प्रभात खरे-ज्योतिष : मिट्टी के बर्तनों से सफलता.. संतान की जन्मतिथि से बने आपकी कुंडली…
ज्योतिष के क्षेत्र में लगभग 27 वर्षों से जुड़े बिलासपुर निवासी प्रभात खरे (98261-94041) का नाम छत्तीसगढ़ के ज्योतिषी ज्योतिष जगत में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। श्री खरे नंदी नाड़ी व कृष्णमूर्ति पद्धति से गणना करते हैं। उनकी गणना अन्य ज्योतिषियों से भिन्न इस मायने में है कि वह आपकी संतान की जन्म तारीख से जातक के बारे में गणना करते हैं।
उनके आंकलन का तरीका बिल्कुल ही भिन्न है। भिन्न इस मायने में हैं कि वे जातक के संतान की तारीख से जातक के पिता के बारे में और जातक के भूतकाल को लेकर बताते हैं। अगर आपके पास खुद की सही जन्म तारीख नहीं है तो आप उनके पास सामने अपनी संतान की जन्म तारीख लेकर बैठ जाइए वह आपका भूत भविष्य और वर्तमान स्पष्ट कर देंगे।
मेरे नाना अच्छे ज्योतिष-वैद्य थे, सो ज्योतिष में आस्था आरंभ से ही रही। वर्ष 2008 में एक बड़ी समस्या आने पर बिलासपुर में आदरणीय बड़े भईया प्रभात खरे जी से पहली भेंट हुई। उनसे मिला आशीर्वाद आज तक कायम है।
परंपरागत धोती-कुर्ते-तिलकधारी पंडित जी के स्थान पर सूटेड-बूटेड साइंटिफिक तरीके से गणना करने वाले प्रभात भईया की तरह के ज्योतिष बहुत कम मिलते है।
पत्रकारिता के क्षेत्र में कई मिले लेकिन इनसे हुई चर्चा के बाद ही ज्योतिष पर मेरा विश्वास और बढ़ा।
भूत-प्रेत बाधा, तंत्र-मंत्र का प्रभाव vdo में।
आपकी जन्मतिथि गलत है तो आप अपनी संतान की जन्मतिथि देकर आप धैर्य से बैठ जाइये…ये आपका आगा-पीछा वर्तमान सब बता देंगे।
भारतीय ज्योतिष की प्राचीनता को लेकर वे कहते हैं कि इसमें कोई संदेह नहीं कि ईसा से पाँच छह हजार वर्ष पहले हिंदुओं को नक्षत्र अयन आदि का ज्ञान था और वे यज्ञों के लिये पत्रा बनाते थे। शारद वर्ष के प्रथम मास का नाम अग्रहायण था जिसकी पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र में पड़ती थी । इसी से कृष्ण ने गीता में कहा है कि ‘महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूँ। महाभारत में कई स्थानों पर ग्रहों की स्थिति, ग्रहयुति, ग्रहयुद्ध आदि का वर्णन है। इससे इतना स्पष्ट है कि महाभारत के समय में भारतवासी ग्रहों के वेध तथा उनकी स्थिति से परिचित थे।
जीवन के हर क्षेत्र में पराक्रम की आवश्यकता होती है, मंगल ग्रह इसका कारक है। इस पर उन्होंने बताया कि बहुत सारे लोगों को शायद इस बात का ज्ञान भी न हो कि मिट्टी के बर्तनों का उपयोग मंगल ग्रह को दृढ़ता प्रदान करता है और जीवन में पराक्रम भाव को बढ़ाता है, इसलिए जितना अधिक हो सके मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करना चाहिए।
बाधा दूर करने वाले ज्योतिषियों के बारे में उनका मानना है कि प्रकृति में सब तय है और किसी की कोई बाधा दूर नही हो सकती। उपाय से इतना जरूर है कि विपत्तियों से जूझने का आत्मबल आ जाता है,सहनशक्ति बढ़ जाती है और आपकी छठी इंद्री सक्रिय होकर आपको सफलता के रास्ते पर ले जाती है।
मंगल ग्रह के प्रभाव के बारे में उनका कहना है कि मंगल पराक्रम भाव को जागृत करता है, कार्यों में सफलता प्रदान करता है। स्वास्थ्य के साथ ही मंगल को बलि करने के लिए मिट्टी के बर्तनों का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए।

मिट्टी के बर्तनों से ज्योतिष उपाय पर वे कहतें हैं कि वास्तु व ज्योतिष के अनुसार पानी से भरे मिट्टी के घड़े या मटके को रखने के लिये उत्तर दिशा को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। इससे आपको उत्तर दिशा से संबंधित शुभ फलों की प्राप्ति होगी। इससे आपके ऊपर वरूण देव का आशीर्वाद बना रहता है। साथ ही आपको किसी तरह का भय नहीं सताता, यानी आपको किसी चीज़ से डर नहीं लगता है। उत्तर दिशा में जल संबंधी चीज़ें रखने से हमारे शरीर में सबसे ज्यादा लाभ हमारे कानों को मिलता है। इससे हमारी सुनने की क्षमता मजबूत रहती है।
प्रश्न कुंडली को लेकर भी श्री खरे का आंकलन बिलकुल सटीक होता है। चूंकि कई प्रश्न ऐसे होते हैं जिनका जवाब जन्म कुण्डली से मिलना मुश्किल है लेकिन प्रश्न कुंडली से उत्तर मिल सकता है। प्रश्न कुण्डली से जाना जा सकता है कि कोई काम होगा या नहीं। किसी मामले में जीत होगी या हार, बीमार व्यक्ति स्वस्थ होगा या नहीं, गुमशुदा आदमी मिलेगा या नही। गुम हुआ सामान मिलेगा या नहीं।
