2018 में संसदीय समिति ने चीनी सामानों को लेकर दी थी चिंताजनक रिपोर्ट

सोलर पैनल के क्षेत्र में ही करीब 2 लाख लोगों के रोजगार पर पड़ा असर : “..रिपोर्ट”

आमजन को भले ही ऐसा महसूस हो रहा हो कि चीनी सेना के भारत की सीमा में अनाधिकृत कुचेष्टा के कारण भारत सरकार चीनी उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगा रही है जबकि वास्तव में ऐसा नही है।इस दिशा में मोदी सरकार वर्ष 2018 से ही संसदीय समिति की रिपोर्ट आने के बाद से घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में विशेष रूप से प्रयासरत थी।

संसद की स्थायी समिति ने सस्ते और कम गुणवत्ता वाले चीनी सामानों बढ़ते आयात और उससे घरेलू उद्योगों को होने वाले नुकसान पर गहरी चिंता व्यक्त की थी।समिति ने सरकार से किसी भी तरह के अवैध, संरक्षणवादी और अनुचित व्यापार व्यवहार के सामने घरेलू उद्योगों को सभी मोर्चे पर सुरक्षा और संरक्षण देने की सिफारिश करते हुए कहा था कि सिर्फ सोलर पैनल के क्षेत्र में चीन के सस्ते सोलर पैनल की डंपिंग के चलते करीब 2 लाख लोगों के रोजगार पर असर पड़ा है।

रिपोर्ट में चिंता जताते हुए ” चीनी सामान के आयात का भारत के उद्योगों पर असर” में कहा गया था कि ब्यूरोऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स जैसी संस्थाएं घटिया चीनी सामान को भी आसानी से सर्टिफिकेट दे रही हैं जबकि हमारे निर्यात को चीन सरकार बहुत देरी से और काफी ज्यादा फीस वसूलने के बाद ही चीनी बाजार में प्रवेश करने देती है।

समिति ने देश के घरेलू और मंझोले पर हो रही परेशानियों रिपोर्ट में व्यक्त करते हुए कहा था कि कपड़ा, स्टील, पटाखे, सायकिल,दवाई सहित कई उद्योग अपने उत्पादन में कटौती करने के लिए मजबूर हैं या मांग में कमी के कारण बंद होने की स्थिति में है या बंद हो चुके है। भारत सरकार को दिये गए रिपोर्ट में अनुशंसा की गई थी कि जिस तरह से यूरोपीय संघ के देशों और अमेरिका ने इस संबंध में सक्रियता के साथ कदम उठाए हैं, उसी दिशा में काम करने की जरुरत है।

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