2014 के बाद..लोन न चुकाने वाले अरबपति कैसे छटपटा रहे हैं..
2014 के पूर्व बड़ी कंपनियों, औद्योगिक घरानों की स्थिति यह थी कि बैंक का कर्ज न चुकाना पड़े, इसके लिए कंपनी को दिवालिया घोषित करने को तैयार हो जाते थे लेकिन कर्ज चुकाने के नाम पर पीछे हट जाते थे। अब समय 2014 के बाद बदल चुका है। देश के एक बड़ा औद्योगिक घराने एस्सार स्टील कंपनी के प्रमोटर्स रुइया परिवार ने दिवालिया प्रक्रिया से गुजरने के बाद अचानक अपने सारे कर्जदारों के 54389 करोड़ रुपये कर्ज चुकाने की पेशकश की थी।
आर्सेलर मित्तल नीलाम होती को. को लेने के लिए आगे आए थे। रुइया परिवार ने ऐसा ही यह कदम नहीं उठाया था। नीलाम होने की स्थिति में कंपनी में अपना अधिकार शून्य होता देख रुइया परिवार अपनी कंपनी के लिए लिए सारे कर्ज चुकाने को तैयार थे।
वैश्विक अर्थव्यवस्था कोरोना के परिदृश्य में बर्बादी की ओर बढ़ी है लेकिन भारत इस काल में भी तेजी से उभरकर सामने आया है। जो लोग मोदी सरकार को कोरोना काल मे आर्थिक मोर्चे पर फेल साबित कर रहे हैं उन्हें पुरवर्ती सरकारो के मध्य अरबों खरबों बड़ी-बड़ी धनराशि लेकर चैन से सोने वालों से पूछना चाहिए कि उनपर क्या बीत रही है!
भगोड़े जो भाग गए थे और पुरवर्ती सरकारों के प्रतिनिधि रहे लोग विदेश जाकर जो उनकी वकालत कर रहे हैं, उनसे पूछना चाहिए कि ये कैसा याराना है?
इससे स्पष्ट हो जाता है कि मोदी सरकार कुछ तो सही कर रही है, तभी तो जनता की गाढ़ी कमाई पर ऐश करने वालों का चैन खो गया है।
तब इन्ही लोगों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार मानक गुप्ता ने एक ट्वीट किया था कि लोन न चुकाने वाले अरबपति कैसे छटपटा रहे हैं…!!! कम्पनी हाथ से जाते देख अब ख़ौफ़ में हैं। एस्सार स्टील को बचाने के लिए रुइया अब 54389 करोड़ रु का पूरा कर्ज चुकाना चाहते हैं. कुछ तो सही हो रहा है।