नीतिन त्रिपाठी : मेडिटेशन व्यक्तिगत जीवन में बहुत पॉज़िटिव चेंज लाता है
मेडिटेशन व्यक्तिगत जीवन में बहुत पॉज़िटिव चेंज लाता है.
मैं वृश्चिक राशि वाला हूँ तो कभी भी किसी से पंगा हो जाए तो सालों तक दबा कर रखता था फ़िर मौक़ा मिलते ही छोड़ता नहीं था. सोसल मीडिया पर भी गैंग बना रखे थे. सीक्रेट ग्रूप्स थे. कोई ज़रा सा बोल भर दे कहीं, लाठी डंडा लेकर सब जुट जाते थे. पर ऐसी किसी भी जीत से संतुष्टि नहीं मिलती थी.
समय के साथ कहा जाए या मेडिटेशन का इफ़ेक्ट कि आठ दस साल से यह सब कम होता चला गया. बदला लेना, अंदर अंदर कुढ़ना, ईर्ष्या यह सब बेहद कम हो गया. उल्टे अब कई बार दूसरों को ऐसा करता देख मुस्कुराहट आती है. इनर पीस सी आ गई है. चीजों को बड़े पेर्सपेक्टिव से देखना आ गया है. सोसल मीडिया पर भी अपनी पोस्ट में भी कॉमेंट का जवाब तो ज़रूर देता हूँ पर अगर सामने वाला लगातार बहस करता रहता है तो रिप्लाई देना बंद कर देता हूँ. मालूम है ऐसी बहस में जीत किसी की नहीं होता. सामने वाला ग़लत तरीक़े से बहस करे, उससे अनर्गल उलझने की बजाय सिंगल रिप्लाई देकर ब्लॉक कर देता हूँ. अपनी ऊर्जा कौन ज़ाया करे फ़ालतू में – खुश रहिए मस्त रहिए. असल जीवन में भी किसी ने बुरा किया तो निहसंदेह हाथ के हाथ जो होना था हो गया, पर उसे लेकर अंदर ही अंदर लम्बे समय जलते रहना कम हो गया है. मोस्ट्ली मालूम रहता है या तो हम बदला ले लें या हमारे बिहाफ़ पर भगवान कर्म दंड देंगे. उन पर छोड़ दो और उनका न्याय बिल्कुल सौ प्रतिशत खरा होता है.
नेचर बेहद फ़र्गिविंग हो जाता है. नेगेटिव थॉट्स / नेगेटिव लोग बिल्कुल अच्छे नहीं लगते. मनुष्य स्वभाव है तो गॉसिपिंग अच्छी लगती ही है पर बहुत ज़्यादा नेगेटिव होने लगे तो खुद को लगता है ग़लत कर रहे हैं.
मैं सभी को मेडिटेशन की सलाह देता हूँ. पर मेडिटेशन का पहला सिद्धांत है कीप it सिम्पल. बहुत बेसिक जो जहां समझ आ जाए उसे फ़ॉलो करते रहो. ज़्यादा दिमाग़, लाजिक, सोसल मीडिया थ्योरी मत लगाओ. चुप चाप आँख बंद कर जिस तरह का मेडिटेशन पसंद है उसे बग़ैर लाजिक लगाए फ़ॉलो करें, करते रहें, स्वयं को ईश्वर पर छोड़ दें, सब ठीक होगा.
-साभार
