कौशल सिखौला : विपक्ष इसलिए संसद नहीं चलने देने की योजना पर काम कर रहा..

अयोध्या से लेकर रामेश्वरम तक जहां जहां बीजेपी हारी है , भाई लोग बड़े चटखारे ले लेकर उन शहरों के नाम गिना रहे हैं । वे खुश हैं कि वनवास के समय राम जहां जहां होकर लंका पहुंचे , वे सभी सीट इंडी गठबंधन ने हथिया ली हैं । उद्देश्य यह बताना है कि राम का नाम लेने वालों को राम ने बिसरा दिया।

राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए बीजेपी सांसद विद्वान सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने ठीक ही कहा कि राम को नकारने वालों को अब वे सारे नाम याद आ रहे हैं जो राम के यात्रा पथ से जुड़े हैं । भले ही
यह याद आने का कारण कुछ और है । परंतु इस बहाने विपक्षी दलों को भी राम की याद आई तो । बहरहाल अखिलेश आजकल अयोध्या से जीते सपा सांसद अवधेश प्रसाद को न केवल साथ लिए घूम रहे हैं अपितु उन्हें अयोध्या के अवधेश बताने से भी गुरेज नहीं कर रहे । संसद में भी उन्हें अपने पास बैठा रहे हैं।

बात केवल अयोध्या , बस्ती , प्रयाग , चित्रकूट , रामेश्वरम आदि सीटों से भाजपा की पराजय तक सीमित नहीं है । संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद देने का अवसर सांसदों को दिया गया है । यह संसदीय परंपरा है , जिसका पालन संसद शुरू होने पर किया जाता है । लेकिन संसद में दो दिनों से जो हो रहा है वह दुःखद है।

दरअसल विपक्ष स्वीकार ही नहीं कर पा रहा कि वह सत्ता पाने से तीसरी बार भी वंचित हो गया है । इसलिए किसी भी सूरत में संसद न चलने देने की योजना पर काम चल रहा है । ऐसा पिछले दस वर्ष से हो रहा है । सत्ता पक्ष अंततः तमाम प्रस्ताव पास करा ही लेता है । विपक्ष दिखाना चाहता है कि इस बार कोई प्रस्ताव पारित नहीं होने दिया जाएगा । तथापि एनडीए का बहुमत है और विरोध के बावजूद सरकार अपना काम काज पूरा करा ले जायेगी।

देखिए संसद चलाना सत्तारूढ़ दल की भी जिम्मेदारी है और उतनी ही विपक्ष की भी । नई संसद में आपातकाल के विरुद्ध लोकसभा अध्यक्ष ने प्रस्ताव पारित कराया तथा राष्ट्रपति के अभिभाषण में आपातकाल का जिक्र आया । इससे कांग्रेस खासी चिढ़ गई है। माहौल सामान्य करने की जिम्मेदारी सरकार की है , अध्यक्ष की है । दोनों ओर से गलतियां होती रही तो वास्तव में संसद नहीं चल पाएगी।

इसमें कोई शक नहीं कि अच्छी संख्या में सीटें हासिलकर इंडी अलायन्स लड़ने पर उतारू है । मिलजुलकर आगे बढ़ने की कल्पना निरर्थक साबित हो रही है । तो क्या अगले पांच साल ऐसे ही चलने वाला है । मतलब इंडिया ब्लॉक सरकार के टूटने की बात जोहेगा और सरकार इंडिया ब्लॉक को तोड़ने की कोशिशें करेगी । इसका अर्थ यह कि जैसा चल रहा था वैसा ही चलेगा । फिर क्या कर सकते हैं , मजबूरी है ? संसद में कामकाज हो , इसका रास्ता पक्ष विपक्ष दोनों के लिए खोजना जरूरी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *