कौशल सिखौला : चीन अब भारत के लिए हव्वा नहीं रहा…

आश्चर्य होता है कि राहुल गांधी को अपने भारत से अधिक प्रेम चीन से क्यों है ?
यह कहना अच्छा तो नहीं लगता कि मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू के वंशज को अपनी जन्मभूमि से प्रेम नहीं है , पर उनके बयान प्रायः दुःख देते हैं !

अपने ग्रुप्स में शेयर कीजिए।

खास तौर से कश्मीर या लद्दाख की धरती पर जाकर जब वे चीन का गुणगान करते हैं तो और भी अजीब लगता है !
एक बार नहीं बार बार या ये कहें कि डोकलाम से गलवान और गलवान से लद्दाख तक हर बार !
चीन ने भारत को पीट दिया , यह कहना किसी देशवासी को शोभा नहीं देता !
उसे तो बिलकुल भी नहीं , जिसके पड़ नाना , पिता और दादी ने देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला हो , स्वाधीनता संग्राम में भाग लिया हो ?

यह कोई नई बात नहीं । वास्तव में राहुल गांधी को मोदी विरोधी मेनिया हो गया है । आज नहीं दस साल से है और कांग्रेस को तो मोदी के गुजरात काल से है । दरअसल दो दो पराजय छोटी नहीं होती । कईं राज्य भी इस दौरान भाजपा के पास आ गए । गुजरात से निकलकर राष्ट्रीय मानचित्र पर मोदी का उदय हुआ तो सबसे बड़ा धक्का सोनिया गांधी को लगा जो राहुल गांधी को मनमोहन सिंह का उत्तराधिकारी बनाने में जुटी थीं ।

लेकिन जनता ने दो बार कांग्रेस को हराया , मोदी को जिताया । राहुल गांधी जब 2019 में भी मोदी को नहीं हरा पाए तब वे इतने हताश हो गए कि मन ही मन मोदी से दुश्मनी पाल बैठे । राजनैतिक अनुभव की कमी ने हर हाल में सरकार की निंदा का पाठ पढ़ाया । बेशक इसके लिए चीन का महिमा मंडन करना पड़े या हर मोड़ पर चुनिंदा सरकार को गरियाना पड़े ।

2019 की तरह राहुल को इस बार फिर लग रहा है कि वे 2024 का चुनाव जीत रहे हैं । उनका मानना है कि डॉट डॉट इंडिया बनने के बाद मंजिल और आसान हो गई है । राहुल ही नहीं कांग्रेस को भी लग रहा है कि इंडिया के लिए उन्हें पीएम फेस बनाना इसलिए मजबूरी बन जाएगा , चूंकि मोदी को कोई और नेता हरा नहीं पाएगा । तो राहुल कभी चीन पर , कभी अडानी पर , कभी राफेल पर , कभी कोरोना पर तो कभी चौकीदार पर मोदी को घेरते हैं ।

उनके पड़नाना ने लाखों हैक्टेयर भूमि चीन को हार दी थी । उसका उन्हें कोई गम नहीं । शायद उन्हें लगता है कि चीन राग गाते रहने से मोदी मुश्किल में पड़ जाएंगे । जनता अगर अगली बार राहुल को चुन ले तो जनता के फैसले का सब स्वागत करेंगे । फिलहाल तो वे चीन प्रेम दिखाकर भारत को नाराज ही कर रहे हैं । चीन अब भारत जैसे बड़े देश के लिए हव्वा नहीं रहा । चीन तो ताइवान जैसे छोटे देश का भी कुछ नहीं बिगाड़ पाया । चीन राग छोड़िए , कुछ हासिल होने वाला नहीं है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *