कौशल सिखौला : जन्म संस्कार से मृत्यु संस्कार तक गौमूत्र से हिंदुओं का नाता
कभी सनातन पाखंड , कभी गोबर प्रदेश और अब गौमूत्र बैल्ट । उत्तर भारत , पश्चिमी भारत और महाराष्ट्र तक के मध्य भारत को यह संज्ञा स्टालिन की डीएमके पार्टी के नेता एक एककर प्रदान कर रहे हैं । डीएमके सांसद ने तो संसद में ही कह दिया कि गौमूत्र प्रदेश मोदी को वोट देते हैं।
स्टालिन के बेटे पहले सम्पूर्ण सनातन को ही गाली दे रहे थे , अब पूरी हिन्दी बैल्ट को गौमूत्र एरिया बता रहे हैं । वैसे थोड़ी गलती कर गए , देश के तमाम हिंदुओं का नाता जन्म संस्कार से मृत्यु संस्कार तक गौमूत्र से रहता है । पांडेचेरी को मिलाकर दक्षिण भारत के छह राज्यों में भी गौमूत्र हिन्दू संस्कारों में काम आता है।
हिंदुओं को कोई परहेज गौमूत्र से कभी रहा नहीं । उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक देश के 115 करोड़ हिन्दू गाय को माता और गौमूत्र को अमृत के समान मानते हैं । मनुष्य तो मनुष्य हमारे तो भगवान कृष्ण को गाय कितनी प्रिय थी , यह कौन नहीं जानता । कान्हा का तो पूरा बृजमंडल ही ग्वालों गोपियों से भरा हुआ था । भारतीय संस्कृति में नहीं आम जनजीवन में भी दूध , दही , गौ घृत , माखन आदि छाए हुए हैं।
गौमूत्र अधिकांश आयुर्वेदिक दवाओं में पड़ता है । तमिलनाडु से सटा केरल तो खुद आयुर्वेद का गढ़ है । स्टालिन जरा पडौस से पता लगा लो कि केरेला आयुर्वेद को गौमूत्र से नफ़रत है या मुहब्बत ? रही गाय के गोबर की बात तो स्टालिन महाशय , जरा भारत के गांव गांव से पूछो कि कितने करोड़ लोगों की जिंदगी गोबर के उपलों , गोबर की खाद और गोबर की लिपाई से जुड़ी रही है । फिर कहना गोबर प्रदेश और गौमूत्र प्रदेश या फिर गौमूत्र बैल्ट ?
करुणानिधि घोर नास्तिक थे उनकी पार्टी भी । स्टालिन ईसाई हो गए । उन्हें सनातन या गौ से कोई लगाव नहीं । गौमूत्र बैल्ट कहकर उन्होंने हिन्दी भाषी बैल्ट को अदना बौना और घटिया साबित करना चाहा । यह बीमारी तमिलनाडु की द्रविड मानसिकता में काफी पुरानी है । लेकिन कमाल है , इसी हिन्दी बैल्ट में रहने वाले सोनिया , राहुल , नीतीश , लालू , केजरी , अखिलेश , अशोक गहलौत , कमलनाथ या भूपेश बघेल को सनातन और गौमाता के उपहास पर कोई एतराज नहीं।
सबके होंठ उसी तरह सिले हैं जैसे तुलसी और मानस को गालियां देने वाले चंद्रशेखर तथा स्वामी प्रसाद मौर्य पर सिले थे । मतलब इन सभी को उत्तर मध्य भारत को गोबर बैल्ट या गौमूत्र बैल्ट कहने पर एतराज नहीं । सनातन की निंदा पर भी एतराज नहीं । तो कोई बात नहीं , ढूंढते रह जाइए और ईवीएम पर आरोप लगाते रहिए । वक्त कट ही जाएगा।
हालांकि इस बात पर माफी मांगी जा चुकी है लेकिन तीर तो कमान से निकल ही चुका है।