गूगल और फेसबुक ने केंद्र सरकार की नई नीतियों के आगे सरेंडर कर दिया है। केंद्र सरकार ने कड़ा संदेश दे दिया है कि कानून बनाना और नीतियों को लागू करना पूरी तरह से एक संप्रभु सरकार का काम है और राष्ट्रहित में इससे कोई समझौता नहीं किया जायेगा।
भारत सरकार के सख्त रवैये को ददेखकर गूगल निःशर्त भारतीय सरकार के आईटी अधिनियमों को मानने को तैयार है और फेसबुक भी अब काफी हद तक भारत सरकार की बातों को मानने के लिए तैयार है, लेकिन ट्विटर की टालमटोल जारी है उससे अब यही लगता है कि कही ट्विटर हश्र टिकटॉक की तरह न हो जाए।
कुछ दिन पहले ही टूलकिट मामले में ट्विटर ने बगैर किसी जाँच पड़ताल के भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के आरोपों को ‘Manipulated मीडिया’ की श्रेणी में डाल दिया था। इसी दौरान केंद्र सरकार ने ट्विटर इंडिया को नोटिस भेजा और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ट्विटर के दिल्ली और गुरुग्राम स्थित दफ्तरों पर छापा डाला।
कहने को तो छापा तो ट्विटर के दफ्तर पर पड़ा था, लेकिन इससे सरकार का साफ बिना किसी लागलपेट के कड़ा संदेश सभी बिग टेक कंपनियों को मिल गया कि अबसे नियम अनुसार चलिए नहीं तो खैर नहीं। बिना किसी आपत्ति के भारतीय आईटी अधिनियमों को मानने को लेकर फेसबुक ने अपनी सहमति दे दी है।
फेसबुक ने पोस्ट किया, “हम भारतीय आईटी अधिनियमों के अनुसार काम करने को तैयार हैं, जिसके लिए सरकार से हमारी बातचीत जारी है। हम आशा करते हैं कि सभी कार्य पूर्ण हो और किसी प्रकार की शंका किसी के मन में न रहे।”।
अब यह भी सामने आ रहा है कि गूगल भी अब बिना शर्त भारत सरकार के नए आईटी अधिनियमों को मानने को तैयार हो चुका है। गूगल के अनुसार, “हम अपनी ओर से पूरा प्रयास करेंगे कि जितना संभव हो सके, उतना हम भारतीय अधिनियमों के अनुसार अपने नियमों को ढाल सके और भारत सरकार का हर प्रकार से सहयोग कर सकें।”
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने फरवरी माह में ही यह स्पष्ट कर दिया था कि 26 मई के बाद यदि किसी ने भी केंद्र सरकार के नियम को मानने से इनकार किया या जानबूझकर नियमों का उल्लंघन किया, तो इस दशा में कठोर कार्यवाही करने से पहले केंद्र सरकार एक बार भी नहीं सोचेगी।
वैश्विक स्तर पर फेसबुक और गूगल के लिए भारत का बाजार बहुत बड़ा है, जिसे वह अपने हाथ से कतई नहीं जाने देना चाहता। गूगल और फेसबुक को न
भारत सरकार की नीतियों को नहीं मानते तो उन्हें बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता था।
कठोर कदम उठाने के साथ ही भारत की गिनती उन देशों में हो रही है, जो बिग टेक कंपनियों को पूर्ण प्रतिबंधित नहीं कर रहे, तो किसी भी तरह से उनकी मनमानी भी नहीं चलने देगा और भारत की डिजिटल संप्रभुता अक्षुण्ण रहेगी।
इतना होने के बावजूद ट्विटर दाएं-बाएं हो रहा है जिससे लगता है कि टिकटॉक की तरह ट्विटर भी भारत सरकार के हाथों अपने उड़ान के इंतजार में है। ट्विटर को पारदर्शी होने और पक्षपात से बचने के केंद्र सरकार के अधिनियमों का पालन करने के लिए एक पग आगे बढ़ना पड़ेगा। भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि कोई भी डिजिटल मीडिया देश के कानून से ऊपर नहीं है।
स्वदेशी एप्प koo पर रविशंकर प्रसाद की दो टूक चेतावनी
सोशल मीडिया को लेकर बनाई गई नई गाइडलाइन्स पर ट्विटर के रवैये से खफा IT मंत्रालय ने साफ कहा है कि वह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को न सिखाए कि हमें क्या करना है। ट्विटर मुद्दा भटकाने के बजाय नियमों का पालन करे।
IT मंत्रालय ने कहा कि ट्विटर का जवाब दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश पर जबरन अपनी शर्तें थोपने जैसा है। ट्विटर ने अपने बयान के द्वारा उन गाइडलाइंस का पालन करने से मना किया है, जो भारत सरकार ने आपराधिक गतिविधियां रोकने के लिए तैयार की हैं।
भारत में फ्रीडम ऑफ स्पीच की पहरेदारी न करे ट्विटर
मंत्रालय ने कहा कि भारत में लोकतंत्र और बोलने की आजादी सदियों से रही है। यहां इसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी सिर्फ ट्विटर जैसी किसी एक संस्था को नहीं है। बोलने की आजादी को लेकर ट्विटर पर पारदर्शी नीतियां नहीं हैं। कई लोगों के अकाउंट सस्पेंड कर दिए जाते हैं, तो कई की पोस्ट डिलीट कर दी जाती हैं।
देश की नीतियां तय करने में दखल न दे सोशल मीडिया साइट
सरकार की तरफ से कहा गया कि कानून और नीतियां बनाने का अधिकार किसी देश का विशेष अधिकार है। जबकि ट्विटर सिर्फ एक सोशल मीडिया साइट है। भारत की कानूनी नीतियां क्या होनी चाहिए, यह तय करने में उसका कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
