कौशल सिखौला : 18 सितंबर गणेश चतुर्थी पर नए संसद भवन में प्रवेश पुराने संसद भवन को विदाई

जब देश के संविधान के प्रथम पृष्ठ पर इंडिया और भारत दोनों हैं तो भारत पर विवाद कैसा?
यह भी ठीक वह भी ठीक जो भी चाहे कहिए !
पर क्या करें , मौसम राजनीति का है तो राजनीति तो होगी , अभी महीनों होगी!

अपने ग्रुप्स में शेयर कीजिए।

हमलावर विपक्ष भी है और आक्रामक सरकार भी!
एनडीए बनाम डॉट डॉट इंडिया की लड़ाई इंडिया बनाम भारत तक चली आई है , अभी देर तक चलती रहेगी !
कम कोई नहीं , सब एक दूसरे पर सवाए पड़ रहे हैं!
वह कूदे नौ तो वह कूदे तेरह ?

तो क्या सरकार के ट्रैप में फंस गया है विपक्ष ?
या फिर उन्होंने इंडिया में फंसाया था , इन्होंने भारत में फंसा दिया ?
करीब सवा सौ साल पहले एक ब्रिटिश एओ ह्यूम ने पार्टी का नाम इंडियन नेशनल कांग्रेस रखा था , जिसे हिन्दी में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कहा गया !
आजादी के बाद बनी पार्टी का नाम भारतीय जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी रखा गया!
दोनों के साथ हिंदी में भी भारतीय और अंग्रेजी में भी भारतीय ही लिखा गया !

अब देखिए , देश में भारत बनाम इंडिया बहस चल पड़ी है!
हमें तो इंडिया इज इंदिरा और इंदिरा इज इंडिया के जमाने भी याद हैं , जब व्यक्ति को ही इंडिया मान लिया गया था!
अब कुछ दलों के समूह को इंडिया कहा गया है!
वैसे भारत कहो या इंडिया ; बात तो एक ही है!
मकसद तो है दिल को समझाना !
चाहे ये मानों चाहे वो मानों !

इंडिया और भारत अभी चलेंगे। लेकिन संसद के विशेष सत्र में ऐसा कोई बिल नहीं लाया जा रहा जो इंडिया को बदलकर भारत कर दे । ऐसा संकेत सरकार ने दिया है कि जो व्यवस्था संविधान में पहले से उसके लिए कोई बिल लाने की जरूरत नहीं है । सरकार ने अभी तक नहीं बताया कि संसद के सत्र में कौन से बिल आएंगे । लेकिन पता चल रहा है कि ऐसा कोई बिल नहीं आएगा जिसमें दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता पड़े । सरकार का उद्देश्य पुरानी संसद को विदाई देना और गणेश चतुर्थी के दिन नई संसद में प्रवेश करना है।

भारत और इंडिया को लेकर जितनी भी चर्चाएं चलेंगी वे सदन के बाहर राजनैतिक मंचों पर और टीवी के पर्दों पर चलने वाली हैं। आजकल राजनीति बड़ी गर्म है , महीनों तक बड़ी गर्म रहेगी भी । देखिए , कितनी तेजी से नए नए इश्यूज सामने आ रहे हैं । कभी तुलसीदास कभी रामायण कभी हिंदू तो कभी सनातन से होते हुए भारत तक आ पहुंची । कहां तक जाएगी , पता नहीं । देखते रहिए , इंडिया और भारत विवाद के बाद अभी राष्ट्रीय पटल पर छा जाने के लिए राजनीति के पिटारे में और क्या क्या शेष है?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *