गीता का पांचवा अध्याय

Episode – 3 ( अभिमान और अपमान का सफर )
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डी. आर.एक्स. उदय चौधरी जी के वांल से साभार।

कल के अध्याय में हमने समझा था कि किस तरह हमारे कर्म हमारा भाग्य बनाते हैं। भगवान ने अर्जुन को संघ दोष की शक्ति से भी परे रहने को कहा क्योंकि यह संघ दोष भी कई बार हमारे कर्मों पर और कर्मों से मिलने वाले भाग्य पर असर डालता है। यह संघ दोष भी कई बार हमारे मन को कई तरह के विचार देकर बदलने का प्रयत्न करते हैं। इसीलिए ही इसे दोष माना गया है क्योंकि कई बार लोग आपको इधर उधर की बातें सुना कर चेंज करने का प्रयास करते हैं इसे ही दोष कहा गया है।

फिर भगवान कहते हैं अभिमान से परे
अब अभिमान शब्द कैसे आता है ? दोनों को अलग करें अभी और मान।
बड़ों का अभिमान क्या कहता है की अभी-अभी मेरी बात मानी जाए। बड़े ने कोई बात कही और इसके साथ ही एक एक्सपेक्टेशन क्रिएट हो जाती है कि छोटा उनकी बात माने। अगर छोटे उनकी बात नहीं मानते हैं तो फिर अपमान क्रिएट होता है और यह अपमान की फीलिंग अभिमान के बिना क्रिएट नहीं हो सकती। जहां अपमान है वही अभिमान है । यहीं से ही उनका इगो हर्ट हो जाता है कि छोटे ने बात नहीं मानी।
और छोटो का अभिमान क्या कहता है अभी-अभी मान मिले तो इनकी बात माने। सोचते हैं इसमें कभी अप्रिशिएट तो किया नहीं तो फिर इनकी बात भी क्यों मानी जाए एप्रिसिएशन के लिए ही काम करते हैं।
इसीलिए बड़ों की कंप्लेंट रहती है कि हमारी तो बात मानते ही नहीं और छोटों की कंप्लेंट रहती हैं कि अभी अभी मान मिले तो ही बात माने। इस तरह से संबंधों का टकराव होता है और संबंध टूटते हैं रिश्ते खराब हो जाते हैं।

एक हंसी की बात याद आती है कि एक बार एक शहर में हस्बैंड वाइफ रहते थे। पत्नी बहुत पतिव्रता। थी जब भी पति बाहर से लौटता तो झट से दरवाजा खोल कर उसके हाथ से सारा सामान लेकर उसे पानी वगैरह पूछती। 1 दिन पति रोज की तरह ऑफिस से लौटे तो दरवाजा खुला पड़ा था । पत्नी टीवी देख रही थी तो पति ने पूछा क्या बात है?
पत्नी ने कहा – कोई बात नहीं!
पति यह सोचकर हैरान था कि पत्नी आज उसे लेने नहीं आई ,उसका सामान नहीं उठाया और ना ही उसे पानी पूछा।
फिर उसने सोचा कि चलो कोई बात नहीं आज मैं पानी खुद ले लेता हूं । जब वह रसोई घर की तरफ गया तो देखा सब बर्तन बिखरे पड़े थे। पानी के लिए एक गिलास नहीं था तो उसने फिर आकर

अपनी पत्नी से पूछा – क्या बात है?
पत्नी ने फिर से कहा – कोई बात नहीं है।
उसने फिर सोचा कि आज उसका मन नहीं कर रहा होगा तो उसने एक गिलास खुद धुलाई करके पानी पिया।
फिर वह फ्रेश होने के लिए अपने रूम में गया और देखा कि सारा रूम बिखरा पड़ा है, कोई भी सामान नहीं उठाया है। रात का बिस्तर भी वैसे का वैसा ही पड़ा है ।
उसने फिर आकर अपनी पत्नी से पूछा – आखिर बात क्या है?

तो फिर पत्नी ने कहा कि आप रोज मुझे कहते हैं कि तुम सारा दिन घर में करती क्या हो ? करती क्या हो?
तो आज मैंने सारा दिन कुछ नहीं किया तो आप देख सकते हैं कि सारा दिन में क्या करती हूं।
इस तरह से पत्नी ने पति को अप्रिसिएशन का गुण सिखाया। कि हर आत्मा तारीफ चाहती है जो वह काम करती है उसके बदले में उसकी तारीफ सुनना उसे अच्छा लगता है ।

यदि एप्रिसिएशन नहीं करेंगे और उल्टा उन्हें उनके काम के लिए ही नीचा दिखाएंगे तो अपमान भी क्रिएट होगा और अभिमान भी क्रिएट होगा।
इस तरह हम इन छोटी छोटी बातों से अपने ग्रहस्थ को अच्छा कर सकते हैं।