राफेल पर फेल विपक्ष इंटरनेशनलफूल बेइज्जती के लिए ओखली में दे चुका है सिर..देखें vdo

विपक्षी दलों का मन अभी राष्ट्रीय स्तर पर बेइज्जत होने के बाद भी नहीं भरा है। इसके बाद भी विपक्षी दल पिछले कई वर्षों से राफेल खरीदी को लेकर जो गंदगी लंबे समय से फैला रहे हैं , अब उस पर फ्रांस सरकार ने न्यायिक जांच की स्वीकृति दे दी है। इसके बाद विपक्षी दलों के तथाकथित जननेताओं की इंटरनेशनल बेइज्जती होना तय है।

【बेस मॉडल के जिस car को विज्ञापन में मात्र 3 लाख का बताया जाता है, शोरुम  में जाने पर उसी का Top model 6 लाख रुपये का बताया जाता है, लगभग यही बात राफेल डील के साथ है। 

कांग्रेस ने भारी संख्या में कुल 126 बेसिक एयरक्राफ्ट का सौदा किया था और सेना-देश को खतरे में डालते हुए 2012 तक टाला भी और Modi सरकार ने Loaded मात्र 36 लड़ाकू Aircraft की डील की।

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अब राफेल में किस तरह के हथियार,कितनी मारक क्षमता के साथ लैस है, ये सरकार सुरक्षा की दृष्टि से क्यों सार्वजनिक करेगी??】

राफेल डील, मोदी सरकार और कांग्रेस को समझना है तो राफेल पर स्वर्गीय अरुण जेटली के 17 मिनट के इस VDO में शुरू के सिर्फ 4.5 को देखकर स्थिति clear हो जाती है…और 4.5 मिनट के बाद आगे पूरा आप खुद देखना चाहेंगे।

राफेल प्लेन खरीद के मुद्दे पर  विगत दिनों फ्रांस  सरकार ने न्यायिक जांच का आदेश जारी कर दिया हैं। इस जांच के लिए उन्होंने फ्रांस के जज को भी नियुक्त किया है।

 

राफेल डील पर जांच बिठाने की बात सामने आने जिसके बाद विपक्ष गदगद हो गया है । विपक्षियों ने राफेल के ‘घोटाले’ की जांच की बात एक बार फिर से दोहराई है।

 

राष्ट्रीय सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए 2015-16 सत्र के दौरान तत्कालीन फ्रांस सरकार और तत्कालीन भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर के बीच 36 राफेल जेट्स की खरीददारी का समझौता हुआ था। परंतु भारत के विकास की दिशा में कुछ अच्छा हो, यह भला विपक्ष को कैसे बर्दाश्त कैसे हो सकता है? क्योंकि खुद तो उनके शासन के दौरान सेना की सुरक्षा, मजबूती के साथ खिलवाड़ करते हुए डील को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।

इसी तिलमिलाहट में लड़ाकू राफेल एयरक्राफ्ट की खरीददारी को लेकर विपक्ष ने एक काल्पनिक घोटाले की कल्पना विदेशी मीडिया के साथ मिलकर की।

विपक्ष ने 2018 में काफी हो हल्ला राफेल को लेकर शोर मचाया था, लेकिन 2019 में सुप्रीम कोर्ट में उसके खोखले दावों की धज्जियां उड़ गई थी।

सभी स्त्रोतों से ये प्रमाणित हो चुका है कि राफेल की खरीद में घोटाला जैसा कुछ नहीं है। इसके पश्चात भी  फ्रांस सरकार ने एक और न्यायिक जांच आयोग बैठा दिया है। लेकिन आगे भी अगर फ्रांस की न्यायिक जांच की रिपोर्ट में भी कुछ प्रमाणित नहीं होता है, तो न केवल मोदी सरकार बेदाग होगी, बल्कि इसके साथ ही विपक्षी पार्टियों की इंटरनेशनल बेइज्जती भी सुनिश्चित हो जाएगी।

 

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