मधुमक्खियां करेंगी भारत-बांग्लादेश की सीमा को सुरक्षित
भारत-बांग्लादेश की सीमा को सुरक्षित करने के लिए सीमा सुरक्षा बल ने मधुमक्खी पालन की एक अनोखी पहल की शुरुआत की है। पश्चिम बंगाल के कादीपुर गांव में शुरू किए गए इस पायलट प्रोजेक्ट में मधुमक्खियाँ बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों और तस्करों को रोकने के लिए ‘मधुमक्खी योद्धा’ के रूप में काम करेंगी।
भारत-बांग्लादेश की सीमा को सुरक्षित करने के लिए सीमा सुरक्षा बल ने मधुमक्खी पालन की एक अनोखी पहल की शुरुआत की है। पश्चिम बंगाल के कादीपुर गांव में शुरू किए गए इस पायलट प्रोजेक्ट में मधुमक्खियाँ बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों और तस्करों को रोकने के लिए ‘मधुमक्खी योद्धा’ के रूप में काम करेंगी।
केंद्र सरकार के वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का हिस्सा है यह पहल
बीएसएफ की 32वीं बटालियन का यह प्रयास सीमावर्ती क्षेत्रों में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मधुमक्खी पालन और औषधीय पौधों की खेती की संयुक्त योजना का एक हिस्सा है,जिसमें सीमावर्ती गांवों के लोगों को रोजगार के नए अवसर प्रदान किये जाने हैं। यह योजना केंद्र सरकार के “वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम” के अनुरूप है। इस योजना के तहत सुरक्षा बाड़ लगाने के साथ जमीन से थोड़ा ऊपर रखते हुए मधुमक्खी के बक्से भी लगाए जाएंगे। बक्सों के चारों ओर फूलों के पौधे लगाकर मधुमक्खियों के लिए एक प्राकृतिक आवास बनाया जाएगा। 4,096.7 किमी लंबे भारत-बांग्लादेश सीमा क्षेत्र में सीमा के दोनों ओर के जंगलों में विभिन्न पेड़-पौधों की सघन उपलब्धता और दोनों ओर के किसानों द्वारा की जाने वाली खेती से मधुमक्खियों को पूरे वर्ष पर्याप्त भोजन मिलता रहेगा।
खाद्य सुरक्षा में मददगार मधुमक्खियाँ
मधुमक्खियाँ दुनिया भर में फलों, सब्जियों और मेवों सहित लगभग सभी फसलों के परागण के लिए जिम्मेदार हैं। एक अनुमान के मुताबिक मधुमक्खियों के बिना,वैश्विक फसल की पैदावार 35 प्रतिशत तक कम हो सकती है। मधुमक्खियाँ भोजन इकट्ठा करने के लिए फूलों पर मंडराती हैं, इसलिए परागणकों के रूप में, वे कई फसलों के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं जो दुनिया की आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करती हैं।
हाल ही में कादीपुर गांव में आयोजित एक कार्यक्रम में ग्रामीणों को कुछ औषधीय पौधे भी वितरित किए गए और बटालियन कमांडर को चार मधुमक्खी बक्से भेंट किए गए, जिन्हें स्मार्ट बाड़ के एक हिस्से पर उचित व्यवस्था के साथ स्थापित किया गया है। कार्यक्रम में बटालियन कमांडर ने ग्रामीणों को सीमावर्ती इलाकों से लड़कियों और महिलाओं की तस्करी के विभिन्न पहलुओं की जानकारी भी दी और उन्हें सतर्क रहने के लिए भी कहा।