राकेश जॉन : बेशर्मों की महफ़िल में शालीनता का लिबास चाइनीज़ माल.. जो दो मिनट में फट जाता है…

ये पुराना लेख है, मैं इसे बार-बार रिपीट करता हूँ ताकि हर व्यक्ति को मालूम चल सके कि इन चरसी विपक्षी पार्टी के नेता या कार्यकर्ता के बहस का स्तर क्या है?

आपने कभी किसी चरसी विपक्षी पार्टी के नेता या कार्यकर्ता से बहस की है? क्या आपने उसके बहस करने के तरीके को देखा है। मैं आपको उनके कुछ तरीके बताता हूँ।

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कुछ तरीके जान लेने से पहले आपको यह पता होना चाहिए कि चरसी विपक्षी पार्टी के नेता या कार्यकर्ता  बेहद कुतर्की होते हैं। वो जब भी आपसे बहस करेगा तो अपने कुतर्क को हमेशा साथ रखेगा।

● अब तरीके पर बात करते है। चरसी विपक्षी पार्टी का नेता या कार्यकर्ता  जब भी कोई सवाल उठाएगा तो Hypothetical सवाल ही उठाएगा। जैसे कि;

– “देश में बेरोजगारी बढ़ रही है।”

– “किसानों का शोषण हो रहा है।”

– “गरीबों का शोषण हो रहा है।”

– “शिक्षा व्यवस्था की हालत ठीक नहीं।”

– ” देश का युवा वर्ग हताश है।”

– “पूँजीवाद का वर्चस्व बढ़ रहा है।”

– “अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है।”

ये सारी चीज़ें एक ऐसी चीज़ें है जो आपको हर देश में मिलेगी। ये ऐसी चीज़ें है जो कल भी थी, आज भी है और कल भी रहेगी। इन चीज़ों को आप प्रतिशत या आंकडों में भी नापेंगे तो भी यह रहेगी।

उदहारण के लिए, मान लीजिए भारत की साक्षरता दर 95 प्रतिशत है, तो चरसी विपक्षी पार्टी के नेता या कार्यकर्ता कहेंगे कि ये 96 प्रतिशत क्यों नहीं है?

ग़र भारत की रोज़गार प्राप्त करने की दर 98 प्रतिशत है तो चरसी विपक्षी पार्टी के नेता या कार्यकर्ता  कहेंगे कि ये 99 प्रतिशत क्यों नहीं है? अब आप भी जानते है कि 100 प्रतिशत कुछ होता नहीं।

● Hypothetical सवाल उठाने का मज़ा यह होता कि आप किसी चीज़ को डिफेंड किए बगैर अच्छा अटैक कर लेते है।

लेकिन ग़र आप चरसी विपक्षी पार्टी के नेता या कार्यकर्ता  से इन सवालों का जवाब मांगों तो इनके पास एक ही जवाब होता है और वो है “क्रांति”।

अब इनसे पूछो कि “क्रांति कब आएगी?” तो बोलेंगे आएगी। फिर इनसे पूछो “कबतक क्रांति आएगी?” तो बोलेंगे बस आएगी। इन कुतर्कियों के पास यह तक जवाब नहीं कि इनकी दो कौड़ी की क्रांति कब आएगी?

अब जब ये आपके सवाल के जवाब में उत्तर देंगे तो इनके उत्तर देने का तरीका क्या होता है, मैं ज़रा विस्तार से बतलाता हूँ।

मान लीजिए आपने इन मानसिक रोगियों से सवाल पूछा कि “राष्ट्र और राष्ट्रवाद क्या है? ”

तो ये आपके सवाल का जवाब नहीं देंगे। ये सबसे पहले आपके सवाल पर हँसेंगे, ऐसा करके ये आपके सवाल को कमज़ोर करने की कोशिश करते है।

फिर ये आपका चरित्रहनन करेंगे। चरित्रहनन चरसी विपक्षी पार्टी के नेता या कार्यकर्ता  का सबसे बड़ा हथियार है। चरित्रहनन में ये आपसे कहेंगे;

– “आप अध्ययन नहीं करते है?”

– “अभी आपको और पढ़ने की आवश्यकता है?”

– “आपकी समझ अभी कम है।”

– “अध्ययन किया करो? ”

– ” आपके सवाल का टूल ही गलत है।”

– “जाओ पहले फलाने राइटर को पढ़ो।”

जब आपका चरित्रहनन हो जाएगा तब चरसी विपक्षी पार्टी के नेता या कार्यकर्ता  पूँजीवाद, शोषण, सर्वहारा, निजीकरण जैसे दो चार शब्द बोलकर निकल लेगा।

ये लोग मानसिक रूप से कुंठित होते है और आत्मग्लानि से भरे हुए होते है, मार्क्सवाद,समाजवाद का चोला पहन ये अपनी कायरता को ढकते है।

मैं पूरे यकीन से कह सकता हूँ कि ग़र कोई हिन्दू चरसी विपक्षी पार्टी के नेता या कार्यकर्ता  है तो वो अंदर से आत्मग्लानि, कायरता से भरा हुआ है,अपनी इन्हीं चीज़ों को बचाने के लिए वो इनमें जाता है।

इन कुतार्कियों को विमर्श का A B C भी नहीं पता। ग़र आप संयम और शालीन होकर चरसी विपक्षी पार्टी के नेता या कार्यकर्ता  से बहस करोगे तो वे आपके ऊपर हावी रहेंगे इनसे उसी लहज़े में बात करो जो इनका लहज़ा है।

बेशर्मों की महफ़िल में शालीनता का लिबास चाइनीज़ माल की तरह होता है जो दो मिनट में फट जाता है।

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