सुरेंद्र किशोर : ऐसे -ऐसे शूटर ! कैसे-कैसे शूटर ?

दानापुर का शूटर प्रसंग
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ऐसे -ऐसे शूटर !
कैसे-कैसे शूटर ?


बहुत पहले की बात है।
एक परिचित एक शार्प शूटर को लेकर मेरे पास आए।
वह एक माफिया का शूटर रह चुका था।
बाद में दूसरे माफिया का शूटर बना।
पुलिस कहती थी कि वह शब्द भेदी वाण यानी
गोली चलाता है।
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शूटर ने मुझसे कहा कि सारा मर्डर मैं करता हूं ।
मेरी बहादुरी के बल पर वह ……(माफिया )अपना नाम कमाता है।जबकि वह भारी डरपोक है।उसने आज तक एक भी मर्डर नहीं किया।
अखबार में मेरा नाम भी छपना चाहिए।
ताकि मैं भी नेता बन सकूं।
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मैंने कहा कि आपका नाम तभी छपेगा जब आप विस्तार से बताएंगे कि आपने कितने मर्डर और कैसे-कैसे किए।
उसने कहा कि मैं बताऊंगा।
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उसने बताया।
लिखित इंटरव्यू के हर पेज पर उसने दस्तखत किया।
उसका इंटरव्यू छप गया।
उसका बड़ा ‘‘नाम’’ हुआ।
खुश होकर मेरे पास आया।
इस बार पैर छूकर प्रणाम किया।
कहा कि इस उपकार के बदले मैं आपको
कुछ दे तो नहीं दे सकता,पर,यदि चाहिएगा तो आपके
कहने पर किसी एक व्यक्ति का मर्डर कर दूंगा।
वही मेरी गुरु दक्षिणा होगी।
मैंने उसे कहा कि अब आप वह सब काम छोड़ दीजिए ।
राजनीति में जाना चाहते थे,वहां जाइए।
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वह मेरे पास से चला गया।
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यह कहानी अधूरी है।
उस इंटरव्यू के छपने के कारण एक संबंधित मुकदमे में मुझे और मेरे संपादक को गवाह बना दिया गया।
लालू प्रसाद प्रसाद तब मुख्य मंत्री थे।उन्होंने कहा कि पत्रकार का काम लेख लिखना है न कि गवाही देना ?
यदि लालू की मदद नहीं मिली होती तो गवाही देने जाने पर हमारे पीछे भी कोई अन्य शूटर लग जाता।
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फिलहाल यह बताने के लिए लिखा कि शूटर कैसा निर्दयी होता है।
उसके लिए किसी को मारना वैसा ही होता है जैसा कोई मांसाहारी बकरी या मुर्गा मार कर या मरवा कर खा जाता है।
वैसे मैं तो शाकहारी व्यक्ति हूं !
मेरे लिए तो सड़क पर मुर्गा कटते देखना भी असह्य होता है।
मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री डा.मोहन यादव बधाई के पात्र हैं जो सड़कों पर खुले में मांस बिक्री पर कारगर रोक लगा रहे हैं।

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