अमित शाह मां सर्वमंगला की नगरी में.. एक तीर से कई निशाने.. BJP के आदिवासी-पिछड़े समर्थकों संख्या बढ़ी.. अरुण साव खीचेंगे बड़ी लकीर.. जयचंद-करमचंद मिलकर कर रहे काम
2023 संग 2024
केंद्रीय मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ सहित मणिपुर, नगालैंड, , झारखंड, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक हरियाणा और पंजाब,त्रिपुरा पर लोकसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए आमजनों से सीधे संवाद करने के लिए निकले हैं। इनमें त्रिपुरा, मणिपुर, नगालैंड, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में इसी वर्ष विधानसभा चुनाव भी हैं, सो विधानसभा के साथ ही लोकसभा चुनाव की भी तैयारी हो जाएगी।
ये सीटें हैं निशाने पर
इनमें सबसे अधिक बल उन 144 सीटों पर दिया जा रहा है, जहां से भाजपा विगत लोकसभा चुनाव में पिछड़ गई थी। कोरबा सीट पर भी भाजपा पिछड़ गई थी। अमित शाह इन्हीं सीटों को अगली जीत के रूप में सुनिश्चित करने निकले हैं। सूत्रों की माने तो कमजोर 160 सीटें मजबूत करने के लिए सारा जोर दिया जा रहा है।
कबीरपंथी मां के जन्म शताब्दी वर्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा था मन को छू लेने वाला ब्लॉग..पढ़िए क्यों जोड़ा था मां का नाम छत्तीसगढ़ के प्रमुख पंथ “कबीरपंथ” से… http://veerchhattisgarh.in/?p=9857
◆छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख पंथ है “कबीरपंथ”.. मां के जन्म के 100वें वर्ष में प्रवेश करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ब्लॉग में अपनी मां को कबीरपंथी लिखा था..छत्तीसगढ़ में कबीरपंथ के फैलाव का श्रेय धनी धर्मदास जी उर्फ़ जुड़ावन साहू को है, ब्लॉग को पढ़कर जानिए PM मोदी ने ऐसा क्यों कहा था..??◆
★वो शुरु से कबीरपंथी रही हैं और आज भी उसी परंपरा से अपना पूजा-पाठ करती हैं।
मोदी के चेहरे के साथ गुजरात मॉडल की बात
छत्तीसगढ़ सहित इस वर्ष के नौ राज्यों के चुनावों में बीजेपी मोदी के चेहरे के साथ-साथ गुजरात मॉडल को भी लेकर ही आगे बढ़ेगी। बीजेपी के संसदीय बोर्ड ने मोदी का चेहरा
तय किया था लेकिन गुजरात मॉडल का प्रचार तो राज्य की रिकॉर्ड जीत से पक्का हो गया है।
छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज के समर्थकों की संख्या बढ़ी..
आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ में भाजपा गुजरात मॉडल के साथ-साथ आदिवासी वोटर पर भी ज्यादा ध्यान दे रही है। इस बात का अंदाजा तो पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव में ही पता चल गया था। ये तो तय है कि बीजेपी ने पहली आदिवासी महिला को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचाया है और आदिवासी समाज के बीच इसका सकारात्मक संदेश भी गया है।
2023 के चुनाव को लेकर प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव का मानना है कि ” बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है जो हर चुनोती के लिए तैयार है छत्तीसगढ़ में बीजेपी के कार्यकर्ता बुथस्तर तक अपनी पकड़ बनाये हुए है. अगर आज भी चुनाव होते है तो बीजेपी उसके लिए तैयार है।”
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जयचंद-करमचंद मिलकर काम कर रहे
भाजपा के कार्यकर्ताओं ने बुथस्तर पर जाकर पार्टी को मजबूती प्रदान की है लेकिन उन नेताओं का क्या जो आपसी गुटबाजी में उलझे हुए हैं ? गुटबाजी के कारण ही 15 साल की सत्ता के बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में सिमटकर रह जाने वाली भाजपा उपचुनावों में भी लगातार मात खाती रही है। जिन्हें टिकट की मलाई नहीं मिलती वे जयचंद के रोल में आ जाते हैं और कोरबा सहित समूचे छत्तीसगढ़ में ऐसे जयचंदो की कमी पहले नहीं थी लेकिन अब जयचंदो की संख्या घट रही है, पार्टी लाइन पर जयचंद-करमचंद मिलकर काम कर रहे हैं।
फिलहाल चुनौती इसलिए बड़ी हो जाती है क्योंकि पार्टी के पास सीएम का कोई चेहरा सामने नहीं है। पीएम मोदी ही सबसे बड़ा चेहरा है और पीएम नरेंद्र मोदी व कमल फूल के निशान की साख पर भाजपा विधानसभा चुनाव की वैतरणी पार करेगी।
बड़ी लकीर खींचेंगे अरुण साव
पार्टी हाईकमान ने पिछड़ा वर्ग के अरुण साव को नेतृत्व सौंपकर निशाना साधा है। तो दूसरी ओर देश के सर्वोच्च पद पर आदिवासी राष्ट्रपति बनाकर आदिवासी वर्ग को भी साधकर रखा है। राज्य में पिछड़ा वर्ग की बड़ी आबादी है और अरुण साव पिछड़ों को साधकर कितनी लंबी लकीर पिछड़े वर्ग के CM भूपेश बघेल के सामने खींच पाते हैं, यह आने वाले समय में लोगों को दिख जाएगा।
देखा जाए तो कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में सामाजिक समीकरण का तानाबाना बुनकर नए नेतृत्व को सामने लाकर भाजपा की डेढ़ दशक की सरकार को अद्भुत हराया था। भाजपा इसके बाद से ही वापसी का माहौल नहीं बना पा रही थी लेकिन आशा जगी है कि अमित शाह के दौरे से कोई चमत्कार अवश्य होगा।