप राम का दर्शन कर सकते हैं। उन्हें दर्शन करना ही चाहिए। अगर राम के दर्शन से उनके जीवन के बंद कपाट खुल सकते हैं तो हम क्यों बाधा बनें?