अरविंद पांडे : अजगर बहार गढ़कटरा मार्ग के जंगलो में बिखरे पड़े है पुरातत्व अवशेष

छत्तीसगढ़ हरियाली और धरोहरों से भरा-पूरा प्रदेश है।  छत्तीसगढ़ अंचल ने अनगिनत पीढ़ियों से क्षेत्र की प्राकृतिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक धरोहरों को सहेज कर रखा है। ये धरोहर इस प्रदेश की पहचान हैं , जो देश-विदेश के सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। यह पूरा प्रदेश घने जंगलों, वन्य प्रजातियों, सरल आदिवासी समुदाय के लिए जाना जाता है लेकिन कई स्थल ऐसे हैं जहां पर बिखरे पड़े हुए धरोहरों को सहेजने की आवश्यकता है।

ऐसा ही कोरबा जिले में कुछ स्थानों पर है। कोरबा के जंगल केवल पर्यटन के लिए प्रसिद्ध नही है अपितु पौराणिक स्थलों के लिए भी पहचाने जाते है। घने-गहन जंगलों में कई ऐसे स्थल है जहां पुरातत्व अवशेष बिखरे पड़े है।
औद्योगिक जिले कोरबा के जंगल अपने अंदर  खनिज संपदा सहेज कर रखे हुए है तो ऐतिहासिक कृतियों को भी सहेजा हुआ है। हालांकि सरकार ने अपने स्तर पर सर्वे का काम किया है किंतु इसके बाद भी कई स्थानों पर टूटे बिखरे पड़े पत्थरों में उभरी कलाकृतियों का संकेत क्षेत्र में सर्वेक्षण से छूट गए धरोहरों को सहेजने के लिए समुचित प्रयास करने की ओर होता है।
 अजगर बहार से गढ़कटरा मार्ग में सड़क किनारे ऊंचाई वाले क्षेत्र में बड़े संख्या में में कलाकृतियों से उत्कीर्ण पत्थर बिखरे पड़े है। झाड़ियों में दबे इन पत्थरों पर सामान्यत:किसी की नजर नहीं जाती किंतु जब अंदर जाकर बड़ी गहराई से जाकर देखने पर समझ में आता है कि ये तो पुरातत्व स्थल के अवशेष है। पत्थरों में उकेरी गई कलाकृतियां ये कहती है कि ये पुरातन अवशेष हैं और इनका अपना एक इतिहास है।
जिस स्थान पर में ये पुरातत्व अवशेष उपेक्षित से बिखरे पड़े है, उस स्थल में जलादेव का एक पुराना शिव मंदिर भी है। ग्रामीण इस स्थल को ठाकुरदेव मानते है। उनका कहना है कि उनके पूर्वजों के समय से ये ठाकुर देव है तब से ये पत्थर ऐसे ही बिखरे पड़े है। कुछ लोग बताते हैं कि बहुत पहले यहां पर एक पूजा का स्थल था। ग्रामीणों की माने तो भारी मात्रा में पत्थर कुछ लोग ले गए, कुछ पत्थर सड़क में दब गए।
जो भी हो लेकिन इन पत्थरों में बनी कलाकृतियों ने अपनी-अपनी एक कहानी अपने भीतर छिपा कर रखी है। इन स्थानों के आस-पास सर्वे हो तो निश्चित रूप से कोई न कोई इतिहास जरूर निकलेगा। क्षेत्र में प्राचीन कलात्मक प्रतिमाएं इधर-उधर जमीन में गड़ी पड़ी है और पुरातत्व विभाग की दृष्टि से दूर जंगल के वीराने में लावारिस पड़ी है।
जंगलों के वनवासियों के पौराणिक स्थल के साथ ही जिले के बीहड़ जंगलों  के भीतर ऐसे कई स्थल है जहां ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण प्राचीन धरोहर बिखरे हुए पड़े हैं और उन पर पुरातत्व विभाग का ध्यान नहीं जा रहा है। कलाप्रेमियों में इस उदासीनता को लेकर चिंता है। यहां बिखरी पड़ी पुरा महत्व की धरोहर को एक साइट म्यूजियम में संरक्षित करने की जरूरत है, ताकि यहां भ्रमण कर रहे लोग इन प्राचीन कलात्मक धरोहरों के विषय में जान सके।
पूर्व कलेक्टर ने सहेजने की थी पहल..
जिले की पूर्व कलेक्टर रानू साहू ने अपने अल्प समय के कार्यकाल में अंचल की पुरातत्व संपदा को सहेजने की दिशा में कार्य की शुरुआत की थी।
जरूरत है उचित सर्वेक्षण की : नामदेव 
युथ हॉस्टल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य शैलेन्द्र नामदेव का कहना है कि जिले के जंगलों-पहाड़ों में कई ऐसे स्थल हैं, जहां इतिहास के महत्वपूर्ण प्राचीन अवशेष बिखरे पड़े है, जिन्हें एक बार नए सिरे से सर्वे करने और सहेजने की जरूरत है।

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