बोरेबासी, ठेठरी,खुर्मी प्रेमी “कका” सरकार को लॉलीपॉप दिखा रहा बालको प्रबंधन.. आगामी छ.ग. विधानसभा चुनाव में लगभग 3 अरब रूपयों की जमीन का मुद्दा होगा गरम..? बालको प्रबंधन का राज्य शासन को रोजगार-विकास का प्रेम पत्र या भ्रम पत्र..!! अपने कब्जे की भूमि पर करे इस काम का प्रस्ताव…

किसी भी शहर में एंट्री खेत खलिहानों को पार करते हुए होती है लेकिन कोरबा ऐसा शहर है जिसमें किसी भी दिशा से प्रवेश कीजिए रास्ते में खदान और पावर प्लांट आपको मिलेंगे ही मिलेंगे। इसके साथ ही कोरबा की भूमि की बढ़ी हुई कीमतों का मुख्य कारण यह है कि समूचा कोरबा शहर सीतामढ़ी चौक से लेकर बजरंग चौक से लेकर निहारिका टॉकीज चौक तक ही व्यस्त रहता है और इसी एक सड़क के दोनों और पूरा शहर बसा हुआ है। पूर्व की ओर रजगामार,बालकों की दिशा में अधिकांश भूमि वनभूमि होने के कारण भी शासन की परियोजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर भूमि की अनुपलब्धता को लेकर जूझना पड़ता है।
क़िस्सा – 1
लाखों लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े मेडिकल कॉलेज के लिए भूमि की खोज का
मोदी सरकार ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं के अंतर्गत देश के ऐसे जिलों में मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जाने की अनुशंसा की थी, जहां पर शासकीय या निजी मेडिकल कॉलेज संस्थान नहीं थे। इस विषय पर पिछड़े और वंचित जिलों के साथ कोरबा को भी इस श्रेणी में शामिल किया गया था। कोरबा में इसके लिए 50 एकड़ भूमि की आवश्यकता दर्शाई गई थी।
मेडिकल कॉलेज की घोषणा के बाद रिंग रोड पर स्थित आईटी कॉलेज के पास सरकार की खाली पड़ी जमीन को चिन्हित किया गया था लेकिन वन भूमि होने से इसका आवंटन मुश्किल हो गया। इसके बाद एयर स्ट्रीप के पास खाली पड़ी जमीन के साथ प्रशासन की टीम ने छत्तीसगढ़ बिजली कंपनी के कोरबा पूर्व स्थित बंद प्लांट की भूमि को भी मेडिकल कॉलेज बिल्डिंग के लायक मानकर इसकी रिपोर्ट सरकार को भेजी थी।
कोरबा में खनिज न्यास मद के 350 करोड़ रुपए के बजट, 300 बिस्तर की उपलब्धता, जिसे प्रदेश नहीं वरन देश में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए शुरुआती सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था के तौर पर चिन्हांकित किए जाने आशा थी कि निर्बाध रूप से शुरुआत हो जाएगी।
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किस्सा – 2
बालको के CEO अभिजीतपति द्वारा छ.ग. शासन के मुख्य सचिव को लिखे पत्र का
15 मार्च 2022 को बालको के CEO अभिजीतपति ने एक पत्र छ.ग. शासन के मुख्य सचिव अमिताभ जैन को लिखकर बताया कि” जैसा कि आप जानते हैं, भारत एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (बाल्को) सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है भारत में एल्युमीनियम के उत्पादक, कुल एल्युमीनियम उत्पादन में लगभग 17% का योगदान करते हैं देश। कोरबा में इसकी उच्चतम स्मेल्टर क्षमता 5.70 लाख टन प्रति वर्ष (एलटीपीए) है मैनपाट और कवर्धा में संयंत्र और प्रमुख बॉक्साइट खदानें, बाल्को का बारहमासी सहयोग है छत्तीसगढ़ राज्य के साथ पिछले 10 वर्षों में बाल्को ने केंद्र को 10,000 करोड़ रुपये का योगदान दिया है और राज्य सरकार के खजाने ने आर्थिक अवसर प्रदान किए हैं और उत्पन्न किया है स्थानीय समुदाय के लिए हजारों नौकरियां।”
अपने पत्र में आगे श्री अभिजीतपति ने उल्लेख किया था कि ” बालको ने करीब 7000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है इसकी एल्यूमिनियम स्मेल्टर विस्तार परियोजना। विस्तार के बाद बाल्को 12वां सबसे बड़ा हो जाएगा दुनिया में एल्युमिनियम का उत्पादक और लगभग 30,000 की आजीविका को छूने की उम्मीद है सामाजिक और आर्थिक उत्थान में योगदान देकर लोग। समृद्ध खनिज संसाधनों का लाभ उठाते हुए, बाल्को अत्यधिक कुशल निर्माण करना चाहता है के साथ संयुक्त रूप से कोरबा जिले में एल्युमिनियम पार्क की स्थापना कर राज्य में एल्युमीनियम पारिस्थितिकी तंत्र सरकार। छत्तीसगढ़ का।
अपने पत्र में एल्युमीनियम पार्क की स्थापना को लेकर भूमि के संबंध में उल्लेख किया था कि ” यह पार्क प्रदान करके राज्य में MSME के ​​विकास को बढ़ावा देगा बुनियादी ढांचा, बिजली, पानी की निरंतर आपूर्ति और कम तापमान पर पिघले हुए एल्युमीनियम की सर्वोत्तम गुणवत्ता सह-स्थित डाउनस्ट्रीम खिलाड़ियों के लिए लागत। एल्युमीनियम पार्क सामाजिक-आर्थिक भी जोड़ देगा हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियों के साथ-साथ बुनियादी ढांचे के विकास से मूल्य पूरे क्षेत्र में। एल्यूमीनियम पार्क को दो चरणों में स्थापित करने का प्रस्ताव है जिसमें चरण में 47 एकड़ और 53 एकड़ शामिल हैं फेज-II में एकर्स। हमने रामपुर के पास 47 एकड़ जमीन चिन्हित की है जो नजदीक है एल्युमिनियम पार्क के लिए बाल्को प्लांट (-2 किमी) हम सरकार से विनम्र निवेदन करते हैं। छत्तीसगढ़ के अधिग्रहण में समर्थन का विस्तार करने के लिए एल्युमिनियम पार्क की स्थापना में तेजी लाने के लिए रामपुर के पास भूमि की पहचान की गई। साथ ही हम अनुरोध करते हैं आप इस मामले के लिए एक नोडल अधिकारी को वापस भेजने और समन्वय करने के लिए नामित करें।
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किस्सा – 03
ग्राम रिसदी में पॉवर प्लांट के लिए देबू द्वारा भूमि अधिग्रहण का
रिस्दी में 156 किसानों से देवू फर्म ने पावर प्लांट बनाने मुआवजा और नौकरी के एवज में ली जमीन, 28 साल में न प्लांट बना न नौकरी मिली। साउथ कोरिया की कंपनी देवू ने कोरबा के रिस्दी में 1000 मेगावाट पावर प्लांट बनाने का एग्रीमेंट अविभाजित मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह सरकार से किया था और इसके लिए करीब 500 एकड़ जमीन की आवश्यकता के आधार पर रिस्दी के 156 किसानों की 260 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई थी।
उल्लेखनीय है कि किसानों के अतिरिक्त 250 एकड़ जमीन शासकीय भी इस प्लांट के लिए लिया जाना था।
शासन के द्वारा निर्धारित गाइड लाइन के अनुसार बालको बायपास सड़क से लगे अधिग्रहित भूमि की कीमत 5020 रुपए प्रति वर्ग मीटर और भीतरी भूमिका मूल्य 3480 रुपए प्रति वर्ग मीटर था। इसके साथ ही अधिग्रहण किए गए भूमि पर लगे पेड़, कुंवे, तालाब व अन्य निर्माण कार्यों के लिए भी एक मूल्य तय किया गया था। अर्थात वर्ष 1995 में लगभग 3 लाख रुपए तक प्रति एकड़ की दर से मुआवजा राशि प्रभावित लोगों को दी गई थी और वर्तमान में उक्त भूमियों का बाजार मूल्य लगभग 2,00,00,000 (दो करोड़) रुपयों से लेकर 3,00,00,000 (तीन करोड़) रुपये तक हो चुकी है।
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क़िस्सा – 4
लगभग 2 दशक से आज तक अटकी शासन की महत्वाकांक्षी योजना एल्यूमिनियम पार्क की स्थापना का
छत्तीसगढ़ सरकार की बेहद महत्वाकांक्षी जिले के विकास, रोजगार से जुड़ी एल्यूमिनियम पार्क की स्थापना से जुड़ी फ़ाइलें लगभग 2 दशक से आज तक अटकी हुई है। वर्ष 2001 में इस योजना को लेकर सुगबुगाहट शुरू हुई थी। तब
 तत्कालीन जिलाधीश रीना बाबा कंगाले के निर्देश पर रुकबहरी की जमीन का चयन किया गया था। यहां पर भी जब बात नहीं तब देबू द्वारा अर्जित की गई ग्राम रिसदी की भूमि को भी चिन्हित किया गया था लेकिन बाद में यह भी विवादित हो गया था। जिलाधीश गौरव द्विवेदी ने अपने कार्यकाल के दौरान ग्राम नुनेरा में एल्यूमिनियम पार्क के लिए जमीन चिन्हांकित किया गया, परंतु बड़े झाड़ के जंगल का मामला सामने आ गया, जिससे मामला यहां भी अटक गया।
अपने कार्यकाल के दौरान ज़िलाधीश अब्दुल कैसर हक ने भी एल्युमिनियम पार्क की स्थापना के लिए काफी प्रयास किया और ग्राम दोन्द्रो की 152 हेक्टेयर भूमि को उन्होंने चिन्हित किया था, परन्तु NOC के लिए मामला वनविभाग नागपुर में जाकर अटक गया है।
यहां पर उल्लेखनीय है कि बीते 2 दशक में कई निजी उद्योगों को सैकड़ों एकड़ भूमि का आबंटन शासन द्वारा किया गया है, परंतु एल्युमिनियम पार्क के लिए दिया तले अंधेरा की स्थिति ही रही।
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किस्सा – 5
कितनी जमीन पर कब्जा है बालको का..?
छत्तीसगढ़ के परशुराम ननकीराम भी..
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो रमन सिंह सरकार में विधानसभा में राजस्व मंत्री अमर अग्रवाल ने जो बयान दिया था, उसके अनुसार 1971 में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भारतीय एल्युमिनयम कंपनी यानी बालको को 937 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई गई थी. इसके अलावा 1,136 एकड़ जमीन इस शर्त पर अग्रिम आधिपत्य में दी गई थी कि राज्य शासन द्वारा मांग की जाने वाली राशि का भुगतान करना होगा। इस 1,736 एकड़ जमीन के अलावा बालको ने 600 एकड़ से अधिक जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है। इस तरह बालको के कब्जे में 2,700 एकड़ जमीन है। तब छत्तीसगढ़ की राजनीति के परशुराम कहे जाने वाले ननकीराम की नहीं चली थी जब वेदांता के द्वारा 1036 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण का विषय उन्होंने तत्कालीन सरकार के समक्ष रखा था, इसके बाद मंत्रिमंडल से उन्हें टाटा कर दिया गया था। वेदांता द्वारा जमीन अतिक्रमण के विषय पर हाईकोर्ट में शासन की ओर से महाधिवक्ता के उपस्थित नहीं हो पाने से शासन का पक्ष नही रखा जा सका था, जिसके कारण उच्च न्यायालय द्वारा 1804 एकड़ भूमि पर वेदांता के कब्जे वाले हिस्से को अवैधानिक नहीं माने जाने का आदेश पारित कर दिया गया था।
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कोरबा में जमीन की कमी क्यों है ?
किसी भी शहर में एंट्री खेत खलिहानों को पार करते हुए होती है लेकिन कोरबा ऐसा शहर है जिसमें किसी भी दिशा से प्रवेश कीजिए रास्ते में खदान और पावर प्लांट आपको मिलेंगे ही मिलेंगे। इसके साथ ही कोरबा की भूमि की बढ़ी हुई कीमतों का मुख्य कारण यह है कि समूचा कोरबा शहर सीतामढ़ी चौक से लेकर बजरंग चौक से लेकर निहारिका टॉकीज चौक तक ही व्यस्त रहता है और इसी एक सड़क के दोनों और पूरा शहर बसा हुआ है। पूर्व की ओर रजगामार,बालकों की दिशा में अधिकांश भूमि वनभूमि होने के कारण भी शासन की परियोजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर भूमि की अनुपलब्धता को लेकर जूझना पड़ता है, जैसा कि अभी मेडिकल कॉलेज के लिए भूमि की कमी को लेकर मान्यता तक रदद् होने की विकट परिस्थितियों से सबको जूझना पड़ा।
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एल्युमीनियम पार्क की स्थापना के लिए बालको को जमीन क्यों देना उचित नहीं है ?
शासन-प्रशासन में सबकों अच्छे से पता है कि बालको प्रबंधन के कब्जे में सैकड़ों एकड़ भूमि है। उपरोक्त किस्सा – 5 के अनुसार बालको के पास सैकड़ों एकड़ भूमि कब्जे में है। इस स्थिति में जनहित, सामाजिक सरोकार के विषयों पर बड़े-बड़े काम करने का दावा महीने में लगातार विज्ञप्तियों के जारी करने वाला प्रबंधन खुद के कब्जे में सैकड़ों एकड़ जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित होने के बाद भी रोजगार, विकास की बड़ी बातें करके शासन की जमीन को लेकर आवेदन पत्र डालना उचित नहीं है।
हालांकि सामाजिक सरोकार के विषयों पर बड़े-बड़े काम करने का दावा लगातार करने वाले प्रबंधन की दृढ़ इच्छाशक्ति होती तो स्वयं प्रस्ताव छत्तीसगढ़ सरकार के समक्ष रख सकते थे कि 2 दशकों से अटकी शासन की अति महत्वाकांक्षी योजना एल्युमीनियम पार्क की स्थापना के लिए बालको अपने कब्जे वाले सैकड़ों एकड़ भूमि में से 100-150 एकड़ भूमि शासन को देकर जिले में रोजगार बढ़ाने की दिशा में एल्युमीनियम पार्क स्थापना करने की दिशा में सार्थक प्रयास करते हुए अपना योगदान देने के लिए उत्सुक हैं लेकिन इसके स्थान पर बालको शासन की ही भूमि की मांग कर रही है जो बिल्कुल भी उचित नहीं लगता।
एल्युमीनियम पार्क की स्थापना अगर करना ही है तो छत्तीसगढ़ सरकार, प्रशासन को इसकी बागडोर अपने हाथों में लेकर करना चाहिए।
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छत्तीसगढ़ में आसन्न चुनावों में उठ सकता है ये विषय
आने वाले कुछ समय बाद ही छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव संपन्न होने वाले हैं और शासन की महत्वाकांक्षी 2 दशक पुरानी इस योजना के लिए भूमि अगर बालको को आबंटित किया जाता है तो विपक्षी दलों के द्वारा इस विषय को छत्तीसगढ़ के आसन्न विधानसभा चुनाव में भुनाने की संभावना को बिलकुल भी नकारा नहीं जा सकता।
विपक्ष इस बात को बड़ा मुद्दा बना सकता है कि ग्राम रिसदी में वर्ष 1995-96 के दौरान प्रति एकड़ दर लगभग 3 लाख रुपए एकड़ तक था, जिसका वर्तमान में उक्त भूमियों का बाजार मूल्य लगभग 2,00,00,000 (दो करोड़) रुपयों से लेकर 3,00,00,000 (तीन करोड़) रुपये तक हो चुका है और ऐसे में लगभग 2 अरब रुपये से 3 अरब रुपये की भूमि पर जो भी कार्य करना है वो शासन अपने स्तर पर स्वयं करे और बालको को क्यों सौंपे ?
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मात्र 1 रुपये में 50 एकड़ भूमि रमन सरकार ने दी..पहले बताएं अनुबंध की कितनी शर्तों का पालन किया गया ??
एल्यूमिनियम पार्क शासन की लगभग 20 बरस पुरानी एक बड़ी महत्वकांक्षी परियोजना है जिसके माध्यम से जिले में व्यवसाय के अवसर उत्पन्न कर रोजगार को बढ़ावा देना है। ऐसे में जब इस प्रोजेक्ट का संचालन बालकों के हाथों में सौंपना कतई उचित नहीं जान पड़ता। शासन की इस योजना को निजी स्वार्थवश एवं स्वयं के लाभ के लिए भूपेश बघेल सरकार को दिवास्वप्न रोजगार एवं औद्योगिकरण के दिवास्वप्न का लॉलीपॉप दिखाकर येन केन प्रकारेण जमीन पर कब्जा करने की नियत बालको प्रबंधन की है। पूर्व में भी जो परिस्थितियां बालको प्रबंधन के संबंध में जमीन पर कब्जों को लेकर निर्मित हुई हैं, उनसे भी मंशा स्पष्ट रूप से दृष्टिगत होती है।
उल्लेखनीय है इससे पूर्व नया रायपुर में वेदांता को मात्र एक (01) रुपए की दर पर लगभग 50 एकड़ जमीन हॉस्पिटल के लिए आबंटित की गई थी जिस पर बाद में जोरशोर से हंगामा मचा था। जिन शर्तों पर रायपुर में भूमि का आबंटन किया गया था.. अनुबंध की उन शर्तों का कितना पालन किया गया ?  इस बात को भी दृष्टिगत रखते हुए एल्युमीनियम पार्क के लिए भूमि आबंटन के पहले छत्तीसगढ़ सरकार को देखने की आवश्यकता है। सही तो यही होगा कि इसकी स्थापना की पहल राज्य सरकार स्वयं करे ताकि मिलने वाले अनुदान  और करोड़ों रूपये के प्रतिवर्ष के भूभाटक का लाभ किसी को न मिले।
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पूरे भारत को बोरे बासी खिलाने वाले “कका” सरकार को विकास और रोजगार का लॉलीपॉप दिखाकर लुभाने का असफल प्रयास कर रहा बालको प्रबंधन
छत्तीसगढ़ को लघु भारत कहा जाता है क्योंकि 7 राज्यों की सीमा इससे लगती है और भारत के सभी हिस्सों से सभी धर्मों, जातियों के बसने वाले लोगों को,सभी जिलों के कलेक्टरों, अधिकारियों, कर्मचारियों, जनप्रतिनिधियों को एक लाइन में बैठाकर बोरेबासी खिलाकर छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बढ़ावा देने वाले “कका” सरकार को बालको प्रबंधन जिस प्रकार के लोकलुभावन जनहित के, रोजगार के लॉलीपॉप दिखा रही है, उससे नहीं लगता कि कोई प्रभाव कका सरकार पर पड़ेगा।
विपक्ष में रहने के दौरान ही रायपुर में मात्र 01 रुपये में 50 एकड़ भूमि पाने के बाद कांग्रेस लॉलीपॉप का बेहाल हाल देख चुकी है कि मीठे लॉलीपॉप में किस तरह से मक्खियां बीमारियों को घेर लातीं हैं।
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लगभग 2 से 3 अरब रुपयों की जमीन पाने के बाद इस जमीन से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये की कमाई करेगा बालको प्रबंधन
लीज पर बालको द्वारा इन जमीनों को अपने कब्जे में लेकर बाद में अपने द्वारा निर्धारित किए गए प्रीमियम दर पर लोगों को आबंटित किया जाएगा। एल्युमीनियम पार्क में अपना व्यवसाय स्थापित करने के इच्छुक लोगों से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपयों के भूभाटक की वसूली जमीन हाथों में आने के बाद बालको प्रबंधन द्वारा तय किया जाएगा। बिजली, पानी सहित अन्य सभी प्रकार के शुल्क अपने दर पर बालको प्रबंधन तय करेगा।
इसके साथ ही राज्य सरकार से करोड़ों रुपयों का जो अनुदान इसके बाद मिलेगा, वो किसके खाते में जायेगा और किसको करोड़ों रुपयों की अनुदान राशि का लाभ मिलेगा, इसे कहने की आवश्यकता नहीं है।
इसके बाद करोड़ो-अरबो रुपयों के जिस एलुमिनियम की खपत प्रतिवर्ष यहां होगी, उसका भी बड़ा लाभ बालको प्रबंधन को ही मिलेगा।
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क्या विश्वास खो चुका है बालको प्रबंधन ?
बालको के निजीकरण के पूर्व लगभग 7,000 कर्मचारियों की फौज खड़ी थी और सरकार के प्रबंधन में इनकी सारी मांगे पूरी करने के साथ ही बालको का संचालन-प्रचालन पूरी दक्षता के साथ हो रहा था लेकिन निजीकरण होने के बाद मात्र कुछ सैकड़ों की संख्या को ही पालने में बालको प्रबंधन को पसीना आ रहा है। सहज रूप से सरल छत्तीसगढ़ के अधिकांश सरल,स्वभाव के निवासियों के कार्य संपादन को न देखकर निजीकरण के बाद बालको प्रबंधन में लगातार कर्मचारियों की संख्या में भारी कमी की गई।
ऐसे ही अगर एलुमिनियम पार्क की भूमि का आबंटन, संचालन अगर बालको प्रबंधन को सौंपा गया तो स्थिति किस प्रकार की निर्मित होगी, इसकी सहज ही कल्पना की जा सकती है।
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इन खसरा नम्बरों की भूमि लिखे पत्र में एल्युमीनियम पार्क कब्जा चाहिए है बालको प्रबंधन को…
100 (0.0800 हे.), 1004 (2.0000 हे.), 1006 (0.7500 हे.), 1007 (1.9700 हे., 1008 (0.7800 हे.), 1009(5.0400 हे.), 101 (0.0400 हे.), 1010 (2.0100 हे.), 104 (0.3200 हे.), 105 (0.0100 हे.), 106 (0.0300 हे.),109 (0.0300 हे.), 110 (0.0600 हे.), 111 (0.0300 हे.), 113 (0.0200 हे.), 114 (0.0300 हे.), 115 (0.0300हे.), 116 (0.0400 हे.), 117 (0.0400 हे.), 118 (0.0300 हे.), 119 (0.0400 हे.), 120 (0.0400 हे.), 121
(0.0300 हे.), 122 (0.0300 हे.), 123 (0.0400 हे.), 125 (0.0300 हे.), 127 (0.0400 हे.), 129 (0.0300 हे.),
130 (0.0200 हे.), 135 (0.2200 हे.), 141 (1.5000 हे.), 142 (0.3400 हे.), 144 (0.0200 हे.), 145 (0.0300हे.), 147 (0.0300 हे.), 148 (0.0300 हे.), 149 (0.0300 हे.), 150 (0.0200 हे.), 151 (0.0300 हे.), 153(0.2500 हे.), 154 (0.0200 हे.), 156 (0.0100 हे.), 157 (0.0300 हे.), 158 (0.1000 हे.), 159 (0.0300 हे.),160 (0.0300 हे.), 161 (0.0200 हे.), 162 (0.3200 हे.), 163 (0.0200 हे.), 164 (0.0200 हे.), 167 (0.0300हे.), 169 (0.0100 हे.), 170 (0.0200 हे.), 171 (0.0300 हे.), 172 (0.0400 हे.), 17311/1/ਚ (49.0200 हे.), 11/1/T (20.1940 हे.), 11/3/ਥ (0.2020 हे.), 111/1 (13.3910 हे.), 111/7 (0.4050 हे.),156/3 (0.0400 Õ°), 156/4 (0.0730 हे.), 156/5 (0.0080 हे.), 224/1 (27.5710 हे.), 224/6 (0.3240 हे.),
340/1 (1.1290 हे.), 340/4 (0.0080 हे.), 340/6 (0.0360 (º), 356/1/ਣ (32.1770 हे.), 356/1/3 (0.9590 हे.), 362 (1.7080 हे.), 364/1 (1.0880 हे.), 364/3 (0.0610 हे.), 44/1/ਥਾ (7.3360 हे.), 44/1/3 (0.2020 हे.), 541/1 (0.4450 हे.), 58/1 (15.3460 हे.), 580/1 (32.0000 हे.), 615/1 (12.6870 हे.), 616 (21.6600 हे.),
62/1 (2.9380 हे.), 686 (0.1580 हे.), 69/1 (1.8980 हे.), 69/3 (0.0160 हे.), 711 (0.1380 हे. ), 716/1/(28.2370 हे.), 722 (0.2230 हे.), 731/1 (11.1140 हे.), 736/1 (3.8360 हे.), 736/2 (0.1010 हे.), 785(0.1250 हे.), 794/1 (0.3680 हे.), 82/1 (0.4290 हे.), 84/1 (2.6380 हे.), 869/1/4 (70.4850 हे.), 869/1/
(0.0530 हे.), 869/1/ਟ (0.0040 हे.), 883 (2.3470 हे.), 888/1/5 (52.1300 हे.), 888/1s (0.4050 हे.), 888/1/ਯ (0.4050 हे.), 907/1 (56.9430 हे.), 924 (0.9430 हे.), 934/1/5 (39.7240 हे.)

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