पंकज कुमार झा : तरेगना.. चोट्टा कहीं के…
बिहार में एक गांव है तरेगना। खगोलीय दृष्टि से यह स्थल विशेष है, यह तारों की गिनती के लिए उपयुक्त है। यह दुनिया की दृष्टि में तब आया जब नासा ने इस पर रिपोर्ट छापी कि यहां से सूर्यग्रहण सबसे बेहतर देखा जा सकेगा।

महान आर्यभट ने लेकिन सहस्राब्दियों पहले इस स्थान को पहचान कर अपनी शोधस्थली बनाया था। नाम ही ‘तरेगना’ है इसका। सोचिए कि यह नाम कैसे पड़ा होगा। यह भीड़ वहां सूर्यग्रहण देखने आने वाले लोगों की है।
ऐसे में भारत को वैज्ञानिक चेतना सिखाने की बात करने वाले माओ की औलादों को समझाया जाय कि नहीं?

ये वामी अभागे उन धर्मांतरण के कारोबारियों से भी अधिक खतरनाक हैं। वे हमें धर्म सिखाने आ रहे और ये विज्ञान।
चोट्टा कहीं के।
-चित्र साभार
