वनविभाग का बालको प्लांट में गुप्त दौरे का रहस्य..? सवा अरब की वसूली करने 1100 मीटर पास के कोर्ट जाने समय नहीं लेकिन 6 किलोमीटर दूर बालको प्लांट पहुंच गए..!!

वनविभाग द्वारा बालको प्रबंधन से लगभग सवा अरब रुपयों की वसूली का प्रकरण अभी भी अधर में अटका हुआ है। वनविभाग द्वारा कोई ठोस कार्यवाही अभी तक बालको प्रबंधन के खिलाफ रुपयों की वसूली को लेकर नही की गई है लेकिन शनिवार को वनविभाग की टीम बालको प्लांट पहुंच गई। 
वनविभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को सवा अरब रुपयों की वसूली के लिए जिला न्यायालय जाकर वाद दायर करने की आवश्यकता है जिससे शासन को होने वाली हानि को रोका जा सके।
पहले तो वनविभाग बालको प्रबंधन को पत्र लिखकर ही प्रेम जता रहा था और जब समूचे प्रेमपत्रों की पोल पूरे जिले में, प्रदेश में आम लोगों, शासन-प्रशासन, सत्ता-विपक्ष से जुड़े सभी लोगों की बाजदृष्टि में आईं तो “तेरी मेरी प्रेम कहानी किताबों में भी न मिलेगी..” के अंदाज़ में सीधे बालको पहुंच गई वनविभाग की टीम..आखिर क्यों..? यह यक्ष प्रश्न है!! जबकि वसूली के लिए जाना कोर्ट था।
बालको प्लांट में ऐसा क्या काम वनविभाग को पड़ गया?  इस दौरे को लेकर इतनी गोपनीयता क्यों बरती जा रही है ? जानकर सूत्रों के अनुसार वनविभाग की टीम में CCF के लोग भी थे।
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उल्लेखनीय है कि बालको प्रबंधन से वनविभाग को माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के द्वारा जारी आदेश माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर का पत्र कमांक / 5328/96 में पारित आदेश 06.02.2009 एवं रिट अपील कमांक 69/2009 में पारित आदेश दिनांक 25.02.2009 के बाद से वनविभाग के अनुसार वर्तमान राशि एक अरब बाईस करोड़ चौदह लाख सत्ताईस हजार तीन सौ पंचानवे रुपये की वसूली के लिए वनविभाग के द्वारा बालको को लगातार स्मरण पत्र लिखा गया है। एक प्रकार से देखा जाए तो लगातार स्मरण पत्र जारी कर वनविभाग द्वारा “अंतिम पत्र है” “कानूनी कार्यवाही करेंगे” “180 वन अधिनियम के तहत कार्यवाही करेंगे” मात्र “चेतावनी भरे पत्र लेखन” की परंपरा का औपचारिक रूप से निर्वहन किया गया है और अगर नहीं की गई है तो “ठोस कार्यवाही।”
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 बालको प्रबंधन बिना किसी तरह की अनुमति के सतरेंगा वनक्षेत्र में राख डंप कर रहा है और वनविभाग के अधिकारी कार्यवाही करने के स्थान पर बालको घूमने जा रहे हैं..पढ़े इस लिंक पर…
बालको प्रबंधन का प्रताप.. जंगल में राख की आग.. किस गुफा में सोया वन विभाग.. 420,120बी में प्राथमिकी..? सांसद पर टिकी अंतिम आस…!! http://veerchhattisgarh.in/?p=10960
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गंभीरता से वनविभाग कोरबा द्वारा अगर कार्यवाही की गई होती तो अब तक बालको प्रबंधन के द्वारा छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार रुपये जमा कर दिया गया होता लेकिन वनविभाग और बालको दोनों ही गाय-बिल्ली का खेल खेलकर शासन-प्रशासन-आमजन की आंखों में धूल झोंक रहे हैं।
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बालको के विरुद्ध वनविभाग के द्वारा अवमानना याचिका दायर करने में किस प्रकार की घोर लापरवाही जानबूझकर बरती गई थी..इस लिंक पर पढ़ें…
बालको वनविभाग का 1.22 अरब दबाने के बाद भी दिखा रहा आंखे..अवमानना याचिका.. सरकार किसी की हो सिस्टम.. http://veerchhattisgarh.in/?p=11471
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सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसा क्या काम वनविभाग को पड़ गया कि शनिवार को बालको प्लांट पहुंच गए। होना तो यह चाहिए था कि वनविभाग को बालको प्रबंधन से एक अरब बाईस करोड़ चौदह लाख सत्ताईस हजार तीन सौ पंचानवे रुपये की वसूली के लिए अपने विभाग में बुलाया जाता या फिर वसूली के संबंध में एक पत्र फिर लिखा जाता लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और खुद ही वनविभाग बालको प्रबंधन के दरवाजे पर पहुंच गया.. क्यों???
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सवा सौ अरब रुपयों की वसूली के लिए वनविभाग को बालको के पास लगभग 5 km हाजिरी देने जाने के स्थान पर अपने कार्यालय से मात्र 1100 मीटर पास के जिला न्यायालय में ये लिंक पढ़कर काम करे तो रुपये लगभग 4 से 5 महीनें के भीतर वसूल हो जाएंगे…
बालको से 1.22 अरब की वसूली..लेटर नहीं इस मैटर पर आए वनविभाग.. हाईकोर्ट अधिवक्ता अजय राजवाड़े बोले शीघ्र वसूल होगा ऐसे.. तिलस्म टूटेगा “अक्सर” का…?? http://veerchhattisgarh.in/?p=11602
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1100 मीटर पास कोर्ट में सवा अरब वसूली के लिए वाद दायर करने का समय नहीं लेकिन 5 kilomitar दूर बालको प्लांट जाने के लिए समय है। वनविभाग की ऐसा करने के पीछे मंशा क्या है?
वर्ष 2008 में भी यही हुआ था जब वनविभाग के कार्यालय से मात्र 1100 मीटर पास ही कलेक्ट्रेट परिसर तक की दूरी तय नहीं की जा सकी थी और राजस्व प्रकरण क्रमांक – 41/अ-62/06-07 में बालको विरुद्ध छत्तीसगढ़ शासन में वनविभाग से कोई न्यायालयीन कार्यवाही में उपस्थित नहीं हुआ और सारा प्रकरण एकपक्षीय बालको के पक्ष में हो गया था।
पूरे जिले में, प्रदेश में आम लोगों, शासन-प्रशासन, सत्ता-विपक्ष से जुड़े सभी लोगों की बाजदृष्टि वनविभाग द्वारा बालको प्रबंधन से सवा अरब रूपये की वसूली पर टिकी हुई है और ऐसे में वनविभाग के अधिकारियों के द्वारा बालको का दौरा करना अनेक संदेहों को जन्म देता है।
क्या कारण है जो प्यासा कुंवे के पास नहीं गया वरन कुंवा खुद प्यासे के पास चलकर गया…क्या है इसका तिलस्मी रहस्य..??
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बालको पर कलेक्टर संजीव झा की चेतावनी का होगा असर?? http://veerchhattisgarh.in/?p=11355
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