नया केंद्रीय कानून : कोऑपरेटिव बैंकों के घोटालों पर लगेगा अब विराम, आमजन को राहत
लंबे अरसे से को-ऑपरेटिव बैंक और छोटे बैंकों में रकम जमा करने वाले लोगों को परेशानियों को सामना करना पड़ रहा था। इन बेंकों में हमेशा वित्तीय धोखाधड़ी होने की आशंका रहती थी। ऐसे में लोगों के हितों की रक्षा के लिए कानून में संशोधन का फैसला लिया गया है। बैंकिंग रेगुलेशन बिल के तहत अब देश के सभी सहकारी बैंकों के नियम-कानून कमर्शियल बैंकों के समान ही होंगे। इससे पूर्व कोऑपरेटिव बैंकों को आरबीआईऔर कॉऑपरेटिव सोसाइटी के नियमों के तहत चलना होता था।
राज्यसभा से बैंकिंग रेगुलेशन बिल 2020 पास हो गया है। इस बिल को लोकसभा से पिछले सप्ताह ही मंजूरी मिल गई थी। राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के हस्ताक्षर करने के बाद यह कानून बन जाएगा। इस नए कानून के तहत अब देशभर के सहकारी बैंक आरबीआई की देखरेख में काम करेंगे। बिल के पास होने पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस बिल में यह संशोधन जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए लाया गया है, ताकि पीएमसी बैंक घोटाला जैसे स्कैम से बचा जा सके। केंद्र सरकार ने देश में कोऑपरेटिव बैंको की लगातार बिगड़ती वित्तीय स्थिति और घोटालो के मामले सामने आने के बाद बैंकिंग रेगुलेशन ऐक्ट,1949 में संशोधन का फैसला किया था। केंद्र सरकार ने सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के तहत लाने के लिए जून में एक अध्यादेश जारी किया था। अब नया कानून इस अध्यादेश की जगह लेगा।