अमेरिकावासी अमित सिंघल : कमरतोड़ महंगाई – अमेरिका में..कोरोनाकाल के बाद भी भारत में स्थिति नियंत्रित

अमेरिका का निर्धन वर्ग (जिनकी आय 2500 से 4000 डॉलर प्रति माह है) जो लगभग जनसँख्या का 50 प्रतिशत है, भारी कर्ज में डूबा हुआ है।  कई घर बिजली-गैस के बिल का भुगतान ना कर पाने के कारण ठंड में रह रहे है।

(इन दिनों भारत आये अमित सिंघल जी का ज्वलंत लेख।)

इस माह, 4 जनवरी से 3 फरवरी तक की खपत का बिजली एवं गैस का बिल आया। देय राशि 525 डॉलर है। पहली बार यह राशि 500 डॉलर पार की है।

मैंने इस बिल की पिछले वर्ष ठीक इसी समय के बिल से तुलना की। पिछले वर्ष फरवरी में कुल 452 डॉलर का भुगतान किया था।

फिर भी, यह संभव है कि पिछले माह मैंने अधिक बिजली एवं गैस जलाई थी।

लेकिन पिछले वर्ष के बिल में मैंने 605 kWh बिजली एवं 164 therms गैस का प्रयोग किया था, जबकि इस वर्ष वाले बिल के अनुसार मैंने 483 kWh बिजली एवं 170 therms गैस जलाई है। दूसरे शब्दों में, बिजली के प्रयोग में भारी कमी के बाद भी बिल कहीं अधिक है।

 

कारण यह है कि फरवरी 2021 में बिजली का दाम 7.1967 सेंट प्रति kWh था, जबकि इस वर्ष 18.0311 सेंट प्रति kWh है। अर्थात, बिजली का दाम ढाई गुना से अधिक बढ़ गया है। वह भी उस देश में जहाँ कोयला, तेल, गैस, एवं न्यूक्लियर ऊर्जा का उत्पादन बहुतायत में है।

गैस का दाम पिछले वर्ष 54.9207 सेंट प्रति थर्म लगाया था जबकि इस वर्ष 65.2471 सेंट प्रति थर्म कीमत है। यानी कि 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी।

कोरोना का प्रभाव पूरी दुनिया में पड़ रहा है लेकिन भारत अभी भी बचा हुआ है क्योकि सप्लाई चेन (खाद्य तेल; पेट्रोल; कृषि वाली खाद छोड़कर) अभी भी घरेलु उत्पाद पर निर्भर है; दूसरा, मोदी सरकार नोट छपने की जगह अधिक पेट्रोल-डीजल टैक्स, नोटबंदी के बाद GST-आयकर के कलेक्शन में भारी वृद्धि, इत्यादि के द्वारा मंहगाई को कंट्रोल किए हुई है।

 

अमेरिका में इस समय महंगाई की दर 7.5 प्रतिशत है जो पिछले चालीस वर्षों में सबसे अधिक है। यहाँ दो पीढ़ियों ने कभी भी महंगाई का सामना नहीं किया है। बैंक में ब्याज दर अभी भी लगभग शून्य है और विकास दर 4 प्रतिशत है।

अर्थात विकास दर मंहगाई की दर कम होने के कारण एक आम अमेरिकी नागरिक निर्धनता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। साथ ही बैंक में किसी भी प्रकार की बचत की वैल्यू 7.5 प्रतिशत गिर रही है।

ना केवल पेट्रोल-डीजल, बल्कि दूध, फल, तरकारी, मांस, आटा, कॉफी, कार, लैपटॉप इत्यादि की कीमते बीस से 200 प्रतिशत तक बढ़ गयी है।

 

इस लेख का भावार्थ सिर्फ वही समझेगा जो संसार के इकोनॉमिक्स को समझता है और जो समझता है उसे पता है कि भारत मे इस समय वस्तुओं के दाम विश्व के मुकाबले बहुत से बहुत ज्यादा सस्ते है और उसका कारण हमारे नेता की इकनॉमिक समझ है कि कैसे चीजो को कन्ट्रोल ओर बैलेंस करना है।

यही स्थिति यूरोप की है जहाँ पहली बार जनता को मंहगाई झेलनी पड़ रही है। भारत के पड़ोसी देश भी मंहगाई से त्रस्त है।

इसके विपरीत भारत में अभी भी आयात होने वाले खाद्य तेल एवं पेट्रोल-डीजल को छोड़कर लगभग सभी आवश्यक वस्तुओ की कीमतों पर नियंत्रण है।

 

मोदी सरकार की इस मामले में जितनी तारीफ होनी चाहिए थी अफसोस वो भी नहीं हुई… न तो मुख्य मीडिया ने इसकी कोई चर्चा की है गंभीरता से न ही सोशल मीडिया पर इसपर मोदी सरकार की कोई वाह वाह कर रहा है।
सबको बस बजट में टैक्स छूट न देने पर वित्त मंत्री और मोदी सरकार की आलोचना ही करनी है।

हमें मोदी सरकार की प्रशंसा करनी होगी कि इन्होने कोरोना महामारी के बाद भी मंहगाई को कंट्रोल में रखा हुआ है।
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एक बात और नोट करने की है। अमेरिका में बिजली-गैस को घर तक डिलीवरी करने की कीमत कुल बिजली-गैस की कुल खपत से अधिक होती है। अर्थात, बिजली-गैस की लाइन को मेंटेन करना और चौबीसो घंटे सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए मानव संसाधन , गाड़ियां, भारी उपकरण की आवश्यकता होती है जिसकी कीमत कंपनी द्वारा बिजली-गैस की खरीद से अधिक होती है।

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