कौशल सिखौला : इजराइल हमले के पैटर्न को समझने जुटी भारतीय सेना

हमास के अचानक इतने बड़े हमले का पैटर्न क्या रहा , इसे समझने की कोशिश भारतीय सेना भी कर रही है और संभवतः अन्य देश भी कर रहे होंगे । अभी तक इजराइल को फलस्तीन ही नहीं , आसपास के अरबी देशों के अचानक हमले की सौ प्रतिशत पूर्व तैयारियों वाला देश माना जाता था । हमास ने इस विश्वास को तोड़ दिया । इतनी चालाकी से तोड़ा कि अब इसकी चतुराई समझने का प्रयास सभी कर रहे हैं । यह भी कि मोसाद जैसी गुप्तचर यूनिट फेल कैसे हो गई!

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भारत के लिए यह इसलिए भी जरूरी है कि भारत एक नहीं , दो दो शैतान देशों से घिरा हुआ है । दूसरे दुश्मनों को ताकत देने के लिए देश में अय्यारियों और किस्म किस्म की मक्कारियों की कमी नहीं । हमास के हमले के पैटर्न को समझने के प्रयास में हमारी जांबाज सेना भी लगी है । माना जा रहा है कि इस महीने के तीसरे हफ़्ते में होने वाली कमांडरों की बैठक में एक मुद्दा यह भी रहेगा।

जहां तक पांच दिनों से चल रहे युद्ध का सवाल है , तमाम टीवी चैनलों पर सब देख ही रहे हैं । इजराइल ने भले ही गाजा पट्टी को लगभग तबाह कर दिया है , लेकिन पांच देशों ने इजराइल के खिलाफ पांच मोर्चे खोल दिए हैं । मतलब एक इजराइल और पांच अरब देशों से मुकाबला । चूंकि अमेरिका अब इजराइल का सीधा साथ दे रहा है तो अमेरिकी सेना और बमर्स दस्ते तेलअबीब पहुंच चुके हैं । जाहिर है अमेरिका भी अब खुद लड़ेगा । अमेरिका को देखकर कल पुतिन और जिनपिंग की एंट्री भी युद्ध में हो सकती है । यद्यपि तीन महाशक्तियों का प्रवेश बहुत खतरनाक हो सकता है।

फलस्तीन और इजराइल का युद्ध इतने खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है कि मीडिया में अब विश्व युद्ध और परमाणु युद्ध की बात होने लगी है । याद कीजिए , यूक्रेन – रूस युद्ध शुरू होने पर भी यही बात कही गई थी जो गलत निकली । लेकिन इजराइल युद्ध की बात अलग है । यह बेहद भयावह है , इसके मतलब भी अलग हैं । अभी वह समय नहीं आया कि कोई शांति की बात करे । हम शांति चाहते हैं , भारत पूरे विश्व में शांति चाहता है।

पर यह समय शायद विध्वंस का है , निर्माण का नहीं । सोशल मीडिया पर हम लोग तो बड़ी छोटी इकाई हैं । विश्व में जो सक्षम हैं , वे निश्चय की कुछ सोच रहे होंगे । युद्ध समाधान नहीं , मृत्यु का दलाल है । युद्ध में आग है , बारूद है , चीत्कार है , घृणा है , रक्त है , मौत है , अंत है । शांति में हर्ष है , उजास है , माधुर्य है , भाव है , गति है , आनंद है । पर क्या करें ? अभी वह वक्त नहीं आया कि शांति पर बात करें । अभी बारूद खेलेगा , लंबा खेलेगा । विवशता का यह विष मानवता को अभी पीना पड़ेगा।

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