कौशल सिखौला : दलित समाज समझ गया उनके सच्चे हितैषी कौन…
“देश के मुसलमानों और दलितों को साधो और सदा सदा राज करो ”
यह वह सूत्र है जो धर्म के आधार पर देश को बांटने के बाद सत्तारूढ़ पार्टी के हाथ लगा था । जिन्ना ने पाकिस्तान में भारत के तमाम मुसलमानों के लिए पूरी जमीन ले ली लेकिन आधे मुस्लिमों को भारत में छोड़ दिया । धर्म के आधार पर देश बांटने वाले जिन्ना बड़े चालाक निकले और नेहरू बड़े दब्बू । वह जमीन जिन्ना ने आज तक नहीं लौटाई ।
उन्हीं मुसलमानों के साथ दलित समाज को जोड़कर कांग्रेस ने मानों सदा सर्वदा के लिए अपना मजबूत वोटबैंक बना लिया । यह संयोग ही है कि वर्तमान में आए हिन्दुत्व के उबाल ने दस सालों में मुस्लिमों और दलितों दोनों वर्गों के लिए प्रगति के कपाट खोल दिए हैं । यही कारण है दलित समाज अब हिन्दुत्व की लहर में बह निकला है।
ये उदित राज , स्वामी प्रसाद मौर्य , चंद्रशेखर , स्टालिन आदि क्या यह समझते हैं कि देश के दलित समाज का ठेका उनके पास है ? जरा पता लगाकर देखिए, स्थिति मालूम पड़ जाएगी। वे जमाने और थे जब जगजीवन राम , कांशीराम , मायावती आदि दलितों के नेता हुआ करते थे । देश के दलित समाज को इंदिरा गांधी , मुलायम सिंह , करुणानिधि और लालू प्रसाद यादव भी कभी वोट बैंक माना करते थे । उनका भ्रम रामबिलास पासवान , रामदास अठावले और मायावती आदि ने तोड़ डाला । आज देखिए निषाद , कोली , माझी , केवट , मल्लाह , वाल्मिकी , रविदासी , घासीपंथी , कबीरदासी , गरीबदासी आदि सभी एक साथ राममय हो गए हैं।
दलित समाज समझ गया है कि इस समाज के असली हितैषी तो देश के प्रधानमंत्री निकले। राम कृष्ण और शिव के सवालों ने दलित समाज को उनके हिन्दू होने का अहसास करा दिया । देश में अब हिन्दुत्व की ऐसी बहार आई है कि जाति जाति खेलने वालों के होश उड़ गए हैं । याद रखिए छद्म राजनीतिज्ञों को मुस्लिम समाज भी सब समझ रहा है , शिक्षित होते ही इस समाज के कपाट भी पूरी तरह खुल जाएंगे ।
कोई संदेह नहीं कि धर्म के आधार पर देश का बंटवारा हो जाने के बाद भारत की धरती पर वे सब काम सरकार को तभी करने चाहिएं थे जब 1947 में देश के तीन टुकड़े हो गए थे । जिन्ना ने उन तमाम मुसलमानों के हिस्से की जमीन पहले ही ले ली थी जो भारत में रह गए । अयोध्या मथुरा और काशी जैसे अति संवेदनशील मुद्दे 1948 में क्यों नहीं सुलझाए गए , यह सवाल पूछने पर कांग्रेसी उबल पड़ते हैं । पटेल ने तो गजनवी द्वारा तोड़े गए सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर निर्माण का काम 1948 में शुरू कर दिया था । तो तभी राम मंदिर , कृष्ण मंदिर और विश्वनाथ मंदिर क्यों नहीं बनवा दिए गए । गर्म लोहे पर वार करने में चूक का खामियाजा देश आज तक भुगत रहा है ।
दलितों और मुसलमानों को साधो और राज करो
यह वह फार्मूला है जो 1947 में देश के आजाद होते ही कांग्रेस ने बनाया था । आज भारत का मुस्लिम जान रहा है कि उनके पुरखे समरकंद , बुखारा , मंगोलिया , ईरान या अफगान से नहीं आए थे । उनके पुरखों की जड़ें महाराष्ट्र में हैं , मध्य प्रदेश में हैं और राजस्थान में हैं । यकीन मानिए पिछले कुछ वर्षों में हिन्दुत्व के प्रवाह ने मुस्लिम समाज और दलित समाज दोनों को झकझोर दिया है। वे समझ रहे हैं कि आजादी के बाद उन्हें वोट बैंक बनाकर सत्ता के मजे लूटने वाले कौन कौन हैं ?