राजस्व मंत्री का बालको दौरा..प्रबंधन के फूले हाथ पांव..! किसकी जाएगी नदी में नाव.. चूके भाजपा जिलाध्यक्ष…
उन्होंने आरोप लगाया कि बालको प्रबंधन और प्रशासन आपस में मिले हुए हैं, जिसके कारण बालको क्षेत्र की समस्याओं का उच्चतम निराकरण नहीं हो पा रहा है।
लालघाट बाईपास रोड पर स्थित नाले में बालको द्वारा निरंतर बहाये जा रहे विषैले तत्वों से भरपूर पानी के प्रवाह को अगर राजस्व मंत्री श्री अग्रवाल देख लेते तो उत्तर देने में बालको प्रबंधन के हाथ पांव फूल जाते।
हालांकि प्रदूषण को लेकर उन्होंने कहा कि तीन माह पूर्व बालको द्वारा कई स्थानों डंप किए गए राखड़ को लेकर पूरे क्षेत्र का निरीक्षण कर पंद्रह दिनों में रिपोर्ट देने को कहा था और आज तीन माह हो गए प्रशासन ने कोई रिपोर्ट नही दी ,लेकिन वह इस मामले को लेकर गंभीर है।
उल्लेखनीय है कि पर्यावरण विभाग कोरबा के द्वारा कुछ समय पूर्व बालको प्रबंधन को जब काले तेलयुक्त पानी का प्रवाह लालघाट के पास से डेंगुर नाले में प्रवाहित करने के संबंध में नोटिस दिया गया था तब तकनीकी समस्याओं की बात बालको प्रबंधन ने कही थी। हालांकि 3-4 दिनों पूर्व हुई हल्की वर्षा के बाद से क्षेत्र में सूखे की स्थिति है और यह काले विषैले जल प्रवाह की स्थिति लंबे अर्से से बनी हुई है।
भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. राजीव सिंह के द्वारा बालको प्रबंधन को अपने 6 सूत्रीय बिंदुओं पर काम न होने पर 10 दिनों के बाद आंदोलन की चेतावनी दी थी। रविवार 25 जून को 10 दिन पूरे हो चुके हैं और बालको प्रबंधन की ओर से किसी तरह का कोई प्रतिउत्तर भाजपा जिलाध्यक्ष को नहीं दिया गया है न ही किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है। स्वाभाविक रूप से बालको प्रबंधन द्वारा भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ राजीव सिंह की चेतावनी को हल्के में लिया गया है।
राजस्व मंत्री की सीधी चोट से भाजपा की छवि को लगा धक्का
हालांकि अभी भी भाजपा नेतृत्व के पास हसदेव नदी से सीधे निगम क्षेत्र के लोगों को डेंगुर नाले से बालको द्वारा प्रवाहित किए जा रहे विषैले पानी को पिलाकर जनजीवन के जीवन और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किए जाने का गंभीर विषय सामने है और सबसे बड़ी बात यह है कि इस विषय पर अभी तक कोई खुलकर विरोध दर्ज नहीं करा सका है। जिला भाजपा नेतृत्व अगर “नमामि गंगे” की तरह “नमामि हसदेव” जैसा वृहद आंदोलन इस अनछुए गंभीर विषय पर छेड़ती है तो कोरबा जिले में ही नहीं बल्कि जांजगीर-चाम्पा जिले तक इस आंदोलन की गूंज सुनाई देगी लेकिन ऐसा करने के लिए साहस चाहिए क्योंकि यह आंदोलन लंबा चल सकता है।
न्यूकोनोसिस नामक बीमारी में राख के कण फेफड़े में जाकर जमा हो जाते हैं। राख के कारण कैंसर हो सकता है लंग कैंसर हो सकता है और अस्थमा जिसे है उसका अस्थमा बढ़ सकता है। प्रदूषित हवा में सांस लेने से पूरे शरीर में ऑक्सीजन प्रदूषण के कारण कम पहुंचता है और खून में ऑक्सीजन कम पहुंचने से पूरे शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। अगर आदमी बीमार है और साथ में उसे शुगर बीपी है तो प्रदूषित हवा में सांस लेकर बीमारी के बढ़ने के चांस भी हैं। राख के कारण अस्थमा, न्यूकोनोसिस, कैंसर तीन बड़ी बड़ी बीमारियां तो हो ही सकती हैं। प्रदूषण के कारण लोगों के बाल भी झड़ रहे हैं और त्वचा संबंधी रोग भी इसके दुष्प्रभाव के रूप में सामने आ रहे हैं।