आदिवासी क्षेत्रों में विकास की नई गाथा… मोदी सरकार की कोरबा से गुमला-लोहदरगा रेललाइन परियोजना

केंद्रीय रेल मंत्रालय ने धर्मजयगढ़ से पत्थलगांव होकर लोहरदगा तक रेल लाइन विस्तार के लिए कलेक्टर रायगढ़, जशपुर के अलावा गुमला, सिमडेगा और लोहरदगा को ड्रोन सर्वे को लेकर सर्वेक्षण दल को आवश्यक संसाधनों के साथ सहयोग करने को पत्र लिखा है।

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मोदी सरकार के पूर्व की सरकार ने सर्वे तो किया था लेकिन जानकारी के अनुसार तब इसे तब इस परियोजना को गैर-अर्थक्षम परियोजना करार दिया गया था।

कोरबा-गुमला रेल लाइन को लेकर नया सर्वेक्षण कार्य प्रगति पर है और सर्वेक्षण रिपोर्ट के जांच के बाद रेल मंत्रालय इस परियोजनाओं को लेकर आगे की रणनीति तय करेगा।

लोहरदगा के लोक सभा सांसद सुदर्शन भगत के द्वारा रेल बजट के दौरान लोकसभा में लोहरदगा-कोरबा रेल लाइन का के निर्माण का विषय लोकसभा में उठाते हुए तत्कालीन रेल बजट में इस परियोजना को शुरू करने की दिशा में केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल का ध्यान आकर्षित किया था।

छत्तीसगढ़ में जशपुर, कुनकुरी, पत्थलगांव, धरमजयगढ़ जैसे क्षेत्रों में निवासरत सैकड़ों आदिवासी बहुल क्षेत्रों के विकास में इससे गति आएगी। – मुरारीलाल अग्रवाल (सदस्य पीसीसी छत्तीसगढ़)

इस संबंध में रेल मंत्री श्री गोयल ने इस परियोजना को लेकर मंत्रालय द्वारा निर्देशित कार्यो की जानकारी सांसद श्री भगत को देते हुए आगे कहा है कि “वर्ष 2018 में ही रेल मंत्रालय ने कोरबा-गुमला नया रेल लाइन को लेकर सर्वेक्षण की प्रक्रिया आरंभ की है। सर्वेक्षण रिपोर्ट आने व उसके जांच-मूल्यांकन के आधार पर इस परियोजना को शामिल किया जायेगा।”

उल्लेखनीय है कि उक्त परियोजना करीब 345 किलोमीटर लंबी है। गुमला के लोग करीब 40 वर्षों से भी अधिक समय से ट्रेन की मांग को लेकर केंद्र सरकार को पत्र लिख चुके हैं। मोदी सरकार के पहले सर्वे तो हुआ था लेकिन जानकारी के अनुसार तब इसे तब इस परियोजना को गैर-अर्थक्षम परियोजना करार दिया गया था।

इस रेल परियोजना के पूर्ण हो जाने पर छत्तीसगढ़ और झारखंड के मध्य दूरी कम होगी, व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। कोरबा से गुमला के बीच पड़ने वाले सैकड़ों गांवो को इसका लाभ मिलेगा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि आदिवासी अंचल के विकास को एक नई दिशा मिलेगी।

रेल मार्ग से ये लाभ होंगे

कोरबा से होते हुए जशपुर, गुमला से लोहरदगा तक रेल लाइन के आरंभ हो जाने से कमजोर वर्ग के लिए यात्रा सुगम होगी।
कच्चे माल के आयात निर्यात के साथ ही साथ ही यहां के बेरोजगारों के लिए रोजगार के अवसर सामने आएंगे। कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों को भी इसका बड़ा लाभ मिलेगा।

-चित्र इंटरनेट से साभार।

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