नया सिनेमा एक्ट : देश, सेना, न्यायालय का मजाक उड़ाती फिल्मों का होगा THE end..पारिवारिक फिल्मों में कोई भी व्यस्क दृश्य नही…

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देश,सेना, न्यायालय की अखंडता का मजाक उड़ाती फिल्मों पर लगाम कसने के उद्देश्य से केंद्र सरकार सन 1952 से चल रहे सिनेमा एक्ट में बड़ा बदलाव देश और नागरिकों के सार्वभौमिक हित में करने जा रही है।
मुदगल समिति और श्याम बेनेगल समिति की अनुशंषाओ पर भी इसमें विचार किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में सिनेमा एक्ट में संशोधन करने के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट द्वारा प्रस्तुत करने की अनुमति दी जा चुकी है।
आम पब्लिक केंद्र सरकार के इस संशोधन के साथ खड़ी नजर आ रही है तो वही दूसरी ओर इस बिंदु पर फ़िल्म जगत में कशमकश की स्थिति निर्मित हो रही है। नए नियमों के आ जाने के बाद भारत की छवि, न्यायालय का मजाक बनाती फिल्मों के साथ ही सेना की छवि गलत तरीके से पेश करने वाली फिल्मों पर कार्यवाही की जाएगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फिल्मों को U/A  प्रमाणपत्रों भिन्न-भिन्न श्रेणियों में देने के लिए नए तरीकों से वर्गीकरण किया जाएगा। सपरिवार देखने योग्य फिल्मों में व्यस्क दृश्य बिलकुल भी किसी भी अंश में नहीं जोड़ा जाएगा, इसके लिए अलग से कंटेंट डालना तब अनिवार्य हो सकता है।
ऐसा नहीं लगता कि केंद्र सरकार आसानी से सिनेमा एक्ट में संशोधन कर लेगी। बॉलीवुड भी तब हो सकता है कि इस बात पर दो गुटों में बंट जाए। वैसे यह तो तय है कि पहले ही अगर लगाम कस दिया गया होता तो समाज में जहर फैलाने का काम रुक गया होता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *