राकेश जॉन : PM मोदी के 72 वर्षों का संघर्ष 72 जन्मों में आप नहीं कर सकते…

नरेंद्र मोदी आज न केवल भारत बल्कि दुनिया भर में एक राजनीतिक डिस्कोर्स का विषय है। उनको लेकर मीडिया, सोशल मीडिया और ग्लोबल पॉलिटिक्स में उथल-पुथल मची रहती है। बदनामी और शोहरत की खबरे उनके दाएं-बाएं चलती रहती हैं। गाली, तिरस्कार, अपमान, ट्रोलिंग, प्यार, शोहरत, सम्मान सब मोदी जी के हिस्से रहा है।

लेखक राकेश जॉन सामाजिक विषयों पर बेधड़क लिखतें हैं।

बहुतेरे लोग उन्हें अनपढ़, तानाशाह, फेल्ड प्रधानमंत्री मानते होंगे। बहुतेरे लोग उन्हें सख्त प्रशासक, बेहतरीन प्रधानमंत्री , सभ्यता का रक्षक मानते होंगे। बहुतेरों को उनके भीतर साम्प्रदायिक नेता, इगोईस्ट इंसान दिखता होगा और बहुतेरों को उनके भीतर कूटनीतिक और चालाक इंसान दिखता होगा।

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पर इन सब चीज़ों से अलग इस व्यक्ति का व्यक्तित्व, जीवनसंघर्ष और लाइफ स्टाइल मुझे बहुत रुचता है। इसमें कोई सन्देह नहीं कि वे बहुत गरीब परिवार से आये है। आज भी उनकी माँ के घर में प्लास्टिक की कुर्सियां दिखती है। वे RSS में शामिल हुए और उनके जीवन ने एक मोड़ लिया। RSS में कार्य किया, आगे बढ़े। एक अरसे के बाद उन्हें अपना रणनीतिक कौशल दिखाने का मौका मिला तो उन्होंने आडवाणी की रथ यात्रा और मुरली मनोहर जोशी की रथ यात्रा को अपने रणनीतिक कौशल से सफल रथ यात्रा बनाया।

मोदी का कद बढ़ गया। वे आडवाणी, अटल और मुरली मनोहर जोशी जैसी त्रिमूर्ति के प्रिय हो गए। पार्टी में बड़ा कद और कार्य मिला। मोदी ने धीरे-धीरे अपनी छाप छोड़ी। इस बीच उनकी कई लोगों से राजनीतिक प्रतिस्पर्धा चलती रही और फिर आया गुजरात की ताजपोशी का वक्त।

मोदी ने गुजरात की सत्ता संभाली ही थी कि गुजरात में एक भयंकर दँगा घट गया और पार्टी के भीतर और बाहर मोदी को नोचने के लिए लोग शुरू गए। मोदी सारे विवादों को साथ लेकर चले और पुनः गुजरात की सत्ता पर आसीन हुए, 13 साल तक कार्य किया और पार्टी के भीतर-बाहर, कोर्ट, मीडिया, CBI, राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को वे अपने स्तर पर डील करते रहे।

फिर आया 13 सितंबर 2013 का साल अब मोदी फिर पार्टी के भीतर-बाहर, मीडिया सबकी आंखों के किरकिरी बने लेकिन सभी विवादों को पार करते हुए प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बने। 16 मई 2014 में मोदी सारे रिकॉर्ड, नेरेटिव, मिथ को तो तोड़ते हुए बहुमत से सत्ता पर आसीन हुए और 18 मई को ब्रिटेन के गार्ज़ियन अखबार ने लिखा “Finally Britishers have left india”

2014 से 2019 का विवादित टर्म (मीडिया की नज़र में) मोदी जी ने पूरा किया। पार्टी के अंदर-बाहर, मीडिया और दुनिया को लगा के अब बहुमत के साथ वापसी नहीं होगी लेकिन मोदी हर बार पुराने रिकार्ड्स और मिथ को तोड़ने के लिए बने है और इस बार पहले से प्रचंड बहुमत प्राप्त हुआ। राम मंदिर, CAA, 370 सब दूसरे काल मे हुआ। अब लोग फिर बोल रहे है कि अबके बहुमत नहीं पर मोदी फिर सिंगल हेंड अपने बूते 2019 से बड़ा बहुमत लेकर वापिस आएंगे।

मैं यह सब क्यों बता रहा हूँ? मैं यह सब इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि टॉप पर पहुँचने के लिए मेहनत करनी होती है पर टॉप पर बने रहने के लिए तपस्या करनी होती है।

आप मोदी को गाली दीजिये, ट्रॉल करिए, उनकी डिग्री पर सवाल उठाइये, उन्हें जुमलेबाज़ बोलिये पर यकीन मानिए जितना संघर्ष उस व्यक्ति का 72 सालों में रहा है उतना आप 72 जन्म में न कर पाएंगे।

ये मैं इसलिए नहीं कह रहा हूँ क्योंकि मोदी मेरे प्रिय नेता है, मैं हिन्दू हूँ, मैं भक्त हूँ। ये मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि तपस्या के संघर्ष को मैं खुद महसूस करता हूँ और जानता हूँ तपस्या में कठिनाई कितनी है।

उनकी तपस्या उनके मुख से झलकती है इसलिए उनके चेहरे पर एक अलग प्रकाश है, यह तप, तपस्या का प्रकाश है, यह आत्मबल का प्रकाश है इसलिए वे मीडिया की परवाह न करते हुए प्रधानमंत्री पर आसीन होकर टीका, भभूत, माला पहन आपको पूजा पाठ करते हुए मिलते रहेगे। आपके दो कौड़ी के सेक्युलरिज़्म को वो जूतियों पर रखते है।

इतना आत्मविश्वासी, आत्मबली, तपस्वी प्रधानमंत्री निकट भविष्य में शायद ही आपको मिले।

हे ईश्वर मेरे हिस्से की 99% उम्र मेरे मोदी को अर्पित कर।

72 साल की उम्र में 72 हज़ार सालों के राष्ट्र तप को लेकर चलने वाले इस शख्स को मेरी उम्र लगे।

जन्मदिन की शुभकामनाएं भारत के वर्तमान को भारत के भविष्य की तरफ से।

जय मेरे बाबा नीम करौली महाराज जी की जय हो।

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