सुरेंद्र किशोर : अमेरिका व भारत में अंतर.. जेल होने पर अफसर निलंबित लेकिन कैदी चुनाव लड़ सकता है…
दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन विचाराधीन कैदी के रूप में महीनों से जेल में हैं।
फिर भी उन्होंने मंत्री पद नहीं छोड़ा।ऐसे अन्य कई उदाहरण सामने आतेे रहते हैं।
कितनी बेशर्म हो चुकी है हमारी राजनीति ?!!
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कोई विचाराधीन कैदी जेल से ही चुनाव लड़ सकता है।
पर,यदि कोई सरकारी अफसर जेल जाता है,भले ही विचाराधीन कैदी के रूप में ,तो उसे सेवा से निलंबित कर दिया जाता है।
दूसरी ओर, विचाराधीन कैदी मतदान नहीं कर सकता।
यानी, विचाराधीन कैदी चुनाव तो लड़ सकता है, किंतु विचाराधीन कैदी मतदान नहीं कर सकता।
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कैसे- कैसे विरोधाभास चल रहे हैं,इस लोकतंत्र में ?
इस संबंध में न तो अदालत कोई विवेकशील फैसला कर रही है और न ही बार -बार संविधान की दुहाई देने वाले लोग इन मामलों में शोर मचा रहे हैं।
अमेरिका और भारत में अंतर
अमेरिका में 2 शर्ट चुराने वाले जी.फ्रैंक को 20 साल की सजा और भारत में 1 लाख 86 हजार करोड़ रुपए के कोयला घोटाले में शामिल कोयाल सचिव गुप्त को मात्र 3 साल की सजा।
और, कोयला मंत्री को तो तीन दिन भी नहीं।
—अश्विनी उपाध्याय,वरीय वकील सुप्रीम कोर्ट
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उपाध्याय जी यह बताना भूल गए कि घोटाले के समय कोयला मंत्रालय का प्रभार प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के ही जिम्मे था।
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दरअसल इस देश के कई प्रधान मंत्रियों पर केस तो चले किंतु अदातली सजा से वे बचा लिए गए।
क्या इसलिए कि कुछ समर्थ लोग यह मानते हैं कि प्रधान मंत्री को सजा मिलने पर देश की बदनामी होगी ?
याद रहे कि इस देश के कम से कम आधे दर्जन प्रधान मंत्री
जेल की सजा काटने के पूर्ण हकदार थे।