5 अगस्त को पंचक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रखेंगे श्रीराम मंदिर की आधारशिला…?
5 अगस्त को पंचक है और शतभिषा नक्षत्र भी,जिसे कि राहू का कारक माना जाता है।पंचक में शुभ कार्य वैसे भी निषेधित किए गए हैं।इसके विपरीत 3 अगस्त को पूर्णिमा है, मोदी सरकार के लिए महत्वपूर्ण दिन सोमवार के साथ श्रवण नक्षत्र है, इस नक्षत्र के 3 तारों को श्रीविष्णु के वामन अवतार के 3 पग माने गए हैं।ये 3 तारे महादेव के त्रिशूल के भी प्रतीक माने गए हैं।
लगभग 70 वर्षों से अटके हुए कोर्ट में देश के सबसे बड़े विवादित मामले राम जन्म भूमि के मुद्दे पर फैसला आने के बाद मंदिर निर्माण की दिशा में निर्माण कार्य शीघ्र ही शुरू होने वाला है। जैसा कि बताया जा रहा था कि 3 अगस्त और 5 अगस्त की दो तारीख प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई थी। अब प्रधानमंत्री कार्यालय से 5 अगस्त की तारीख को मंदिर की नींव की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए जाने को निर्धारित किया गया है।
कुछ खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि 5 अगस्त को ही क्यों आधारशिला की तारीख प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा चुनी गई है। बताया जा रहा है कि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग है तो कहीं पर खबर फैल रही है कि भादो का दूसरा पक्ष है और इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र भी है जो कि धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। आपको बता दें कि 5 अगस्त को सुबह कोरबा लोकेशन पर शतभिषा नक्षत्र सुबह लगभग 9:31 बजे आरंभ हो जाएगा (शतभिषा नक्षत्र राहु का कारक माना जाता है)और दिल्ली में इसका समय 15 से 20 मिनट तक आगे-पीछे सकता है।खबरों में बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 बजे पहुचेंगे तथा ताम्रकलश की स्थापना कर नींव पूजन करेंगे।
ज्योतिष शास्त्र में मेरी भी रूचि है, सो इस संबंध मे पंचांग को मैंने देखा तब यह बात निर्विवाद रूप से स्थापित हो गई कि 5 अगस्त को सर्वार्थसिद्धि योग नहीं है बल्कि 4 अगस्त से पंचक दिल्ली टाइम के अनुसार रात 8:47 से चालू हो रहा है जो दिल्ली लोकेशन के अनुसार पंचक 9 अगस्त शाम 7:07 इसका प्रभाव रहेगा।
मंगलवार से आरंभ होने वाला पंचक अग्नि पंचक के नाम से जाना जाता है। पंचक में समस्त प्रकार के शुभ कार्यों का करना वर्जित मान जाता है इसके बावजूद 5 अगस्त की तिथि को क्यों चुना गया है, यह तथ्य समझ से परे है। अगस्त 2020 में आरंभ होने वाला पंचक मंगलवार से शुरू होगा और मंगलवार से शुरू होने वाले पंचक के बारे में कहा जाता है कि अपना हक प्राप्त करने और कोर्ट कचहरी के मामले के लिए यह सही होता है लेकिन मंगलवार से आरंभ होने वाले पंचक में नए निर्माण कार्य पर निषेध किया गया है, तथापि यह भी तय है कि भिन्न-भिन्न दिवस में चालू होने वाले पंचक अपना अलग-अलग प्रभाव छोड़ते हैं।
अब जो कुतर्क करते हैं कि ये मुहूर्त वगैरह कुछ नहीं होता।उनसे मैं यही कहूंगा कि लगभग 4 लाख किलोमीटर दूर चन्द्रमा पृथ्वी के 70% भाग पानी को हिला(ज्वार-भाटा) देता है। मानव शरीर के पानी में जो लगभग 70% है में हलचल कर मनोविकार उत्पन्न कर देता है। अफ्रीका के क्षेत्रफल के बराबर का छोटा सा उपग्रह चांद जब इतना असर करता है तो बाकी विशालकाय ग्रहो के प्रभावों को नकारा नहीं जा सकता। ऐसे में पंचक के असर को भी नकारा नही जा सकता।
पंचक का एक बड़े प्रभाव को मैंने करीब से देखा है जब मेरी अम्मा का देहांत हुआ और हमें ध्यान में नही होने के कारण पंचक की पूजा अर्चना नहीं कराई।ऐसी मान्यता है कि पंचक पूजन न करने पर 5 लोगों की मौत होती है और ये सही साबित हुआ था, जब अम्मा के दशगात्र के रोज मेरे चचेरे भाई का कार एक्सीडेंट में निधन हुआ, तब हमने तत्काल पंचक पूजन कराया।
3 अगस्त का मुहूर्त सही कहा जा सकता है क्योंकि इस दिन पूर्णिमा है और श्रवण नक्षत्र जो कि भगवान विष्णु का नक्षत्र माना जाता है और इसके 3 तारों को वामन अवतार के 3 पग कहा गया है। श्रीराम भी विष्णु के अवतार हैं। कुछ विद्वानों ने श्रवण नक्षत्र के इन 3 तारों को महादेव के त्रिशूल से जोड़ा है। इसके साथ ही खास बात यह भी है कि इस दिन सोमवार है और सर्वार्थसिद्धि योग भी है सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह भी है कि मोदी सरकार के लिए सोमवार का दिन हमेशा महत्वपूर्ण कामों के लिए, फैसलों के लिए बेहद शुभ साबित हुआ है।
मुहूर्त के कई वैज्ञानिक आधार के कारण ही पश्चिमी जीवनशैली में डूबे होने के बावजूद, चाहे बच्चे के गर्भाधान की बात हो, जन्म की बात हो, नामकरण की बात हो, गृह प्रवेश या व्यापार प्रारंभ करने की बात हो हम जानकर ज्योतिषी के पास जाकर शुभ मुहूर्त में काम शुरु करते हैं।
बहरहाल ये मेरे स्वयं के विचार है।जो मुझे समझ आया,वो मैंने व्यक्त किया है।फिर भी समूचे विश्व के लिए इस ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कार्य को लेकर विद्वान ज्योतिषियों की राय लेकर निर्णय लिया जा सकता है। 5 अगस्त को सरकार के पिछले वर्ष लिए फैसले को लेकर जोड़ा जा रहा है लेकिन मुहूर्त की दृष्टि से इसे बेहतर बारीकी से विद्वान ज्योतिषी ही बता पाएंगे..जय श्रीराम