बागेश्वर बाबा ..टारगेट पर हिंदू, हिंदुत्व और मोदी क्यों…? 23 जनवरी को करेंगे चैलेंज…!
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भक्तों को प्रवचन देकर हर समस्या के समाधान की बात करते हैं और भक्त भी मानते हैं कि बिना समस्याए बताए मन की बात पढ़कर वे समाधान करते हैं। छतरपुर के बागेश्वर धाम में प्रतिदिन धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का दरबार सजता है। जहां हजारों की भीड़ उमड़ती है। दावा है कि धीरेंद्र शास्त्री सभी के समस्याओं का समाधान करते हैं। इनकी ख्याति इतनी कि कई लोगों को विश्वास है कि अगर बागेश्वर धाम के दिव्य दरबारमें एक बार अर्जी लग जाए तो किस्मत बदल जाती है। लेकिन धीरेंद्र कृष्ण को लेकर विवाद की शुरुआत तब हुई जब उनके इस चमत्कारी दावे को नागपुर में चुनौती दे दी गई।
चूंकि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का 2 वर्ष तक का शेड्यूल सेट रहता है और नागपुर में 7 दिन के बाद 2 दिन अतिरिक्त रुकना संभव नहीं था, सो सहज भाव से उन चुनौती देने वाले को रायपुर आने के लिए आमंत्रित किया।
- प्रबुद्ध वर्ग का मानना है कि अंधश्रद्धा समिति को से पूछा जाना चाहिए कि गैर हिंदुओं के अंधविश्वासों पर उसने कब और कितने सवाल उठाये हैं। वैसे एक अन्य चैनल ने खुलासा किया है कि चुनौती देने वालों के यूट्यूब पर हिंदुओं की आस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़े किए गए हैं।
- लोगों का कहना है कि साधना से क्या-क्या संभव है, वो केवल वही समझ सकते हैं जिनकी उस विषय में आस्था है।
किसी का सिंहासन नहीं डोल रहा पर…
वही दूसरी तरफ वे मठाधीश भी गहन कोमा की स्थिति में हैं जिन्हें मात्र 26 वर्ष के खिलंदड़ अंदाज़ के में अपना भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है, जबकि शास्त्री जी ने किसी तरह की चुनौती उनको नहीं दी है। बरसो तक बड़े-बड़े पीठ पर रहकर भी उतनी प्रसिद्धि प्राप्त नहीं कर सके जितना बाबा बागेश्वर ने 4 दिनों में पा लिया, संभवतः इस बात की कसक भी में है। इसलिए सिर्फ विरोध करने के नाम पर विरोध कर रहे हैं, ताकि इसी बहाने पब्लिक में चेहरा दिख जाए।
जनमानस में भ्रम फैलाया जा रहा है कि धीरेंद्र शास्त्री ने संस्थान की चुनौती को स्वीकार नहीं किया और वे डरकर नागपुर से वापस लौट आए हैं। लेकिन आचार्य धीरेंद्र शास्त्री का कहना है कि वह किसी के डर या चुनौती से नहीं वापस आए हैं, उन्हें किसी के भी प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है।
उनका कहना है कि हम 7 दिन की ही कथा करते हैं। बागेश्वर महाराज का कहना है कि मैं चुनौती स्वीकार करता हूं, जिसे चमत्कार देखना वो बागेश्वर दरबार में आए। उन्होंने कहा, ”श्याम यहां रायपुर आए, टिकट का खर्च मैं दूंगा।”
चैलेंज देने वाले चेहरा नहीं दिखा रहे
बागेश्वर धाम वाले बाबा पंडित धीरेंद्र कृष्ण ने रायपुर में चुनौती देते हुए दिव्य दरबार लगाया। उन्होंने कहा कि नागपुर वालों को मैंने रायपुर आने को कहा था। यदि यहां आ गए हो तो सामने आओ, तुम्हारी ठठरी बांध देंगे और तुम्हें गीला करके भेजेंगे।”
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 23 जनवरी तक वे चुनौती देने वाले श्याम मानव की प्रतीक्षा करेंगे।
ये सनातन विरोधी लोग हैं’
लेकिन धीरेंद्र शास्त्री का कहना है कि चैलेंज मिलने पर कथा छोड़कर जाने वाली बात गलत है। वो नागपुर से भागे नहीं थे। उन्होंने पहले ही बता दिया था कि नागपुर में 7 दिन का उनका कार्यक्रम है। अगर किसी को शिकायत थी तो उन्हें तभी आना चाहिए था जब नागपुर में उनका दरबार लगा था। इसलिए जो लोग उन पर आरोप लगा रहे हैं वो आरोप साजिश के तहत लगा रहे हैं और ये सनातन विरोधी लोग हैं।
लेखक-चिंतक सर्वेश कुमार तिवारी सिद्धि को लेकर कहते हैं – “ऐसी सिद्धि लोग प्राप्त करते रहे हैं इसकी लम्बी परम्परा रही है। यह सिद्धि प्राप्त करने वाले वे न पहले व्यक्ति हैं और न ही अंतिम। उनके बाद भी लोग हनुमान जी महाराज की कृपा से इस सिद्धि को प्राप्त करते रहेंगे, क्योंकि सनातन परंपरा में इसका स्पष्ट विधान है। इसपर आप भरोसा करें या न करें, यह आपका नितांत व्यक्तिगत चयन है। पर आप इसे खारिज नहीं कर सकते, क्योंकि हमारी परम्परा में इन सिद्धियों का विधान है, इसकी शिक्षा-दीक्षा होती रही है।”
प्रसिद्ध लेखिका टीशा अग्रवाल लिखतीं हैं – ” इसी तरह बागेश्वर धाम वाले शास्त्री जी को मानना न मानना भी ‘पर्सनल चॉइस’ है। सोचिए सिर्फ एक बालाजी का भक्त केवल अपनी जगह बैठकर हुंकार भर रहा है, तो ही हर जगह खलबली मच गई है…अगर यह हजार हो गए तो क्या होगा!
‘माह बॉडी माह चॉइस..माह लाइफ माह रूल्स’ को जब हम इतनी आसानी से स्वीकार करते हैं तो हमे अपनी आस्था और उनके अस्तित्व को स्वीकारने में क्यों हिचकिचाहट है?”
प्रसिद्ध फ़िल्म समीक्षक ओम लवानिया ‘प्रोफेसर-लेक्चरर’ लिखते हैं – ” बागेश्वर धाम सरकार के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी दिव्य दरबार में देखें, तो यही तो आशीर्वाद होते है। जो बजरंगबली देते है। उनका जरिया धीरेंद्र जी है। इन मिशनरियों को सनातनी आशीर्वाद में अंध विश्वास नजर आने लगा। खड़े होकर रुदन मचाने आ गए। वैसे यह लोग सीधे तौर पर कभी न आएंगे। क्योंकि इनकी पॉलिसी है कि एक ही वर्ग को आपस में भिड़वाते है। बागेश्वर धाम मामले में भी यही हुआ है।”
आगे वे लिखते हैं – “इन लोगों के दर्द का कारण कांतारा भी बनी थी। जब इसे अंधविश्वास फैलाने वाला कंटेंट करार दिया था। जबकि दैव्य वनवासी समाज की संस्कृति से जुड़े हुए है।”
सुप्रसिद्ध पत्रकार, इतिहासकार देवांशु झा हंसी के अंदाज़ में कहते हैं – ” भिया, आपके कहने पर फटी हुई धरती को सिलने का चमत्कार थोड़े न होगा! चमत्कार कोई फरमाइशी फिल्मी गीतों का कार्जक्रम है का? चमत्कार हो गया!!
नहियों हुआ तो कोय बात नहीं है। बाबा का समर्थन जारी रहेगा। वह भी डंके की चोट पर। “
रायपुर के बुद्धिजीवी चिंतक पंकज कुमार झा चैलेंज करने को लेकर कहते हैं – ” हमारी आस्था इतनी कमजोर होनी भी नहीं चाहिये। मुहताज भी नहीं होनी चाहिये ऐसे किसी प्रमाण पत्र की। पात्रता पहले ‘परीक्षक’ की होती है। कोई भी मुंह उठाए किसी की परीक्षा लेने लगे, तब तो हो गया। आम पढ़ाई-लिखाई में भी परीक्षा का अधिकार आपसे किसी अधिक योग्य जो शिक्षक होते हैं, उन्हें ही मिलता है। तो यह तो खैर सनातन की बात है। इसका परीक्षा किसी ‘दानव’ को लेने का अधिकार हम कैसे दे सकते हैं भला? “
आगे वे कहते हैं – “एक ने कहा कि वे गीता को मानते हैं, चमत्कार को नहीं। अब ऐसे शठ को क्या समझायें कि स्वयं योगिराज श्रीकृष्ण ने गीता के बीच ही अपना चमत्कार से भरा रूप दिखला कर ‘भारत’ का मोह दूर किया था।”
अधिवक्ता योगेंद्रनाथ शर्मा का मानना है कि बागेश्वर धाम पर प्रश्न उठाने वाले चैनलों में कम से कम दो घंटे ज्योतिष, टैरो रीडिंग आदि के प्रोग्राम होते हैं। क्यों? क्योंकि उसकी TRP है। यह आक्रमण अचानक नहीं, सुनियोजित है। धीरेन्द्र शास्त्री जी आदिवासी क्षेत्रों में धाम के खर्चे पर कथा कहते हैं, जहाँ कन्वर्जन सर्वाधिक है।”
एक पढ़े-लिखे कांग्रेसी नेता नाम न लिखने की शर्त पर कहते हैं – “यदि आप तरंगों में बायनरी डेटा के लाने-ले जाने की क्षमता को नहीं समझते, तो आपको मोबाइल फोन से बात करना चमत्कार ही लगेगा। आपने कभी किसी साधक को देखा ही नहीं, आपको सलीम-जावेद वाली घटिया नैरेटिव वाली फिल्मों से अपने धर्म का ज्ञान मिला है, तो आपको ये सब ढोंग ही लगेगा।”
स्वामी रामदेव का कहना है कि कुछ पाखंडी धीरेन्द्र शास्त्री पर टूट पड़े हैं और पूछ रहे है कि बालाजी की कृपा क्या है, हनुमान जी की कृपा क्या है ? सब जगह पाखण्ड मत ढूंढो, ये सच है जो दिख रहा है, और जो आंखों से दिख रहा है वो 1 प्रतिशत है।आप लोग सनातन को आगे बढ़ाने के लिए काम करें।”
VDO : श्याम मानव के टारगेट पर हिंदू, हिंदुत्व और मोदी क्यों…?
कैसे अपार जनसमूह को पत्रकार के संबंध में बताकर चमत्कृत किया शास्त्री जी ने..
देखें 5 मिनट का यह vdo…
लिंक में पढ़े किस प्रकार अपने दावे को सच साबित किया बाबा ने..
सभी पंथ के लोग बागेश्वर से जुड़े हैं
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हमसे बहुत मुसलमान जुड़े हैं। बहुत क्रिश्चियन भी आते हैं। अन्य पंथों के लोग भी आते हैं। हम मानव होने के नाते सबकी मदद करते हैं। बस हमारे सामने जो आएगा, वो सनातनी बनेगा। हम बालाजी से प्रार्थना करेंगे। बागेश्वर के महाराज से एक चैनल ने पूछा कि आपके दरबार में जब लोग आते हैं तो वो तड़पने लगते हैं, अपने आपको मारने लगते हैं। उस समय लोगों को क्या हो जाता है? इस पर उन्होंने कहा कि नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा की लड़ाई है। हम कुछ नहीं, हमपर तो कोई प्रेत नहीं चढ़ा है।