कौशल सिखौला : सोनिया और प्रियंका ने स्त्री होते हुए भी इस बारे में जुबान नहीं खोली.. विपक्षी दलों ने भी…
नीतीश कुमार.. उनके सहयोगी तेजस्वी भी और उनकी पीठ थपथपाती बिहार कांग्रेस भी । सवाल डॉट इंडिया से भी पूछते हैं। क्या नीतीश अभी भी आपके नेता हैं ? और नीतीश कुमार , क्या नारी जाति को मात्र भोग्या बताने के बाद भी आप में हिम्मत है कि आप इंडिया गठबंधन की बैठकों में भाग ले सकें ? उससे पहले यह कि क्या आप बिहार विधानसभा की कार्रवाई में भाग ले पाएंगे ?
क्या आप अपनी कैबिनेट का सामना कर पाएंगे ? नीतीश बाबू माफी की जंगल जलेबी बनाकर क्या समझते हैं कि आप की गलती को जनता या स्त्रियां माफ कर देंगी ? यदि आप हां कहते हैं तो आप सचमुच सठिया गए हैं । आपकी बेशर्म मानसिकता का इलाज त्यागपत्र भी नहीं है । अक्ल से बुढ़ियाते नेता को राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए । घर बैठिए सुशाशन बाबू ! देख ली आपकी अय्यारियां । आपको धिक धिक कह रही देश की सन्नारियां।
लंबे अरसे से इंडिया गठबंधन यूं ही ठंडा पड़ा था । नीतीश को कम से कम अब तो कोई डॉट इंडिया का संयोजक नहीं बनाएगा। वैसे बनाता पहले भी नहीं । वे इसीलिए नाराज भी थे । दरअसल लालू ही नहीं चाहते थे कि उन्हें इंडिया में कोई अहम रोल दिया जाए। नीतीश अब किस मुंह से कहेंगे कि डॉट इंडिया उन्हें पीएम फेस बनाए ? नीतीश साहब , डॉट इंडिया सदन में आंखें चलाने वालों को पीएम फेस बनाएगा , आप जैसे बैडरूम वक्ता को नहीं।
अफसोस कि जिस बिहार ने देश को स्वनाम धन्य जेपी और डा राजेंद्र प्रसाद जैसे महान नेता दिए उस बिहार को विधानसभा में बैडरूम बिछा देने वाले नेता के बयान सुनने पड़े । वे भी एक सदन में नहीं विधानसभा और विधान परिषद के दोनों सदनों में । मानों ठान के आए हों कि औरत को बेपर्दा कर के रहेंगे । आश्चर्य की बात है कि कांग्रेस , आरजेडी, जेडी , सपा आदि पार्टियों के प्रवक्ता टीवी चैनलों पर बैठकर बड़ी बेशर्मी से नीतीश का बचाव कर रहे हैं ?
कोई भी विपक्षी नेता नीतीश से नहीं पूछ रहा कि साहेब बात क्या है ? विपक्षी नेताओं ने होंठ सिलकर यह साबित कर दिया कि उनकी नजरों में नारी सम्मान कितना है ? दुःख हुआ कि सोनिया और प्रियंका ने स्त्री होते हुए भी इस बारे में जुबान नहीं खोली । उन्हें नीतीश की जुबान पर इसलिए एतराज नहीं चूंकि वे डॉट इंडिया के नेता हैं । इस बात का किसी विपक्षी नेता को अफसोस नहीं । ममता की चुप्पी भी असहनीय है और विपक्षी महिला सांसदों की भी । समय कह रहा कि नीतीश को अब सक्रिय राजनीति को अलविदा कह देना चाहिए । आजकल वे जिस तरह भूलने लगे हैं , उसका इशारा डायमेंसिया रोग की तरफ है।