सुरेंद्र किशोर : नए राष्ट्रपति भवन का उद्घाटन कौन करेगा.. कुछ टिप्पणियां…

कल्पना कीजिए कि राष्ट्रपति भवन के पुनर्निर्माण की जरूरत पड़ जाए !
नया राष्ट्रपति भवन बन कर तैयार भी हो जाए।
अब बताइए कि उस नये भवन का लोकार्पण कौन करेंगे ?
जाहिर है कि राष्ट्रपति ही करेंगे।


कुछ लोग चाहते हैं कि नये संसद भवन का लोकार्पण भी
राष्ट्रपति ही करें।
ऐसी मांग करने वाले लोग लोकतंत्र में
कैसा संतुलन कायम करना चाहते हैं ?
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वैसे यह अच्छी बात है कि कांग्रेस अब राष्ट्रपति पद की गरिमा का ध्यान
रख रही है।
इस तरह वह कम से कम दो राष्ट्रपतियों के प्रति कांग्रेसी प्रधान मंत्रियों के उपेक्षापूर्ण रवैये के लिए अघोषित प्रायश्चित कर रही है।
वे दो राष्ट्रपति थे–डा.राजेंद्र प्रसाद और ज्ञानी जैल सिंह।
1984 के सिक्ख संहार के समय तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गाध्ंाी ने तो राष्ट्रपति जैल सिंह का फोन तक नहीं उठाया था।
उनके रिश्तेदारों- मित्रों का भी संहार हो रहा था।(खुशवंत सिंह का फोन भी राजीव गांधी ने नहीं उठाया था।जबकि उन्हें नेहरू परिवार का ‘खुशामद’ सिंह कहा जाता था।)
इतना ही नहीं,तब के एक केंद्रीय मंत्री ने,जो बिहार से थे, ऊपरी इशारे पर जैल सिंह के खिलाफ न जाने कितने अभद्र शब्दों का सार्वजनिक रूप से इस्तेमाल किया।
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बिहार भाजपा के एक नेता ने आरोप लगाया है कि मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने जार्ज फर्नांडिस के साथ पाप किया था।
कौन सा पाप ?
क्या नीतीश कुमार ने सन 2009 में जार्ज फर्नांडिस को राज्य सभा में भेज कर पाप किया ?
याद रहे कि अशक्त जार्ज को उस मदद की बड़ी जरूरत थी।
दूसरी ओर, राजद ने उनके आखिरी समय में शरद यादव को राज्य सभा नहीं भेजा।
जबकि, जीतन राम मांझी ने बीमार शरद यादव से मिलने के बाद लालू यादव और नीतीश कुमार से सार्वजनिक रूप से अपील की थी कि वे शरद यादव को राज्य सभा भेजें।
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कर्पूरी ठाकुर के निधन के लालू प्रसाद को उनका उत्तराधिकारी बनाने में सबसे बड़ी भूमिका शरद यादव की थी।
बाद में लालू प्रसाद को मुख्य बनवाने में भी शरद की सबसे बड़ी भूमिका थी।
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जार्ज फर्नांडिस ने पहले तो नीतीश कुमार की मदद की।
सन 2000 में मुख्य मंत्री बनवाने में जार्ज की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
किंतु बाद में जार्ज नीतीश को नजरअंदाज करके बांका वाले दिग्विजय सिंह को मुख्य मंत्री बनवाने
की कोशिश करने लगे।
ऐसे में नीतीश से उनके संबंध में खटास स्वाभाविक थी।
फिर भी उनके जीवन की संध्या बेला में नीतीश ही जार्ज के काम आए।
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शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने ठीक ही कहा है कि राजनेता शब्दों के वाणों से राष्ट का अहित करने में लगे हैं।
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जो नहीं कहा, वह यह है कि अनर्गल बयानों के कारण नामी-गिरामी नेताओं के खिलाफ आज मानहानि के जितने मुकदमे हो रहे हैं,उतने इससे पहले कभी नहीं हुए थे।
उन मुकदमों को लेकर नेतागण न सिर्फ अपना बहुमूल्य समय व पैसे (वैसे उन्हें पैसों की कोई कमी नहीं है।कमी तो हमारे जैसे सामान्य लोगों को है)बर्बाद कर रहे हैं बल्कि उनमें से कई नेताओं को बारी -बारी से सजाएं भी हो रही हैं।
आगे भी होती रहेंगी।
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राजनीति में अनेक अयोग्य, अध कचरे और गैर जिम्मेदार लोगों के शीर्ष
पर पहुंच जाने के कारण यह सब हो रहा है।
लोकतंत्र कलंकित हो रहा है।नयी पीढ़ी को राजनीति से वितृष्णा हो रही है।
यह राजनीति के गिरते स्तर का बहुत बड़ा प्रमाण है।
लगता है कि यह गिरावट रुकने वाली भी नहीं है।



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ये एक पुराना live vdo है जिसमें डेंगुर नाला में तेलयुक्त अथाह केमिकल छोड़कर नदी को बांझ करने के साथ ही शहरवासियों को किस प्रकार का विषैला पानी निगम के नल कनेक्शन के माध्यम से पिलाया जा रहा है, इस VDO को देखकर आप दहल जाएंगे कि भविष्य में जिन घरों में निगम के नल कनेक्शनों के माध्यम से पानी जा रहा है, उनका पूरा परिवार एक साथ किस प्रकार की गंभीर बीमारियों से जूझने वाला है।
यह संकट मात्र एक नदी का नहीं बल्कि पूरे शहर का संकट है।

रात के अंधेरे में और क्या-क्या इसमें अर्पित किया जाता होगा, यह पर्यावरण विभाग कोरबा को देखना चाहिए।

बुद्धिजीवियों से इस पर प्रतिक्रिया की अपेक्षा कोमा में जा रही जीवनदायिनी-जीवनधारा को है।

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