16 सितम्बर सर्व पितृ अमावस्या, कोरबा लोकेशन में शाम 7:54 से 17 सितंबर शाम 4:28 तक
कपिल व्यास ( आध्यात्म प्रणेता)
पितृ दोष का मुख्य कारण सनातन धर्म के नियमो का पालन न करते हुए , मनमाने ढंग से जीवन जीने की वजह से होता हैं, जिसके परिणामस्वरूप जीवन नरक तुल्य हो जाता हैं। (अन्य स्थानों पर समय 20-25 मिनट आगे-पीछे हो सकता है। वस्तुस्थिति के लिए e panchang google play store से डाउन लोड कर लें।)


कभी कभी इसके परिणाम इतने नकारात्मक होते हैं कि आने वाली पीढ़ियों को भी इसके परिणाम भुगतने को बाध्य होना ही पड़ता है।
नए-नए पन्थो के फेर में न पड़कर, सरल सहज हो कर ,पवित्र शुद्ध सनातन धर्म का ह्रदय से पालन करे, धार्मिक हूं यह लोगो को दिखाने हेतु बिल्कुल भी नही करें।
जीव हत्या , भ्रूण हत्या से कोसो दूर रहे और नारी, बालक और वृद्धजनों को वाणी और शरीर से भूल कर भी उत्पीड़ित न करे।
पितृ तर्पण समय समय पर तीर्थ स्थलों पर करते हुए परिवार ओर कुल के सँस्कारो का मनोयोग से पालन करें।
दुखी और अतृप्त पितर पिशाच योनि में प्रविष्ट हो कर अपने कुल का ही समूल विनाश कर देते हैं। यह ध्यान रहे और विशेष कर पुरूष सन्तानो को ज्यादा दिक्कत देते हैं।
17 सितम्बर को घर मे या मन्दिर में पवित्र स्थान पर दीपक प्रज्वलित कर, हाथ मे जल लेकर अपने ज्ञात अज्ञात पितृगणों का स्मरण कर श्री हरि विष्णु नारायण जी से प्राथना करे कि वे जहां कही भी हो, उनको तृप्ति ओर शांति दे और उनका आशीर्वाद हमे मिले, इस हेतु आज ये पाठ कर रहा हूं और इसका पुण्य फल उनको मिले।
यह कहकर जल जमीन पर छोड़ दे। पाठ करते समय शालिग्राम जी और तुलसी जी का पौधा ओर शंख पास में हो तो अति उत्तम है। फिर श्री विष्णु जी के सहस्त्रनाम के 27 /54/ 108 पाठ करे।
पाठ करते समय एक मिट्टी के कलश में कच्चा दूध और गंगाजल भरकर रख लें, जो पाठ के बाद सूर्य अस्त से पूर्व किसी।पीपल की जड़ में छोड़ कर कलश वही रख कर आ जाये।
जल छोड़ते समय श्री हरि विष्णु जी का स्मरण करें। फिर श्री गीता जी के 7 , 11, वे व 18 वे अध्याय का पाठ करें।
