सुरेंद्र किशोर : यदि 2024 में केंद्र में सरकार बदल गई तो नई सरकार के लिए कितना आसान होगा बड़े- बड़े नेताओं के मुकदमों को वापस लेना ?..एक काल्पनिक सवाल !
सन 2024 के लोक सभा चुनाव के नतीजे की
कल्पना कीजिए।
यदि उस चुनाव में भाजपा हार गई और नरेंद्र मोदी सरकार हट गई !
तो क्या देश भर के दर्जनों प्रमुख नेताओं के खिलाफ तथाकथित ‘‘बदले की भावना’’ से शुरू किए मुकदमे वापस हो जाएंगे ?

जरूर हो जाएंगे,किंतु इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल एक बड़ी शर्त लगा दी।शर्त पूरी हो जाएगी तो मुकदमे भी वापस हो जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त, 2021 में यह आदेश (तत्संबंधी आदेश वाली खबर की स्कैन काॅपी इस पोस्ट के साथ प्रस्तुत है।)जारी किया कि
संबंधित राज्य के हाई कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना किसी सांसद या विधायक के खिलाफ जारी मुकदमे वापस नहीं लिए जा सकते।
अब आप ही अंदाज लगा लीजिए कि कितने गंभीर मामलों में कितने उच्च न्यायालय मुकदमे वापस लेने का आदेश पारित करेंगे ?
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यहां मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सन 2024 के लोक सभा चुनाव के बाद केंद्र में किसकी सरकार बनेगी।
क्योंकि मुझे पूरे देश के मतदाताओं के मानस का अभी कोई अनुमान नहीं।(एक राज्य की
राजधानी में बैठा कोई व्यक्ति अनुमान नहीं,बल्कि सिर्फ अपनी इच्छा ही बता सकता है।अभी मैं अपनी इच्छा क्यों बताऊ ?)
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याद रहे कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा -321 में यह प्रावधान किया गया है कि पी.पी.या ए.पी.पी.संबंधित अदालत की अनुमति से जनहित में कोई मुकदमा वापस ले सकता है।
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पिछले प्रकरण
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सन 1979 में कांग्रेस के समर्थन से केंद्र में चरण सिंह की सरकार बनी थी।
कांग्रेस ने चरण सिंह पर यह दबाव डाला कि वे संजय गांधी के खिलाफ जारी मुकदमों को वापस ले लें।
चरण सिंह राजी नहीं हुए।
नतीजतन चरण सिंह सरकार गिरा दी गई।
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सन 1990 में कांग्रेस की मदद से चंद्रशेखर प्रधान मंत्री बने।
चंद्र शेखर को यह संदेश भिजवाया गया कि बोफोर्स केस वापस कर लिया जाए।
चंद्रशेखर ने मना कर दिया।
कांग्रेस ने चंद्र शेखर की सरकार गिरा दी।
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तब की एक अपुष्ट चर्चा–
बाद में चंद्र शेखर के एक मित्र से किसी ने पूछा कि
इतने कम दिनों के लिए वे प्रधान मंत्री क्यों बने ?
मित्र ने कहा कि कोई हिमालय पर्वतारोही, शिखर पर जाकर अपना घर थोड़े ही बनाता है !!
