NRI अमित सिंघल : अमेरिका में PM मोदी के देशतोड़क शक्तियों के दूषित प्रोपेगंडा पर कड़े प्रहार के ऐतिहासिक शब्द

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा का महत्त्व बहुआयामी है। प्रधानमंत्री का भव्य स्वागत, भारत-अमेरिका सम्बंधो की प्रगाढ़ता बारे में लिखा जा रहा है। लेकिन सूक्ष्म संदेश (subtle messaging) के स्तर पर प्रधानमंत्री महोदय काफी कुछ कह गए, भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दिया एवं देश तोड़क शक्तियों को करारा प्रतिउत्तर दिया।

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उदाहरण के लिए, संयुक्त राष्ट्र परिसर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि योग भारत से आता है और यह बहुत पुरानी परंपरा है। लेकिन सभी प्राचीन भारतीय परंपराओं की तरह यह भी जीवंत और गतिशील है। योग निःशुल्क है – कॉपीराइट से मुक्त, पेटेंट से मुक्त, और रॉयल्टी भुगतान से भी मुक्त है।

न्यू यॉर्क टाइम्स ने इस कार्यक्रम एवं प्रधानमंत्री के कथन की महत्वता को पकड़ लिया। यह लिखता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस प्रथा (योग) के गैर-सांप्रदायिक (nondenominational) पहलू पर जोर दिया, जिसकी जड़ें हिंदू आध्यात्मिकता में हैं। अधिक लिखना उचित नहीं होगा, लेकिन मेरे विदेशी सहयोगी योग में भाग लेकर उत्साहित थे और प्रधानमंत्री जी के उपरोक्त वक्तव्य को कोट कर रहे थे।

फिर अमेरिकी संसद को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने जोर दिया कि लोकतंत्र हमारे पवित्र और साझा मूल्यों में से एक है। पिछले वर्ष भारत ने हमने किसी न किसी रूप में एक हजार वर्षों के विदेशी शासन के बाद, आजादी की 75 वर्षों से अधिक की उल्लेखनीय यात्रा का महोत्सव मनाया।

ध्यान दीजिये, प्रधानमंत्री महोदय अमेरिकी संसद को भारत के ऊपर एक हजार वर्षों के विदेशी शासन की बात कर रहे है, जब कि कांग्रेस एवं वामपंथी केवल 200 वर्षो की अंग्रेजी गुलामी की बात करते है (जबकि औपनिवेशिक अंग्रेजो के साथ इनके घनिष्ट सम्बंध अब सभी को पता है), जैसे कि बाबर, खिलजी इत्यादि कदाचित भारत के मूल निवासी थे।

मोदी जी ने कहा कि एक जीवंत लोकतंत्र का नागरिक होने के नाते वह बतलाना चाहते है कि लोकतांत्रिक भावना के विकास में भारत लोकतंत्र की जननी है और भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है। आगे बताया कि भारत में 2500 से अधिक राजनीतिक दल हैं। दोहराया कि हां, आपने सही सुना- दो हजार पांच सौ। भारत के विभिन्न राज्यों में लगभग बीस अलग-अलग पार्टियां शासन करती हैं। लगभग 15 लाख निर्वाचित महिलाएं विभिन्न स्तरों पर हमारा नेतृत्व करती हैं और वह है स्थानीय सरकारों के रूप में हैं।

आगे कहा कि वेद दुनिया के सबसे पुराने धर्मग्रंथों (ध्यान दीजिए – धर्मग्रन्थ) में से एक हैं। वे हजारों साल पहले रचित मानवता का एक महान खजाना हैं। उस समय, महिला ऋषियों ने वेदों में कई छंदों की रचना की। एक तरह से स्थापित किया कि हिन्दू धर्म प्राचीनतम धर्म है जिसमे महिलाओ की सहभागिता है (अन्य धर्मो की तुलना में जहाँ महिलाएं पुजारी नहीं बन सकती; धर्म स्थल में प्रवेश नहीं कर सकती)।

अंत में भारत के तीव्र विकास को हाईलाइट करते हुए कहा कि जब मैंने प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार अमेरिका का दौरा किया, तो भारत दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। आज भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और, भारत जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। हम न केवल विकसित हो रहे हैं बल्कि तेजी से बढ़ भी रहे हैं। जब भारत बढ़ता है तो पूरी दुनिया बढ़ती है।

अर्थात, भारत की प्रगति में ही अमेरिका एवं अन्य राष्ट्रों की प्रगति संभव है।

इसके पूर्व राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि भारतीय और अमेरिकी दोनों समाज और परिवार में संबल पाते हैं, और स्वतंत्रता को महत्व देते हैं, सार्वभौमिक मानवाधिकारों के लोकतांत्रिक मूल्यों का उत्सव मनाते हैं। भारत, जो सबसे अधिक जनसँख्या वाला देश है, एक लोकतंत्र है।

भारत द्वारा कोरोना वैक्सीन 150 देशो को उपलब्ध करवाना, आपदाओं के समय मदद करना, अन्य देशो को अन्न, स्वच्छ ऊर्जा एवं तकनीकी सहायता देना का उल्लेख करते हुए मोदी जी ने अमेरिकी संसद में जोर देकर कहा कि भारत क्षमताओं का निर्माण करते हैं, निर्भरता का नहीं। एक तरह से चीन पर चोट कर दी।

देशतोड़क शक्तियों के दूषित प्रोपेगंडा पर कड़ा प्रहार कर दिया।

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