कृषि कानूनों पर शरद पवार के U turn से आंदोलन और विपक्षी दल बैकफुट पर..
किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि “कृषि कानूनों को पूरी तरह से खारिज करने के बजाए इसके उस हिस्सों में संशोधन किया जाना चाहिए, जिससे किसानों को दिक्कत है।”
शरद पवार के हाल ही में मीडिया में कहे गए इस बात के बाद अब यह बात कही जा सकती है कि कृषि कानूनों के विरोध करने वाले विरोधी पक्ष का साथ छोड़ चुके हैं। विपक्षियों की तरफ से शरद पवार को केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों का विरोध करने वालों के बीच सबसे महत्वपूर्ण चेहरा माना जा रहा था। ऐसे में उनका अपने ही बयानों से विपरीत कथन करना बताता है कि कृषि कानूनों के मुद्दे पर अब पूरा विपक्ष एक तरह से बैकफुट पर आ गया है।
शरद पवार से पूछा गया था कि क्या किसानों की मांग को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में प्रस्ताव लाएगी? इसके जवाब में उन्होंने कहा, “पूरे बिल को खारिज कर देने के बजाए हम उस भाग में संशोधन कर सकते हैं जिसे लेकर किसानों को आपत्ति है, उन्होंने कहा कि इस कानून से संबंधित सभी पक्षों से विचार करने के बाद ही इसे विधानसभा के पटल पर लाया जाएगा।”
कृषि कानून को लेकर शरद पवार के बयान का केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने स्वागत करते हुए कहा कि “पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार का रुख स्वागत योग्य है। उन्होंने अपने रुख से स्पष्ट कर दिया है कि कानूनों को बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है। जिन बिंदुओं पर आपत्ति है, उन्हें विचार-विमर्श के बाद बदला जाना चाहिए। मैं उनके रुख का स्वागत करता हूं। केंद्र उनकी बात से सहमत है और हम चाहते हैं कि मामला जल्द से जल्द सुलझाया जाए।”


