बसंत शाहजीत : छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘ले चलहुं अपन दुवारी’ जातिवाद पर कड़ा प्रहार करती प्रेम, हास्य, देशप्रेम से पूर्ण जनजीवन का दर्पण

छत्तीसगढ़ की माटी पर बनी पर बनी फिल्म ले चलहुं अपन दुवारी राज्य के लोगों के जनजीवन का आइना है। यह फिल्म प्रदेश के गांवों में रची बसी मान्यताओं को बताती है। फिल्मों के डायलॉग ऐसे हैं जैसे छत्तीसगढ़ के आम रहवासी हर दिन अपने जीवन में उपयोग करता है।

फिल्म प्रेम कहानी, पारिवारिक हास्य और देशप्रेम से ओतप्रोत है। फिल्म का मूलकथानक प्रदेश के आमजनजीवन में अंतरजातीय विवाह को लेकर बनी धारणा पर करारा प्रहार करता है। जातीय व्यवस्था पर कैसे कुछ लोग अपनी रोटियां सेंक रहे हैं, इसी पर कड़ा जवाब दिया गया है।

बलौदाबाजार जिले में वनग्राम में फिल्माए गए दृश्य आपको रोमोंचित करेंगे।

एक फौजी का देश प्रेम अपने परिवार, समाज व रिश्ते-नातों से कैसे बड़ा है, यह दिखाया गया। फिल्म का अंतिम पांच मिनट आपको बहुत भावुक कर जाएगा।

फिल्म के कलाकारों का शानदार अभिनय बॉलीवुड फिल्म से कमतर नहीं है। कहीं भी किसी दृश्य पर ऐसा महसूस नहीं होगा कि यह फिल्म प्रदेश में रिलीज हुईं कई अन्य चलताऊ फिल्मों की तरह है। इन्हीं चलताऊ फिल्मों की वजह से एक समय हमारे छॉलीवुड फिल्मों का ग्राफ गिराया था। लेकिन यह फिल्म अंधेरे में आशा की एक किरण बनकर आई है।

हमारे प्रदेश की संस्कृति अद्वितीय है। इस संस्कृति जैसा सादापन कहीं और नहीं देखने को मिलेगा। प्रदेश सरकार को बिना देर किए इसे टैक्स फ्री करना आम छत्तीसगढ़िया और फिल्म के क्रू मेंबर के लिए सहयोग होगा।

मोहिनी एलबम से हिट हुईं अभिनेत्री पूजा शर्मा व मुंबई के अभिनेता शील वर्मा का अभिनय बहुत ही प्रशंसनीय है। फिल्म में नाट्य अभिनय के मंजे कलाकार विजय कुमार मिश्रा अमित इसमें अपने डायलॉग से तड़का लगाते हैं।

सुंदर, सहज और अच्छी फिल्म के लिए भैंसा सकरी निवासी साहेब दास मानिकपुरी, फिल्म डायरेक्टर व अंबिकापुर निवासी मृत्युंजय सिंह, कसडोल के कौस्टन साहू, फिल्म के निर्माता देवनारायण साहू और उत्तरा कुमार साहू को तहेदिल धन्यवाद देता हूं।

-बसंत शाहजीत

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