डॉ. कोंडापुरकर, नेत्र विशेषज्ञ : इस नंबर के चश्मे से आंखों की ज्योति चली जायेगी…

कोरबा जिले में लगभग 50 से ज्यादा चश्मा बनाने वालों की दुकानें हैं लेकिन इन सबके मध्य ट्रांसपोर्ट नगर कोरबा, शुभदा कॉम्प्लेक्स स्थित Optic palace की अपनी एक विशेष पहचान बनी हुई है।

आंखों की जांच के लिए 45 वर्षों से नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में ख्यातिप्राप्त चिकित्सक डॉक्टर श्रीमती रचना कोंडापुरकर  आंखें चेक करने और चश्मे का नंबर देने का काम अत्याधुनिक मशीनों के जरिए ट्रेंड स्टाफ के साथ यहां पर कर रहीं है।

बिना उचित परीक्षण के चश्मा पहनने से अगर किसी की आंखों के साथ कोई खिलवाड़ होता है तो इसकी भरपाई होना असंभव है। नेत्र रोग विशेषज्ञ श्रीमती कोंडापुरकर का कहना है कि बिना योग्य चिकित्सक के परीक्षण के चश्मे का नंबर देना खतरे से खाली नहीं है।

दवा तक लिख देते हैं दुकानदार

चश्मे की दुकान चलाने वाले की सलाह पर कभी भूलकर भी किसी दवा का सेवन नही करना चाहिए अन्यथा इसके गंभीर परिणाम सामने आते हैं। श्रीमती कोंडापुरकर आगे कहती है -” कई दुकानदार तो दवा तक दे रहे हैं। मोतियाबिंद, शुगर के कारण कई बार आंख के पर्दे में खराबी आने  पर भी नजर कमजोर हो जाती है। अनट्रेंड दुकानदार ऐसे में सिर्फ चश्मे का नंबर निकालकर दे देते हैं। धीरे-धीरे मरीज की आंखों की ज्योति पूरी तरह चली जाती है। ऐसे मरीजों के लिए हम भी कुछ नहीं कर पाते हैं।”

चश्मे के गलत नंबर से ये समस्या आती है सामने

 गलत नंबर के चश्मे पहनने से मरीज को कई तरह की परेशानी हो सकती है। इससे सिर दर्द लगातार रहता है। कभी-कभी तो आंखों में भेंगापन तक आ सकता है। इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह लिए चश्मे का नंबर नहीं निकलवाना चाहिए और न ही ऐसे चश्मे का उपयोग करना चाहिए।

” चश्मे का लेंस और फ्रेम आरामदायक,अच्छी तरह फिट,भार में कम हो और नाक और कान पर ज्यादा प्रेशर न बनाने वाला होना चाहिए।” आंखों की देखभाल के साथ ही वार्तालाप के मध्य श्रीमती कोंडापुरकर चश्मे को लेकर भी जागरूक रहने को लेकर आगे कहतीं हैं – “- चश्मा आंखों को को पूरी तरह कवर करने वाला हो, विशेष रूप से बच्चों के लिए बड़ा चश्मा होना चाहिए, अन्यथा वे साइड से देखने लगते हैं और यह आंखों को नुकसान पहुंचाता है।”

फ्रेम के बाद वे लेंस की गुणवत्ता के साथ किसी प्रकार का कॉम्प्रोमाइज नहीं करने पर बल देते हुए वे कहतीं हैं – “लेंस पर कई तरह की कोटिंग भी मिलती है, जैसे ब्लू कट लेंस, एंटी-ग्लेअर, एंटी-स्क्रैच, फोटोक्रोमिक और भी अन्य तरह के। एंटी-ग्लेअर कोटिंग आंखों को चमक से और फोटोक्रोमिक अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाती है। मैं ही नहीं बल्कि कोई भी अन्य डॉक्टर जब चश्मा रेकमेंड करे तो उनसे आप लेंस को लेकर भी बात कर सकते हैं।”

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