सुरेंद्र किशोर : महंगे टाॅयलेट के मामले में केजरीवाल, अहलूवालिया से बहुत आगे निकल गये

सन 2012 में यह खबर आई थी कि मोंटेक सिंह अहलूवालिया के उपाध्यक्षत्व में चल रहे योजना आयोग के भवन में केवल दो
टाॅयलेट पर 35 लाख रुपए खर्च किए गए।
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तब बड़ा हंगामा हुआ था।
हालंाकि अहलूवालिया ने तब कहा कि उन दो टाॅयलेट्स में से प्रत्येक में एक ही समय 10-10 लोग इस्तेमाल कर सकते हंै।


यह उस देश में हुआ जहां तीन में से दो बच्चों की मृत्यु कुपोषण की वजह से हो रही है।(2019 की एक रपट)
जब सत्ताधीशों के टाॅयलेट पर ही लाखों रुपए खर्च हो जाएंगे तो बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के लिए पैसे कहां से आएंगे ?
जब एक जरूरी खर्चे के लिए पैसों की मांग की गयी तो प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने तब कहा कि पैसे पेड़ों पर नहीं उगते।
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कोविड काल से ही मोदी सरकार ने इस देश के 80 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त अनाज का प्रावधान किया है।
यूं कहें कि करना पड़ रहा है।
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इन सब के बावजूद दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल यानी ‘लोकतंत्र के राजा’ ने सोचा कि टाॅयलेट के मामले में भी क्यों न मैं नया रिकाॅर्ड बना दूं ?
उन्होंने अपने आलीशान आवासीय बंगले के लिए 8 लाख रुपए में दो कमोड खरीदे।
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पिछले दिनों पटना में जब इंडी -एलाएंस के नेताओं की बैठक हुई तो देश भर से नेतागण आठ चार्टर्ड विमानों से पटना आये थे।
वे जहां से आए थे,वहां से पटना के लिए सेवा विमान भी उपलब्ध है।(वे कैटल क्लास वाले आदमी तो अब रहे नहीं।भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में भी नेता लोग जेल भी जाते हैं तो तुरंत अच्छे अस्पतालों में शिफ्ट हो जाते हैं।

कर्नाटका के मुख्य मंत्री सिद्धारमैया अपने मंत्री के साथ आलीशान निजी जेट विमान से हाल ही में दिल्ली आए थे।
वे सूखा पीड़ित जनता के लिए केंद्र से पैसे मांगने आए थे।
दिल्ली से बंगलुरू के लिए रोज 10 से 15 सेवा विमान चलते हैं।
उनमें से किसी से न आकर मुख्य मंत्री ने अत्यंत आरामदायक निजी विमान से यात्रा की।
सवाल उठाने पर सिद्धारमैया ने कहा कि प्रधान मंत्री कैसे यात्रा करते हैं ?
(ध्यान रहे कि इस देश के कई मुख्य मंत्री खुद को मोदी बड़ा नेता मानते हैं।इंदिरा गांधी रहतीं तो ऐसे लोगों की ऐंठ छुड़ा देती।)
ऐसे ही तर्काें के सहारे इस देश की राजनीति इन दिनों चल रही है।
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नेताओं की शाहखर्ची के बीच चल रहा है गरीब लोगों का अपना यह अभागा देश जहां के 80 करोड़ लोग सरकारी अनाज पर निर्भर रहने को अभिशप्त हैं।

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