मनीष शर्मा : DRDO और private sector..क्या बना रहे हैं??

युद्ध लड़ने के तौर तरीके बदल चुके हैं…. क्या हम बदले हैं?

युद्ध लड़ने के लिए हथियार, सैनिकों के अलावा एक और महत्वपूर्ण चीज जरूरी है… पैसा.

पैसा है तो power है.. पैसा है तो सब कुछ है….. जो भी देश सस्ते ammunition, cost effective strategy से लड़ेगा… अंत में वही जीतेगा.

– मनीष शर्मा

एक scenario सोचिये…. आपके पास Air Defence system है… हजारों करोड़ों का… उसमे सैंकड़ो मिसाइल हैं… हर मिसाइल की कीमत कुछ करोड़ों में है…. आप निश्चिंत हैं कि कोई भी हमला हुआ तो आपका air defence system आराम से एक ही बार में 50-100 targets को गिरा सकेगा…300-400 किलोमीटर दूर से ही target को lock कर लेगा.

Target मतलब दूसरे देश का fighter jet, मिसाइल या कोई और projectile object.

इसका cost-benefit analysis करेंगे तो पाएंगे कि अगर दुश्मन देश का सैंकड़ो करोड़ का Fighter jet आता है, तो आप 5-7-10 मिसाइल छोड़ेंगे.. कुछ करोड़ रुपय कीमत की… और आपका काम बन जायेगा.

आपने कुछ करोड़ खर्च करके सैंकड़ो करोड़ का fighter jet उड़ा दिया.

लेकिन क्या होगा अगर एकाएक सैकड़ो ड्रोन या सस्ते राकेट आपकी Territory में घुस जाएं??

आपका Air Defence system तो Incoming Projectile object को detect करेगा.. उसके heat signature को देखेगा… उसे क्या मतलब वो कुछ लाख रूपए का ड्रोन है, कोई सस्ता सा राकेट है, या कई सौ करोड़ का Fighter jet है.

100 ड्रोन और राकेट आये…. आपके Air Defence system से 100 मिसाइल निकली… यूँ तो 100% kill rate नहीं होता… फिर भी समझिये कि आपके system ने सारे ड्रोन और राकेट उड़ा दिए.

अब cost-benefit analysis कीजिए…

कुछ लाख रूपए के ड्रोन और राकेट ने आपकी सारी Air Defence Missile inventory ख़त्म कर दी…करोड़ों रूपए की missile से कुछ लाख रूपए का ड्रोन उड़ा लिया आपने….. यह खुश होने की बात तो कतई नहीं.

और रुकिए… अब आपके Air Defence system में missile नहीं बची…. अब आपकी territory Unsafe है…. क्या हो अगर आपका दुश्मन एक fighter jet का बेडा भेज दे?? आप तो sitting duck हो गए ना… अब दुश्मन आराम से आपके Important assets और Installations उड़ाएगा.. और आप कुछ नहीं कर पाएंगे

इससे आपको युद्ध में तो झटका लगेगा ही, आप आर्थिक रूप से भी ज्यादा नुकसान में रहेंगे….. आपका दुश्मन कुछ लाख के राकेट, ड्रोन आदि से आपके हजारों करोड़ के Air defence को मिट्टी में मिला देगा.

आपको लगेगा कि मैं यह कोई गप्प सुना रहा हूँ.

ऐसा नहीं है…. आप इसके लिए इजराइल-फिलिस्तीन के झगडे को study कीजिए.

फिलिस्तीन से आतंकवादी संगठन राकेट छोड़ते हैं इजराइल के ऊपर…. ये सस्ते राकेट होते हैं… और काफी ज्यादा संख्या में छोड़े जाते हैं.

इजराइल के पास खुद का Air Defence system है, जिसका नाम है Iron Dome….. जब भी राकेट आते हैं, इजराइल का Automatic system सैकड़ो मिसाइल छोड़ देता है उन राकेट को उड़ाने के लिए.

इजराइल chance नहीं ले सकता, क्यूंकि ये राकेट उसके civilian इलाको पर छोड़े जाते हैं…. अगर एक भी ज़मीन पर फ़टेगा तो जान माल का नुकसान होगा…. लेकिन Iron Dome की operational cost बहुत ज्यादा होती है. वो तो इजराइल आर्थिक रूप से मजबूत है… वरना इस तरह की लड़ाई से कोई भी सामान्य देश कंगाल भी हो सकता है.

कुछ ऐसी ही लड़ाई चल रही है रूस और युक्रेन के बीच.

रूस पहले अपना लाव लश्कर लेकर युक्रेन में घुस गया…कई इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया…. वहीं युक्रेन ने टर्की से लाये हुआ बायरैक्टर TB -2 ड्रोन का इस्तेमाल रूस के Fighter jets और अन्य assets को तबाह करने के लिए किया…… रूस को जबरदस्त नुकसान भी हुआ.

कुछ महीने यह चोट खाने के बाद रूस को अक्ल आयी…. और उन्होने सस्ते attack drones order किये इरान से… इनके नाम हैं मोहाजिर-6 और Shaheed-136.

अब आप कहेंगे कि रूस के पास तो खुद इतने हथियार हैं, फिर इरान से क्यों खरीदे.

इसके 2 कारण हैं…

1. Kamikaze Drone बनाने में इरान बहुत आगे है…. यह ऐसे ड्रोन होते हैं जो उड़ान भरने के बाद Target पर जा कर फट जाते हैं और सब कुछ तबाह कर लेते हैं. इरान को ऐसे ड्रोन बनाने में. महारत हासिल है.

2. Cost….. जी हाँ…. कीमत बहुत बड़ा factor है. रूस के ड्रोन महंगे हैं, वहीं इरान के बहुत सस्ते हैं…. रूस ने cost-benefit analysis किया होगा, और उसमे इरान के ड्रोन उन्हें बहुत सस्ते और ज्यादा Cost effective लगे होंगे… इसलिए खरीद लिए.

अब रूस अपने Strategic Assets यानी Fighter jets, जवानों, मिसाइल आदि को इस्तेमाल कम कर रहा है…. इसके बजाय वह Kamikaze drones को भेज रहे हैं…. जो युक्रेन के Strategic Assets जैसे Arms डिपो, Power stations, Gas stations, Railway Lines आदि को तबाह कर रहे हैं.

युक्रेन के पास Germany का IRIS air defence system है…. लेकिन वह भी इन Drones के आगे लाचार है…. पिछले कुछ हफ्तों में युक्रेन के पास Air Defence मिसाइल की shortage हो गयी है…. क्यूंकि सारी तो drone उड़ाने में बर्बाद हो गयी.

युक्रेन अब रोजाना अमेरिका और Nato देशों से मदद के लिए कहता है… वहीं रूस को हो रहे नुकसान की खबरे आनी बंद हो गयी हैं…. यहाँ तक की western media भी अब पहले जैसी reporting नहीं कर रहा…. क्योंकि उन्हें भी पता है कि बाजी पलट चुकी है.

अब आपके मन में यह बात आ सकती है कि भारत की ऐसी लड़ाई लड़ने की क्या कोई तैयारी है??

बिल्कुल है.

DRDO हो या हमारा private sector… सभी मिलकर Kamikaze Drones बना रहे हैं…. काफी तो LAC और LOC पर तैनात भी हैं… कई के order दिए जा चुके हैं.

वहीं इस तरह के drone को मारने के लिए सस्ता उपाय भी बना लिया गया है… क्यूंकि आप नहीं चाहेंगे कि ऐसे drone के लिए हम S-400 या आकाश एयर defence system को इस्तेमाल करें… क्यूंकि वो बहुत महंगा है.

इसके लिए DRDO ने anti drone system बना लिया है… जो पिछले 2 सालों से 26 जनवरी और 15 अगस्त को लाल किले पर deploy किया जाता है….. साथ ही इसे Forward posts पर भी भेजा जा रहा है.

एक बात याद रखिये…. युद्ध वही जीत सकता है को उसके पीछे की Economics को समझे… जो Cost कम रखे, Effectiveness बनाये रखे…. जो सस्ते हथियारों से दुश्मन के Strategic Assets को तबाह करे और साथ ही आर्थिक झटका भी दे.

जब युद्ध की cost बढ़ती है… तभी अंकल Sam को अफ़ग़ानिस्तान छोड़ कर भागना पड़ता है…. और Europe को सर्दी में बिना gas के ठिठुरना पड़ता है… यह जितना जल्दी समझ आ जाए, उतना अच्छा है.

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