कौशल सिखला : आखिर कोई तो बात होगी राहुल गांधी में ?

आखिर कोई तो बात होगी राहुल गांधी में ?
जो देश विदेश की वामपंथी लॉबी , दुनियाभर में फैले अर्बन नक्सल्स , बीबीसी , कैंब्रिज और अमेरिकी अखबार उनके मुरीद हो रहे हैं ?
जेएनयू , जामिया , जादवपुर , अलीगढ़ और हैदराबाद उस्मानिया विश्व विद्यालयों के छात्र , देसी विदेशी टूल किट्स , कांग्रेस पार्टी और देश का एक सामाजिक हिस्सा , सब राहुल के मुरीद कैसे हो गए , चाहे वे चीन हो या पाकिस्तान ?
कुछ तो होगा , पर आखिर ऐसा क्या है राहुल में !

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राहुल ने एक हिस्से पर पकड़ तो बनाई है । इसके बावजूद वे विपक्ष द्वारा सामूहिक रूप से प्रोजैक्ट नहीं हो पा रहे । जब भी मोदी के विकल्प की बात आती है , तमाम विरोधी पार्टियां होंठ सिल लेती हैं । ममता , अखिलेश , केसीआर , केजरीवाल , नीतीश , शरद पवार आदि नेताओं ने एक बार भी नहीं कहा कि राहुल हमारे नेता होंगे । मजेदार बात यह कि राहुल की उम्मीदवारी से चेन्नई में स्टालिन के जन्मदिन मंच पर खड़गे भी इंकार कर आए । कहते हैं कि अभी से कह दिया तो विपक्षी तराजू के पलड़े से लोग मेढकों की तरह कूदकर भाग जाएंगे । तो फिर वामपंथी , पाकिस्तानी एवम चीन समर्थक लाबियां राहुल को प्रोजैक्ट करने में क्यों जुटी हुई हैं ?

इसका जवाब इंटरनेशनल मीडिया और टूल किट्स के पास मौजूद है । ये एजेंसियां बड़ी चालाक और चतुर सुजान हैं । देश की जनता में मोदी ने जो व्यक्तिगत पैठ बनाई है , ये अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां जानती हैं । छन छन कर जानकारियां आ रही हैं कि मोदी को दुनिया में बदनाम करने का सुनियोजित प्रयास निबंधों तक के माध्यम से किया जा रहा है । कनाडा और अमेरिका में बैठे खालिस्तानी चाहते हैं कि भारत में किसी भी सूरत में मोदी जैसी मजबूत सरकार न आने पाए । उन्हें भी राहुल सरकार सूट करती है । इस सबके बावजूद वामपंथी लॉबी विपक्षी एकता को लेकर खासी चिंतित है । लीडर के नाम पर बिखराव से टूल किट्स भी कम बेचैन नहीं हैं ।

समझ ही गए होंगे कि शुरुआती प्रश्न का उत्तर क्या है ? यही तो बात है राहुल गांधी को प्रोजैक्ट करने के पीछे । मोदी का खौफ इस कदर व्याप्त है कि कहीं वे 2024 में फिर से तिबारा न आ जाएं । मोदी सरकार के आने के बाद जितनी भी बड़ी बड़ी उपलब्धियां हुई हैं , विपक्षी लाबियाँ उन्हें नकारती रही हैं । लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन उपलब्धियों का खासा संज्ञान लिया जाता है । खास बात यह है जो मतदाता वोट देता है , वह सब जानता है । क्या लाबियों और टूल किट्स की मदद से राहुल गांधी चुनाव जीत सकते हैं ? या सचमुच उन्होंने इतना काम कर डाला है , जो मोदी को फेल कर दे ? इन्हीं मजेदार सवालों का जवाब देगा अगला लोकसभा चुनाव ।

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