अनुसूचित जाति समुदाय के उत्थान के लिए पीएम-अजय

प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना (पीएम-अजय) केंद्र सरकार द्वारा शत प्रतिशत प्रायोजित योजना है, जिसे 2021-22 से तीन घटकों के रूप में लागू किया गया है, जो इस प्रकार हैं:-

i) अनुसूचित जाति के बहुल गांवों का ‘आदर्श ग्राम’ घटक के रूप में विकास।

ii) ‘अनुसूचित जाति की सामाजिक-आर्थिक बेहतरी के उद्देश्य से जिला/राज्य-स्तरीय परियोजनाओं के लिए सहायता अनुदान’ घटक।

iii) ‘उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रावासों का निर्माण’ घटक।

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए इस योजना का कुल बजट परिव्यय 2050 करोड़ रुपये है और इसका लक्ष्य कौशल विकास, आय सृजन तथा संबंधित बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से अतिरिक्त रोजगार के अवसर उत्पन्न करके अनुसूचित जाति के समुदायों की गरीबी को कम करना है। इस योजना के ‘अनुसूचित जाति की सामाजिक-आर्थिक बेहतरी के लक्ष्य के साथ जिला/राज्य-स्तरीय परियोजनाओं के लिए अनुदान सहायता’ घटक के तहत, राज्य व केंद्र शासित प्रदेश की सरकारें व्यापक आजीविका परियोजनाओं हेतु अपनी भी कुछ योजनाएं प्रस्तुत करती हैं, जिनमें कौशल विकास और संपत्ति निर्माण के कार्य भी शामिल है। इसके तहत बुनियादी ढांचे का विकास करने का भी प्रावधान है, जिससे अनुसूचित जाति के लाभार्थियों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं।

वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 (आज तक) के दौरान, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (राज्यवार) द्वारा अनुमोदित एवं स्वीकृत ढांचागत विकास तथा कौशल विकास हस्तक्षेपों की संख्या इस प्रकार है:-

 

क्रम संख्या राज्य का नाम कौशल विकास हस्तक्षेप बुनियादी ढांचा हस्तक्षेप
1 बिहार 3 4
2 कर्नाटक 13 208
3 महाराष्ट्र 3 0
4 पंजाब 74 1
5 सिक्किम 34 0
6 त्रिपुरा 142 121
7 उत्तराखंड 44 0
8 तमिलनाडु 96 186
कुल 409 520

 

वित्त वर्ष 2021-22 से अनुसूचित जाति बहुल गांवों को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करने के लिए राज्यों को 1150.27 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है। इस योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, आदर्श ग्राम घटक के तहत राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों को जारी धनराशि का उपयोग पैसा जारी होने की तारीख से दो वर्ष की अवधि के भीतर ही किया जाएगा।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री ए नारायणस्वामी ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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