पहली बार कृषि निर्यात के 10 शीर्ष देशों में भारत..कश्मीर मुद्दे पर मलेशिया के रुख से पाम तेल आयात बंद करने के बाद 11,000 करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-पाम तेल की बड़ी घोषणा
भारत की आयात निर्भरता खाद्य तेल पर आजादी के बाद से लगातार बढ़ी है। इस आयात पर निर्भरता कम करने के लिए कोई प्रयास पिछली सरकारों ने कभी नहीं किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल 11,000 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-पाम तेल की घोषणा की, ताकि भारत को ताड़ के तेल सहित खाना पकाने के तेल मेंं भी आत्मनिर्भर बनाया जा सके।
उल्लेखनीय है कि उद्देश्य से पिछले कुछ वर्षों से भारत मेंं तिलहन और पाम तेल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र पहले से ही तिलहन और पाम तेल पर एक राष्ट्रीय मिशन आयात कम करने के लिए चला रहा है। केंद्र किसानों को पाम तेल की खेती की ओर स्थानांतरित करने के लिए दी गई वित्तीय सहायता को बढ़ाने और उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने पर भी विचार कर रहा है। अपनी घरेलू मांग के 60 प्रतिशत से अधिक को पूरा करने के लिए भारत की आयातित खाद्य तेल पर निर्भरता है, क्योंकि घरेलू तिलहन उत्पादन कम है। दुनिया का सबसे बड़ा वनस्पति तेल आयातक भारत ही है और प्रमुखतः इंडोनेशिया और मलेशिया से सालाना 9 मिलियन टन से अधिक की खरीद करता रहा है।
कश्मीर मुद्दे पर मलेशिया के रुख से भारत के पाम तेल के व्यापारी इंडोनेशिया के तरफ मुड़ गए। मलेशिया का कश्मीर आलाप पर पाम तेल के लिए मलेशिया पर निर्भरता कम कर के उसे एक कूटनीति जवाब मोदी सरकार ने दिया।
कूटनीतिक स्तर पर मलेशिया ने तेल के मुद्दे पर बात करने का असफल प्रयास किया और साथ-साथ अपना सबसे बड़ा बाज़ार भी खो दिया। इंडोनेशिया ने मलेशिया की जगह ले ली लेकिन अब मोदी सरकार हर प्रकार से खाद्य तेल मेंं पूर्णतः आत्मनिर्भर होना चाहती है।
PM मोदी ने पीएम-किसान की एक किस्त जारी करने के अवसर पर एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कल याद दिलाया कि जब कुछ साल पहले देश में दालों की कमी हुई थी, तो उन्होंने किसानों से दलहन का उत्पादन बढ़ाने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप पिछले 6 वर्षों में देश में दालों के उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
प्रधानमंत्री ने खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए एक दृढ़संकल्प के रूप में ‘राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम यानी एनएमईओ-ओपी’पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज जब देश ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ को स्मरण कर रहा है, इस ऐतिहासिक दिन पर यह दृढ़संकल्प हमें नई ऊर्जा से भर देता है। उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम’ मिशन के जरिए खाद्य तेल से जुड़ी समग्र व्यवस्था में 11,000 करोड़ रुपये से भी अधिक का निवेश किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि “सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि किसानों को बेहतरीन बीजों से लेकर प्रौद्योगिकी तक सभी सुविधाएं मिलें। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पहली बार भारत ने कृषि निर्यात के मामले में दुनिया के शीर्ष 10 देशों में स्वयं को शुमार किया है। कोरोना के संकट काल में देश ने कृषि निर्यात में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि आज जब एक बड़े कृषि निर्यातक देश के रूप में भारत की पहचान बन गई है, तो खाद्य तेल की हमारी जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर रहना सही नहीं है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की कृषि नीतियों में अब छोटे किसानों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसी भावना के साथ पिछले कुछ वर्षों से इन छोटे किसानों को सुविधा और सुरक्षा प्रदान करने के लिए अत्यंत गंभीरतापूर्वक प्रयास किए जा रहे हैं। ‘पीएम किसान सम्मान निधि’ के तहत अब तक किसानों को 1 लाख 60 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। इनमें से 1 लाख करोड़ रुपये महामारी के संकट काल के दौरान छोटे किसानों को अंतरित किए गए हैं। कोरोना काल के दौरान 2 करोड़ से भी अधिक किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए, जिनमें से अधिकांश छोटे किसानों को दिए गए। ऐसे ही किसान देश में स्थापित की जा रही कृषि संबंधी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं और कनेक्टिविटी संबंधी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं से लाभान्वित होंगे। फूड पार्क, किसान रेल और इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड जैसी पहलों से छोटे किसानों को काफी मदद मिलेगी। बीते साल इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के तहत 6 हजार से भी ज्यादा परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये कदम बाजार तक छोटे किसानों की पहुंच के साथ-साथ एफपीओ के माध्यम से सौदेबाजी करने की उनकी क्षमता को भी काफी बढ़ा देते हैं।