कौशल सिखौला : अयोध्या निमंत्रण.. भगवान से चिढ़ने वालों की पूरी कलई अलबत्ता उतर गई…

हम अयोध्या के राम मंदिर नहीं जाएंगे !
हम सोनिया हैं हम खड़गे हैं हम अधीर रंजन हैं ; भला हम अयोध्या क्यों जाएं ?
चुनाव में कुर्ते पर जनेऊ पहनकर मंदिर मंदिर जाएंगे पर अयोध्या नहीं जाएंगे !
हमें राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए आने का निमंत्रण मिला हैं , लेकिन हमने न्यौता ठुकरा दिया है !

हमें राम से क्या मतलब , हमने तो राम के अस्तित्व को कभी स्वीकार ही नहीं किया !
जब सीताराम येचुरी , वृंदा करात तथा विपक्ष के तमाम नेताओं ने जाने से मना कर दिया तो हम कैसे जाएं ?
वैसे हम पहले भी कहां जाने वाले थे ?
आलाकमान के फैसले का कांग्रेस के अर्जुन मोगवाडिया और प्रमोद कृष्णम जैसे अनेक नेताओं ने विरोध किया है !
तो कोई बात नहीं , दोनों को शीघ्र ही चलता किया जाएगा !

अब अखिलेश की देखिए । कहते रहे कि निमंत्रण नहीं आया । विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने टीवी पर आकर कहा कि निमंत्रण भेजा है । तब अखिलेश बोले हम नहीं जाएंगे । निमंत्रण लालू और नीतीश को भी है , अभी बोले नहीं पर कांग्रेस के इंकार से उनकी ना का रास्ता भी साफ हो गया । अच्छा हुआ कि विपक्षियों को न्यौते भेजे गए । इंकार तो हुआ । अन्यथा कहते कि हमें तो बुलाया ही नहीं।

बताइए ! राम नाम से इतनी नफ़रत ? चाहे ना जाते परंतु ताल ठोक कर तो न कहते कि हम नहीं जाएंगे ? बहुत से निमंत्रण पत्रों पर लोग शादी ब्याहों में नहीं जाते । पर एलानिया तो नहीं कहते कि हम नहीं आएंगे ? देश में बहुत से लोग नाराज हैं कि रामद्रोहियों को बुलाया क्यों गया ? ऊपर से स्वामी प्रसाद मौर्य , चंद्रशेखर और स्टालिन को गालियां देने के लिए छोड़ दिया ! राम से देश विदेश के करोड़ों लोग जुड़े हैं । उनके सामने भगवान से चिढ़ने वालों की पूरी कलई अलबत्ता उतर गई है।

उधर खेल भी शुरू हो गया है । अपने आकाओं के प्रति वफादारी दिखाने के लिए तेलंगाना सरकार ने सिकंदराबाद में राम जुलूस निकालने वालों के खिलाफ मुकदमा कायम कर दिया है । कर्नाटक में एक पुराने कार सेवक को 32 साल बाद इसलिए गिरफ्तार कर लिया है चूंकि उसने कार सेवा में भाग लिया था । ये ओछे हथकंडे हैं । राम भक्तों को रोकना अब संभव नहीं।

संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का पालन करते हुए राम भक्त मकर संक्रान्ति से 22 जनवरी तक अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे । देश के लाखों छोटे बड़े मंदिरों में आयोजन होने वाले हैं । ऐसा कोई शहर या गांव नहीं होगा जहां शोभायात्राएं नहीं निकाली जाएंगी । तो राम मंदिर के निमंत्रण ठुकरा रहे नेता यह सब होने देंगे या नहीं ?

संतोष की बात है कि ओवैसी के अलावा देश में एक भी मुस्लिम नेता ने अभी तक भी इस विराट आयोजन के विरोध में एक बात नहीं बोली है । किसी मुस्लिम या ईसाई ने आयोजन के खिलाफ सोशल मीडिया पर कुछ भी कहा हो , हमारे सामने नहीं आया । जितना विरोध कर रहे हैं , वे सब छद्म सेक्युलर हिन्दू हैं । राम की खिलाफत सिर्फ वोटों के लिए , निमंत्रण ठुकराना सिर्फ वोटों के लिए ? अब क्या कहें बदकिस्मत लोगों को । मुंह से सिर्फ धिक्कार है ….धिक्कार है , यही निकलता है।

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