सर्वेश तिवारी श्रीमुख : सदानीरा उत्सव 2022
यह एक छोटा सा प्रयास है कि सोशल मीडिया से निकले हिन्दी साहित्य के समस्त स्वरों को एक साथ जोड़ा जाय। एक प्रयास कि जब सिक्कों से अपनी कलम तोल चुके लोग साहित्यकार होने के दावे के साथ राष्ट्र या धर्म पर बौद्धिक आक्रमण करें तो उन्हें मुंहतोड़ उत्तर देने के लिए एक शक्तिशाली समूह खड़ा रहे। ताकि जब कोई पाखंडी कलमकार भारतीय इतिहास के पीड़ितों को ही अत्याचारी बता कर आक्रमणकारी आतंकियों का प्रशस्ति गायन करे, तो हमारे पास उसका सच बताते हुए उसके झूठ पर थूक देने वाले असंख्य प्रभावशाली चेहरे मौजूद हों।
सदानीरा उत्सव का लक्ष्य यह भी है कि साहित्यिक विमर्श गाँव तक पहुँचे। साहित्य को शहर के वातानुकूलित कमरों से निकाल कर खेतों की मेंड़ तक लाने का प्रयास इस कारण भी है कि अश्लील गीतों के जाल में फंस रही नई पीढ़ी कविताओं से प्रेम करे। हम अभद्रता से भद्रता तक की एक यात्रा करना चाहते हैं, जिसमें आप सब साथी हैं।
जब साहित्यिक अड्डों के सारे विमर्श देह के इर्द गिर्द घूम रहे हैं तो हमारी ही जिम्मेवारी बनती है कि हम देश की बात करें। हम धर्म की बात करें। हम बोलें अत्याचार के विरुद्ध, हम बोलें अभद्रता के विरुद्ध, हम बोलें सरकारी असमानता के विरुद्ध, हम बोलें अपनी सभ्यता पर होने वाले हर प्रहार के विरुद्ध…
हम लड़ रहे हैं, ताकि किसी साहित्यिक चर्च में पोपलीला करती कोई बूढ़ी लेखिका अपनी निष्ठा बेच कर खरीदे गए पुरस्कारों के घमण्ड में आगे से यह न कह सके कि जो सोशल मीडिया में लिखा जा रहा है वह साहित्य नहीं है।
इसमें आपका सहयोग चाहिए। आर्थिक नहीं, क्योंकि उसकी आवश्यकता नहीं है। हमारे खर्चे कम हैं सो हम दो चार दोस्त मिल कर जुटा लेते हैं। आपका सहयोग यह रहेगा कि आप एक दिन का समय निकालें और आएं। आप जुड़ेंगे तो मंच बड़ा होगा और हमारा स्वर दूर तक गूंजेगा। यह किसी एक की जिम्मेवारी नहीं है, हम सब जोर लगाएंगे, तभी बात बनेगी।
निकालिये एक दिन का समय। बहुत लोग आ रहे हैं, आप भी आइये। खड़े होइये हमारे साथ। यदि आप गोपालगंज, सिवान, छपरा, बेतिया, मोतिहारी, देवरिया, कुशीनगर, गोरखपुर, बलिया, गाजीपुर में हैं तो बाइक से भी आ सकते हैं। बहुत कठिन नहीं है।
मैं अकेले सबको फोन नहीं कर सकता, पर यह आपका भी यज्ञ है। आइये, हम प्रतीक्षा करेंगे।
साभार : सर्वेश तिवारी श्रीमुख
