कौशल सिखौला : सुप्रीमकोर्ट में धारा 370 का जिन्न एक बार फिर से बोतल से बाहर आएगा…
हटाई गई धारा 370 का जिन्न एक बार फिर से बोतल से बाहर आएगा । वह भी सुप्रीमकोर्ट में । संसद के दोनों सदनों ने कश्मीर में लागू धारा 370 को 2019 में ही निरस्त कर दिया था । जम्मू कश्मीर को विभाजित कर लेह लद्दाख को अलग राज्य बनाया जा चुका है । दोनों राज्य केंद्र शासित हैं और दोनों में विकास की गाड़ी सरपट दौड़ रही है । 370 वापस लाने के लिए सुप्रीमकोर्ट में अनेक याचिकाएं दायर की गईं थी।
मुख्य याचिकाकर्ता आईएएस अधिकारी शाह फैसल और एक्टिविस्ट शाहेला रशीद द्वारा इस संबंध में अपनी याचिकाएं वापस ले लेने के बाद भी सुप्रीमकोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ पहली अगस्त से फास्ट ट्रैक कोर्ट लगाकर रोजाना इस मामले की सुनवाई करेगी । मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ स्वयं इस पांच सदस्यीय पीठ की सुनवाई करेंगे।
मतलब एक बार फिर से 370 का जिन्न बोतल से बाहर आएगा । वह भी उस दौर में जबकि संसद के वर्षाकालीन सत्र में यूसीसी का विधेयक संसद में पेश हो चुका होगा । यानि देश में डबल हंगामा ? जो विषय मर चुका है , कश्मीर शांत है , विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही है , वहां नए सिरे से गर्मी पैदा करने की कोशिश । वह भी तब , जबकि दोनों मूल वादियों ने याचिकाएं वापस ले ली और जस्टिस चंद्रचूड़ ने इसकी अनुमति भी दे दी । अब बताया जा रहा है कि 20 और याचिकाएं इस संबंध में बाकी हैं , जो बाद में दायर की गई । लगातार सुनवाई उन्हीं पर होगी । जाहिर है कि याचिकाओं की मार्फत देश की राजनीति एक बार फिर से गरमाने वाली है।
370 की वापसी को खैर अब संभव नहीं है।लेकिन यह साफ हो जाएगा कि वे कौन से दल हैं जो कोर्ट में 370 का समर्थन कर एक बार फिर से पत्थरबाजी का जमाना वापस लाना चाहते हैं । यह जानते हुए भी कि चार वर्षों में चिनाब का बहुत सारा पानी बह चुका है , घाटी में खुशहाली की फसल लहरा रही है । कश्मीर के युवक युवतियां फौज , पुलिस और अन्य सरकारी सेवाओं में शामिल होकर राज्य के विकास में योगदान दे रहे हैं । आतंकवाद मरणासन्न है , लेह लद्दाख का कायाकल्प हो चुका है और राज्यों में परिसीमन के बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।खैर , कानून नियमों पर चलता है । संसद के बाद 370 पर अब कोर्ट की मुहर भी लग जाएगी।
न्यायालय की विवशता है उसे याचिकाओं की सुनवाई करनी ही पड़ती है । सुनवाई के दौरान यह भी पता चलेगा कि याचिकाकर्ता कौन हैं , किस स्तर के वकील जुटाए गए हैं और वे कौन से राजनैतिक दल हैं जो 370 की वापसी चाहते हैं । एक तरह से यह अच्छा भी है । केंद्र में यदि 2024 में सरकार बदली तो तीन तलाक , सीएए पर याचिकाएं आनी ही हैं । याचिका तो तब भी आएगी अगर संसद में यूसीसी पारित होकर कानून बन गया । राजनैतिक दलों का अब संसद पर उतना विश्वास नहीं है । फैसला सर्वसम्मत हो या बहुमत से , कोर्ट में तो फिर भी आएगा । देश में लोकतंत्र है जिसका यही कायदा है।