सेंट्रल विस्टा पर दिल्ली हाईकोर्ट : याचिका किसी मकसद से ‘‘प्रेरित’’ थी और ‘‘वास्तविक जनहित याचिका’’ नहीं..1 लाख ₹ जुर्माने के साथ खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के बीच सेंट्रल विस्टा परियोजना का काम रोकने का अनुरोध करने वाली याचिका को एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया।

आज हुई एक सुनवाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सेंट्रल विस्टा सेंट्रल विस्टा का निर्माण कार्य जारी रहेगा। सेंट्रल विस्टा एक अहम, आवश्यक राष्ट्रीय परियोजना है।

कोरोना वारयस वैश्विक महामारी के दौरान परियोजना रोके जाने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ नेकहा कि याचिका किसी मकसद से ‘‘प्रेरित’’ थी और ‘‘वास्तविक जनहित याचिका’’ नहीं थी। याचिकाकर्ताओं पर अदालत ने एक लाख रुपए जुर्माना लगाया।
अपने फैसले में पीठ ने कहा कि शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप को दिए गए ठेके के तहत काम नवंबर 2021 तक पूरा होना है और इसलिए इसे जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय इस परियोजना को पहले ही वैध ठहरा चुका है। उल्लेखनीय है कि इस प्रोजेक्ट को लेकर विपक्ष केंद्र सरकार पर लगातार अनर्गल आरोप लगा रहे थे। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत एक नया संसद भवन, एक नए आवासीय परिसर के निर्माण की परिकल्पना की गई है, जिसमें प्रधानमंत्री और उप-राष्ट्रपति के आवास के साथ-साथ कई नए कार्यालय भवन और मंत्रालयों के कार्यालयों के लिए केंद्रीय सचिवालय का निर्माण होना है।

 

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