राजस्व मंत्री ने कोरबा में 3 दशकों से अटके मांग को झटके में किया पूरा..
ऐसा नहीं है कि भाजपा के 3 बार के शासन काल के दौरान इसके लिए कोई प्रयास नहीं किया गया था, प्रयास हुआ था लेकिन यह सब सिर्फ कागजों में सिमटकर रह गया था।
कोरबा में मुख्य मार्ग के दोनों ओर बड़ी घनी आबादी है लेकिन आम पब्लिक एक पार्क की आवश्यकता लगभग 3 दशक से लंबे से महसूस कर रही थी। कोरबा का विस्तार जब नहीं हुआ था तब गीतांजली भवन के पास स्थित ट्रांसफर के पीछे ही ग्राम पंचायत कार्यालय था,जिसकी छत खपरे की थी और इसके बाजू में कोरबावासियों के लिए एक बगीचा था, जहां पर 1989 में गीतांजली भवन बना दिया गया था। लगभग 30-32 वर्षो से इसके बाद से ही लोग एक बगीचे की आवश्यकता महसूस कर रहे थे।
टहलने की जगह के अभाव में लोगबाग सड़कों पर टहलने को विवश थे लेकिन लगातार सड़क दुर्घटना का भय बना रहता था और उस पर सड़क पर टहलने के मध्य वाहनों से बरसते भयावह प्रदूषण की मार सो अलग। अब पुराने कोरबा में अगर व्यवस्थित ढंग से मुहल्ले बसे हुए होते तो टहलने के लिए बगीचे आदि का प्रावधान रहता लेकिन पुराना कोरबा जैसा कि नाम से प्रकट होता है, देश के किसी भी शहर का पुराना एरिया अव्यवस्थित रूप से ही बसा हुआ होता है, जहां नागरिक सुविधाओं का विस्तार बड़ी कठिनाइयों के बीच होते-होते होता है।
पुराने कोरबा में बगीचे के लिए विकल्प के रूप में आबकारी विभाग के वेयर हाउस को अन्यत्र स्थानातरित कर यहाँ पर एक सर्वसुविधायुक्त उद्यान की मांग सीतामढ़ी से लेकर पुराने पवन टॉकीज रेलवे फाटक के लोग कई वर्षों से कर रहे थे। ऐसा नहीं है कि भाजपा के 3 बार के शासन काल के दौरान इसके लिए कोई प्रयास नहीं किया गया था, प्रयास हुआ था लेकिन यह सब सिर्फ कागजों में सिमटकर रह गया था।
पुराने कोरबा शहर के निवासियों की एक महत्वपूर्ण व बहुप्रतीक्षित मांग ने उस समय आकार लेना शुरू किया जब राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री के रूप में विधायक जयसिंह अग्रवाल को प्रदेश के मंत्रीमंडल में स्थान मिला और उन्होंने इस दिशा में तत्काल प्रभाव से पहल किया। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक चावलानी ने भी इस बात को स्वीकार किया था और सार्वजनिक रूप से कहा था कि मैं अपनी पार्टी के 3 बार के शासनकाल में मांग कर चुका था लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
विगत माह राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री जयसिंह अग्रवाल के विशेष प्रयास से नगर पालिक निगम कोरबा द्वारा 01 करोड़ 13 लाख 07 हजार रूपये की लागत से पुराने कोरबा शहर में मुख्य मार्ग पर सर्वसुविधायुक्त भव्य गार्डन का लोकार्पण राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के करकमलों के द्वारा किया गया। उन्होने विधिवत पूजा अर्चना के साथ फीता काटकर व लोकार्पण पट्टिका का अनावरण कर उक्त उद्यान को जनता की सेवा में समर्पित किया।
कांग्रेस से जुड़े स्थानीय बनवारीलाल पाहुजा कहतें हैं -” आनेवाले समय में एक्यूप्रेशर टाइल्स लगाने के साथ ही कुछ और भी अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में क्षेत्र के वरिष्ठ लोगों द्वारा एक मांग निगम प्रशासन से की जाएगी। मंत्री जी की पहल पर कोरबावासियों को मिली यह भेंट अमूल्य है।”
उद्यान का नामकरण संत कंवर राम के नाम पर
उक्त उद्यान के भूमिपूजन के समय सिंधी समाज के लोगों ने उक्त उद्यान का नामकरण संत कंवर राम के नाम पर किए जाने का आग्रह राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल से किया गया था जिस पर राजस्व मंत्री श्री अग्रवाल ने अपनी सहमति देते हुए नामकरण की अनुशंसा की थी, उक्त उद्यान का नामकरण संत कंवर राम के नाम पर किया गया है।
