अमित सिंघल : अंतर भाजपा, परिवारवादियों, मिलीजुली और वामपंथियों की सरकारों का..!

21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है – जल सुरक्षा। इस सदी में वही देश आगे बढ़ पाएगा, वही क्षेत्र आगे बढ़ पाएगा, जिसके पास पर्याप्त जल होगा और उचित जल प्रबंधन होगा। पानी होगा तभी खेत-खलिहान एवं उद्योग-धंधे फलेंगे फूलेंगे।

केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से बुंदेलखंड क्षेत्र के छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, पन्ना, दमोह और सागर सहित मध्यप्रदेश के 10 जिलों को सिंचाई सुविधा का लाभ मिलेगा। उत्तरप्रदेश में बांदा, महोबा, ललितपुर और झांसी जिलों को फायदा होने वाला है।

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मोदी सरकार के 10 वर्षो में लगभग एक करोड़ हेक्टेयर भूमि (तीन बेल्जियम मिलाकर से अधिक क्षेत्रफल) को माइक्रो इरिगेशन की सुविधा से जोड़ा गया है। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर, हर जिले में 75 अम़ृत सरोवर बनाने का अभियान भी चलाया था जिसके अंतर्गत देशभर में 60 हजार से ज्यादा अमृत सरोवर बनाए गए है। देशभर में जल शक्ति अभियान, कैच द रेन, भी शुरु किया है जिसले अंतर्गत 3 लाख से अधिक री-चार्ज वेल बन रहे हैं।

आज़ादी के बाद के 7 दशक में, सिर्फ 3 करोड़ ग्रामीण परिवारों के पास ही नल से जल का नेक्शन था। बीते 5 वर्षों में 12 करोड़ नए परिवारों तक नल से जल पहुंचाया जा चुका है। इस योजना पर अभी तक साढ़े 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च किया जा चुका है।

जल जीवन मिशन का एक और पक्ष है जिसकी उतनी चर्चा नहीं होती। वो है, पानी की गुणवत्ता की जांच। पीने के पानी की गुणवत्ता को टेस्ट करने के लिए देशभर में 2100 वॉटर क्वालिटी लैब बनाई गई हैं जिसके लिए गांवों में 25 लाख महिलाओं को ट्रेन किया गया है। इससे देश के हज़ारों गांव ज़हरीला पानी पीने की मजबूरी से मुक्त हो चुके हैं। आमजन को बीमारियों से बचाने के लिए यह अत्यधिक महत्वपूर्ण कार्य है।

आज भारत में हर सप्ताह एक नई यूनिवर्सिटी बन रही है, आज भारत में हर दिन एक नई ITI की स्थापना हो रही है। आज भारत में हर तीसरे दिन एक अटल टिंकरिंग लैब खोली जा रही है जहां विद्यार्थी कक्षा में सीखे गए पाठ्यक्रम के आधार पर व्यावहारिक दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए दैनिक जीवन की चुनौतियों के लिए स्वयं समाधान तैयार कर सकते हैं। आज भारत में हर दिन दो नए कॉलेज बन रहे हैं। आज देश में 23 IITs हैं, सिर्फ एक दशक में ट्रिपल आईटी की संख्या 9 से बढ़कर 25 हो चुकी है, IIMs की संख्या 13 से बढ़कर 21 हो चुकी है। 10 साल में एम्स की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई है, 10 साल में मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है। वर्ष 2014 में भारत के केवल नौ हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स QS रैंकिंग (विश्वविद्यालयो की शैक्षिक गुणवत्ता का मापदंड) में आते थे। आज ये संख्या 46 है।

प्रधानमंत्री मोदी ने पूछा कि क्या केवल बोलने या नारा लगाने से ही भारत विकसित हो जाएगा? जब हमारे हर फैसले की कसौटी एक ही होगी कि विकसित भारत कैसे बने, तब राष्ट्र विकसित होगा।

विकसित भारत यानि जो आर्थिक, सामरिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से सशक्त होगा। जहां इकोनॉमी भी बुलंद होगी और इकोलॉजी भी समृद्ध होगी। जहां अच्छी पढ़ाई, अच्छी कमाई के ज्यादा से ज्यादा अवसर होंगे, जहां दुनिया की सबसे बड़ी युवा स्किल्ड मैनपावर होगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने आग्रह किया कि जब आजादी के 75 साल हो चुके हैं तो एक बार मूल्यांकन किया जाए कि कांग्रेस सरकारें जहां होती हैं वहां क्या काम होता है, क्या परिणाम होता है। जहां वामपंथियों ने सरकार चलाई, कम्युनिस्टों ने सरकार चलाई, वहां क्या हुआ। जहां परिवारवादी पार्टियों ने सरकार चलाई, वहां क्या हुआ। जहां मिली जुली सरकारे चलीं वहां क्या हुआ और जहां, जहां भाजपा को सरकार चलाने का मौका मिला, वहां क्या हुआ है।

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